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Tata Sons सबसे अमीर प्रवर्तक, TCS से मिले लाभांश और शेयर बायबैक से होल्डिंग कंपनी की बढ़ी आय

नकदी के लिहाज से विप्रो के अजीम प्रेमजी दूसरे सबसे अमीर प्रवर्तक हैं जिन्हें पिछले वित्त वर्ष में लाभांश और शेयर पुनर्खरीद के जरिये 9,100 करोड़ रुपये मिले।

Last Updated- September 16, 2024 | 9:46 PM IST
Tata Sons dividend income

निजी क्षेत्र में टाटा संस देश की सबसे धनी प्रवर्तक है और उसके प्रतिस्पर्धी काफी पीछे हैं। टाटा समूह की होल्डिंग कपनी को वित्त वर्ष 2024 में लाभांश और शेयर पुनर्खरीद से 36,500 करोड़ रुपये प्राप्त हुए जो वित्त वर्ष 2023 के 27,800 करोड़ रुपये से 7.5 फीसदी अधिक है।

नकदी के लिहाज से विप्रो के अजीम प्रेमजी दूसरे सबसे अमीर प्रवर्तक हैं जिन्हें पिछले वित्त वर्ष में लाभांश और शेयर पुनर्खरीद के जरिये 9,100 करोड़ रुपये मिले। वित्त वर्ष 2023 में उन्हें 400 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। एचसीएल टेक्नोलॉजिज का शिव नादर परिवार इस मामले में तीसरे स्थान पर है जिसकी कमाई पिछले वित्त वर्ष में करीब 8,600 करोड़ रुपये रही थी।

देश में शीर्ष दस धनी प्रवर्तकों की सूची में वेदांत के अनिल अग्रवाल (6,800 करोड़ रुपये), इन्फोसिस के प्रवर्तक (3,745 करोड़ रुपये), हिंदुजा बंधु (1,800 करोड़ रुपये), सन फार्मा के दिलीप सांघवी (1,765 करोड़ रुपये) और एशियन पेंट्स के प्रवर्तक (1,681 करोड़ रुपये) शामिल हैं।

टाटा संस ने समूह की सूचीबद्ध कंपनियों से लाभांश और पुनर्खरीद के माध्यम से पिछले 5 साल में करीब 1.42 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है। इसी तरह वेदांत के अनिल अग्रवाल ने इस दौरान 47,000 करोड़ रुपये, अजीम प्रेमजी ने करीब 26,700 करोड़ रुपये, मुकेश अंबानी ने 13,200 करोड़ रुपये और शिव नादर ने 12,050 करोड़ रुपये की कमाई की है।

टाटा संस की अधिकतर आय टाटा कसंल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), टाटा मोटर्स और टाटा स्टील से हुई है। वित्त वर्ष 2024 में टीसीएस ने 26,426 करोड़ रुपये का लाभांश दिया जो देश में सभी सूचीबद्ध कंपनियों में सबसे अधिक है। इसके साथ ही उसने शेयर पुनर्खरीद पर भी पिछले वित्त वर्ष में 17,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। मार्च 2024 के अंत तक टाटा संस की टीसीएस में 71.74 फीसदी हिस्सेदारी थी। इसी तरह टाटा मोटर्स ने 4,766 करोड़ रुपये और टाटा स्टील ने 4,495 करोड़ रुपये का लाभांश दिया है।

यह विश्लेषण समूह की सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा वित्त वर्ष 2024 में लाभांश भुगतान और शेयर पुनर्खरीद पर किए गए कुल खर्च पर आधारित है। इक्विटी लाभांश में प्रवर्तक का हिस्सा संबंधित  वित्त वर्ष के अंत में समूह की कंपनियों में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी पर आधारित है। अपने विश्लेषण में हमने गैर-सूचीबद्ध होल्डिंग कंपनियों की इक्विटी हिस्सेदारी और प्रवर्तकों या उनके परिवार के ट्रस्टों की हिस्सेदारी को ही ध्यान में रखा है।

उदाहरण के लिए टाटा समूह में हमने टाटा संस और अन्य असूचीबद्ध होल्डिंग कंपनियों जैसे एवर्ट इन्वेस्टमेंट, टाटा इंडस्ट्रीज और पेनाटोन फिनवेस्ट की शेयरधारिता की ही गणना की है।

वित्त वर्ष 2024 में देश के शीर्ष 10 सबसे अमीर प्रवर्तक परिवारों ने लाभांश और शेयर पुनर्खरीद के माध्यम से कुल 75,126 करोड़ रुपये की कमाई की है, जो वित्त वर्ष 2023 के 78,225 करोड़ रुपये से 4 फीसदी कम है।

आय में कमी मुख्य रूप से वेदांत द्वारा कम लाभांश भुगतान के कारण दिख रही है। वेदांत ने वित्त वर्ष 2024 में 10,974 करोड़ रुपये का लाभांश दिया जो वित्त वर्ष 2023 के 25,739 करोड़ रुपये से 74 फीसदी कम है। इसके मुकाबले शीर्ष 10 सूची में शामिल सभी 9 अन्य प्रवर्तकों की आय में वित्त वर्ष 2024 में वृद्धि दर्ज की गई। इसकी मुख्य वजह उनकी प्रमुख कंपनियों द्वारा अधिक लाभांश भुगतान और शेयर पुनर्खरीद रही।

प्रेमजी को पिछले वित्त वर्ष में सबसे अधिक फायदा हुआ और उनकी आय में 20 गुना वृद्धि दर्ज की गई। विप्रो द्वारा बड़े पैमाने पर शेयर पुनर्खरीद किए जाने से उनकी आय को बल मिला। विप्रो ने पिछले साल जून में शेयर पुनर्खरीद के जरिये कुल 12,000 करोड़ रुपये लौटाए। इसमें से करीब 9,100 करोड़ रुपये अजीम प्रेमी को प्राप्त हुए क्योंकि मार्च 2023 के अंत तक कंपनी में उनकी हिस्सेदारी 72.92 फीसदी थी।

इन्फोसिस के 5 प्रवर्तक परिवारों- नारायणमूर्ति, नीलेकणी, एस गोपालकृष्णन, के दिनेश और एसडी शिबूलाल- की आय में  पिछले वित्त वर्ष के दौरान काफी वृद्धि हुई। उनकी कुल लाभांश आय वित्त वर्ष 2024 में लगभग दोगुनी होकर 3,745 करोड़ रुपये हो गई, जो एक साल पहले 1,876 करोड़ रुपये थी।

कंपनी में इन पांच प्रवर्तकों की कुल हिस्सेदारी इस साल मार्च के अंत में 13.14 फीसदी थी। इन्फोसिस ने वित्त वर्ष 2024 में 19,090 करोड़ रुपये का कुल लाभांश दिया जो वित्त वर्ष 2023 में 14,103 करोड़ रुपये था। इसके अलावा, कंपनी ने अपने शेयर पुनर्खरीद कार्यक्रम पर 9,300 करोड़ रुपये भी खर्च किए।

हिंदुजा की आय में भी पिछले वित्त वर्ष में वृद्धि दर्ज की गई। प्रवर्तक परिवार की आय वित्त वर्ष 2024 में 143 फीसदी बढ़कर 1,780 करोड़ रुपये हो गई जो एक साल पहले महज 732 करोड़ रुपये थी। आय में वृद्धि को मुख्य तौर पर आशोक लीलैंड से जबरदस्त लाभांश भुगतान और आईटी कंपनी हिंदुजा ग्लोबल द्वारा 1,020 करोड़ रुपये के शेयर पुनर्खरीद से बल मिला। अशोक लीलैंड का लाभांश भुगतान एक साल पहले के मुकाबले 90.3 फीसदी बढ़कर 143 करोड़ रुपये से 763.4 करोड़ रुपये हो गया।

हालांकि गौतम अदाणी परिवार और टॉरंट समूह के सुधीर मेहता परिवार पिछले वित्त वर्ष में समूह की कंपनियों द्वारा लाभांश भुगतान में अपेक्षाकृत कम वृद्धि के कारण शीर्ष दस की सूची से बाहर हो गए।

First Published - September 16, 2024 | 9:46 PM IST

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