आईपीओ के बाजार में तेज गिरावट के चलते सभी कंपनियां फिलहाल आईपीओ से परहेज ही करती दिखाई दे रही हैं। लेकिन उम्मीद है कि गुजरात राज्य पेट्रोलियम निगम लिमिटेड (जीएसपीसी) लंबे इंतजार के बाद आईपीओ को बाजार में उतारने का मन बना चुका है। अगर सब वैसा ही होता है, जैसा कि योजनाओं में तय है तो यह आईपीओ अभी तक राज्य के सबसे बड़ा आईपीओ होगा, जिससे 5 हजार करोड़ रुपये की उगाही होगी।
जीएसपीसी इसके लिए 10 वित्तीय संस्थानों से बातचीत में लगा हुआ है, जिसमें सिटीबैंक, यूबीएस, डयूश बैंक, एसबीआई कैपिटल मार्केट, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और कोटक महिन्द्रा, गुजरात राज्य की वित्तीय सेवाएं शामिल हैं। इनमें से किन्हीं चार को मचर्ेंट बैंकर और एक को लीड मैनेजर जो पैसों की उगाही करेगा।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने अपनी पहचान छुपाने की शर्त पर बताया, ‘आईपीओ का आकार ठीक-ठीक तो नहीं बताया जा सकता, क्योंकि अभी इस पर काम होना बाकी है, लेकिन इतना जरूर है कि यह 5 हजार करोड़ से अधिक ही है। आईपीओ से मिलने वाली राशि का अधिक उपयोग कृष्णा-गोदावरी (केजी) घाटी परियोजना में अन्वेषण कार्य पर ही लगाई जाएगी।’
विकास योजना के लिए वाणिज्यिक अनुबंध तैयार किया जा रहा है और जीएसपीसी इस महीने के अंत तक या अप्रैल में अपना प्रस्ताव हाइड्रोकार्बन (भारत) महानिदेशालय में जमा करवाएगा।
सूत्रों का कहना है कि कृष्णा-गोदावरी घाटी में पिछले सात महीनों में अन्वेषण कार्य के लिए जीएसपीसी अभी तक 2000 करोड़ रुपये लगा चुका है।
जीएसपीसी की विस्तार योजनाओं में केजी-17 कुआं का विकास शामिल है, जो कि राज्य सरकार के निगम की महत्त्वपूर्ण खोज है। यह पहली बार है जब जीएसपीसी को एक ही कुएं में तेल और गैस दोनों मिले हैं।
सूत्रों के अनुसार जीएसपीसी अपने आईपीओ को वर्ष जनवरी 2008 में ही बाजार में उतारने का लक्ष्य था, जो कि राज्य विधानसभा चुनावों के चलते इस आईपीओ को रोका गया।
जीएसपीसी ने अपने कृष्णा-गोदावरी घाटी परियोजना के लिए 15 राष्ट्रीय बैंकों के सहायता संघ के साथ सात सालों के ऋण अनुबंध के तहत 2500 करोड़ रुपये जुटाए थे। कंपनी की कर्जमुक्त बैलेंस शीट के चलते कंपनी आज इस स्थिति में है कि बैंको से पैसे ले सके। यह ऋण एसबीआई कैपिटल मार्केट से संबंध था।
जीएसपीसी की इस ब्लॉक में 80 प्रतिशत इक्विटी है, जबकि जुबिलैंट एन्प्रो लिमिटेड की 10 प्रतिशत और कनाडा के जीओग्लोबल रिसोर्सेस (जीजीआर) और इसके चेयरमैन जे पी रॉय की 5-5 प्रतिशत।
