Hindenburg shutdown: अदाणी ग्रुप (Adani Group) की नाक में दम करने वाली अमेरिका की शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) के फाउंडर नाथन एंडरसन ने कंपनी को बंद करने का ऐलान किया। कंपनी का कहना है कि उसने अपने सभी मकसद को पूरा करने के बाद ही यह फैसला लिया है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने चौंकाने वाले खुलासों से दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी। लेकिन, भारत के अदाणी ग्रुप की कंपनियों को लेकर कई बड़े दावों के इसकी देश में काफी चर्चा हुई।
शॉर्ट-सेलिंग फर्म के कथित तौर पर सनसनीखेज खुलासों से भारतीय अरबपति गौतम अदाणी को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ था। साथ ही वह एक महीने के भीतर दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति से खिसककर 30वें स्थान पर पहुंच गए थे। हालांकि, अदाणी और उनकी कंपनियों ने हिंडनबर्ग रिसर्च के सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। आइए, जानते हैं उन कंपनियों के बारे में, जिन्हें हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद तगड़ा झटका लगा था।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने साल 2019 में एक रिपोर्ट जारी कर Jumia Technologies पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कंपनी ने अपने ऑर्डर नंबर को गलत तरीके से बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और अपने बिजनेस मॉडल को गलत तरीके से दिखाया। Hindenburg ने Jumia को “एक अस्थिर बिजनेस मॉडल वाली कंपनी” करार दिया और कहा कि यह अफ्रीका की पहली ई-कॉमर्स कंपनी के रूप में अपनी स्थिति का गलत इस्तेमाल कर रही। इस रिपोर्ट के बाद Jumia के शेयरों में 50% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई और निवेशकों का भरोसा डगमगा गया। इसके साथ ही कंपनी पर कई मुकदमे भी दायर किए गए।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि कंपनी की संचालन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है और यह निवेशकों को गुमराह कर रही है। Jumia ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कंपनी पूरी तरह से नियमों का पालन करती है और पारदर्शी तरीके से काम करती है।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने सितंबर 2020 मे NKLA पर एक रिपोर्ट जारी कर गंभीर आरोप लगाए थे। रिपोर्ट में दावा किया गया कि कंपनी ने अपनी इलेक्ट्रिक ट्रक तकनीक की क्षमताओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है। इस रिपोर्ट के बाद बाजार में हलचल मच गई। निकोल के शेयर, जो पहले लगभग $50 के स्तर पर थे, कुछ हफ्तों में गिरकर $20 से नीचे आ गए। यह खबर निवेशकों के लिए बड़ा झटका थी और कंपनी की साख पर सवाल खड़े करती है।
अप्रैल 2020 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि SCWorx ने झूठा दावा किया था कि उसने COVID-19 टेस्टिंग किट्स के लिए एक बड़ा ऑर्डर हासिल किया है। इस दावे के बाद कंपनी के शेयरों में 400% तक की तेजी आई, लेकिन यह उछाल ज्यादा समय तक टिक नहीं सका। बाद में कंपनी के शेयरों की कीमत गिरकर $1 (लगभग ₹83) तक पहुंच गई, जो करीब 99% की भारी गिरावट थी।
फरवरी 2020 में रिसर्च फर्म ने PharmaCielo के सह-संस्थापक पर गंभीर आरोप लगाए थे। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सह-संस्थापक सिक्योरिटीज फ्रॉड और संदिग्ध भूमि सौदों में शामिल थे। इन आरोपों के कारण कंपनी की साख को बड़ा झटका लगा और शेयर की कीमतों में 30-50% की गिरावट दर्ज की गई, जिससे कंपनी के बाजार पूंजीकरण में करोड़ों डॉलर की कमी आई। इस घटना ने फार्मासिलो की इमेज को बुरी तरह प्रभावित किया।
फरवरी 2021 में, हिंडनबर्ग रिसर्च ने क्लोवर हेल्थ को लेकर रिपोर्ट जारी की थी। फर्म ने आरोप लगाया गया कि कंपनी ने यह खुलासा नहीं किया कि वह अमेरिकी न्याय विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस) की जांच के दायरे में है। इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद, Clover Health के शेयर की कीमत लगभग $14 से गिरकर $8 से भी कम हो गई। रिपोर्ट ने निवेशकों के बीच चिंता पैदा कर दी थी, जिससे शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली।
मार्च 2021 में,अमेरिका की शॉर्ट-सेलिंग फर्म ने इलेक्ट्रिक पिकअप ट्रक बनाने वाली कंपनी लॉर्ड्सटाउन मोटर्स पर निवेशकों को गुमराह करने का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कंपनी ने अपने ट्रक के प्री-ऑर्डर्स के बारे में गलत जानकारी दी थी।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद, कंपनी के शेयर की कीमत में भारी गिरावट दर्ज की गई। पहले जहां इसका शेयर $16 के करीब था, वहीं कुछ ही दिनों में यह गिरकर $8 से भी नीचे आ गया।
सितंबर 2022 में गौतम अदाणी की कुल संपत्ति 150 बिलियन डॉलर के करीब थी, लेकिन जनवरी 2023 में आई हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने अदाणी ग्रुप को बड़ा झटका दिया। इस रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई।
जनवरी 24, 2023 को अदाणी ग्रुप की 10 सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 19,19,888 करोड़ रुपये था, जो 27 फरवरी तक घटकर 7 लाख करोड़ रुपये से भी कम रह गया। इस गिरावट से गौतम अडानी की व्यक्तिगत संपत्ति में 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा की कमी आई।
हालांकि, समय के साथ अडानी ग्रुप के शेयरों में सुधार देखने को मिला। बाद में, सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी ग्रुप को राहत देते हुए कहा कि OCCRP या किसी अन्य तीसरे पक्ष की रिपोर्ट, बिना सत्यापन के, सबूत के तौर पर मान्य नहीं हो सकती।
मई 2023 में, Hindenburg Research ने Icahn Enterprises पर एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसने कंपनी की वित्तीय स्थिति को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए। रिपोर्ट में Hindenburg ने Icahn Enterprises की डिविडेंड संरचना को ‘पोंजी जैसी’ बताया। इसके बाद, कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई, और एक महीने के भीतर उनके शेयर 50% से अधिक गिर गए।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि Jefferies Group द्वारा Icahn Enterprises पर की गई रिसर्च “अब तक देखी गई सबसे खराब सेल-साइड रिसर्च में से एक” थी। Hindenburg के मुताबिक, यह रिसर्च निवेशकों को गुमराह करने वाली थी।
इस रिपोर्ट ने बाजार में हलचल मचा दी और निवेशकों का भरोसा कमजोर कर दिया। Hindenburg के दावों के बाद Icahn Enterprises को अपनी वित्तीय रणनीतियों की पारदर्शिता पर सफाई देनी पड़ी।
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शॉर्ट-सेलिंग फर्म ऐसी कंपनियां या संस्थाएं होती हैं जो शेयर बाजार में शॉर्ट-सेलिंग करके मुनाफा कमाती हैं। ये फर्म उन शेयरों को चुनती हैं जिनकी कीमत भविष्य में गिरने की संभावना होती है। ये शेयर उधार लेकर उन्हें बेच देती हैं और बाद में कम कीमत पर खरीदकर मुनाफा कमाती हैं।
शॉर्ट-सेलिंग एक ऐसा तरीका है जिसमें ज्यादा जोखिम और ज्यादा मुनाफे की संभावना होती है। अगर शेयर की कीमत बढ़ जाए, तो इन फर्मों को बड़ा नुकसान हो सकता है। इस काम में डेटा एनालिस्ट, रिसर्च टीम और विशेषज्ञ बाजार के रुझानों और कंपनियों की स्थिति का गहराई से विश्लेषण करते हैं।
शॉर्ट-सेलिंग फर्मों में हेज फंड्स, इन्वेस्टमेंट फर्म्स और रिसर्च फर्म्स शामिल हैं। इनमें हिंडनबर्ग रिसर्च जैसी फर्में खासतौर पर जानी जाती हैं, जो गहन रिसर्च के जरिए संभावित धोखाधड़ी या कमजोर वित्तीय स्थिति वाली कंपनियों को पहचानती हैं और उनके खिलाफ शॉर्ट-सेलिंग करती हैं।
हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नाथन एंडरसन ने एक बड़ा फैसला लेते हुए इस रिसर्च फर्म को बंद करने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने अपने परिवार, दोस्तों और टीम के साथ साझा किए गए एक नोट में इस निर्णय की जानकारी दी।
नाथन ने लिखा, “मैंने तय किया है कि हिंडनबर्ग रिसर्च को भंग कर दिया जाएगा। इसकी योजना पहले से थी कि जिन मामलों पर हम काम कर रहे हैं, उनके पूरा होने के बाद इसे बंद किया जाएगा। हाल ही में हमने जिन पोंजी स्कीम्स पर काम किया और जिन्हें नियामकों के साथ साझा किया, उसके बाद यह फैसला लेना सही लगा।”
नाथन ने आगे लिखा, “यह मेरे लिए खुशी का पल है। हिंडनबर्ग रिसर्च बनाना मेरे जीवन का सपना था। हालांकि, शुरुआत में मुझे नहीं पता था कि क्या मैं इसे सफल बना पाऊंगा। यह आसान नहीं था, लेकिन मैंने इसे जोखिम के बावजूद चुना। अब मुझे लगता है कि इसे बंद करने का सही समय आ गया है। न तो कोई खतरा है, न स्वास्थ्य समस्या और न ही कोई व्यक्तिगत परेशानी। बस, यह निर्णय मेरे मन का सुकून पाने के लिए है।”
उन्होंने यह भी बताया कि अब वे अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहते हैं, अपने शौक पूरे करना चाहते हैं और दुनिया घूमने की योजना बना रहे हैं। नाथन ने कहा, “मैंने अपने परिवार के लिए काफी पैसा कमाया है। अब मैं उसे कम जोखिम वाले निवेशों, जैसे इंडेक्स फंड्स में लगाने की सोच रहा हूं। साथ ही, मेरी कोशिश है कि मेरी टीम के सभी सदस्य अपने करियर में आगे बढ़ सकें।”
नाथन ने अपने रीडर्स का आभार जताते हुए कहा, “आपके जोशीले संदेशों और समर्थन ने हमें हमेशा ताकत दी। आप सभी ने मुझे दुनिया में अच्छाई पर विश्वास बनाए रखने में मदद की है। इसके लिए मैं आप सभी का दिल से शुक्रगुजार हूं।”
नाथन ने अपने नोट के अंत में लिखा कि उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में कोई ऐसा व्यक्ति मिलेगा जो उनके काम से प्रेरित होकर इसी जुनून के साथ नए विषयों पर रोशनी डालेगा। उन्होंने अपने परिवार और दोस्तों से माफी भी मांगी कि व्यस्तता के चलते उन्होंने उनके साथ समय नहीं बिताया। अब वे उनके साथ ज्यादा समय बिताने के लिए उत्सुक हैं।
नाथन एंडरसन के इस फैसले से उनके चाहने वालों और फॉलोअर्स में भावनात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने कई बड़े मामलों पर काम किया है और अपने बोल्ड रिसर्च के लिए चर्चित रही है।