कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने रविवार को कहा कि भारत सरकार डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक लाने की हड़बड़ी में नहीं है। उन्होंने नई दिल्ली में 10वीं नैशनल कॉन्फ्रेंस ऑन इकनॉमिक्स ऑफ कॉम्पटिशन लॉ में कहा कि सरकार इसे लागू करने से पहले प्रस्तावित विधेयक पर विचार-विमर्श की उचित प्रक्रिया को अपनाना चाहती है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यूरोपीय संघ, जापान और ऑस्ट्रेलिया के कानूनों का भारतीय संदर्भ में आकलन कर डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून के सर्वश्रेष्ठ तरीकों का और अध्ययन किया जाए। राज्य मंत्री ने कहा, ‘डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक की जरूरत महसूस की जा रही है, लेकिन हमें कोई जल्दबाजी नहीं है। सरकार उचित प्रक्रिया को अपनाने के बाद ही इस विधेयक को लाना चाहती है।’
उन्होंने कहा, ‘डिजिटल मार्केट में भारत की कंपनियों पर वैश्विक कंपनियों का दबदबा नहीं होना चाहिए। उन्हें छोटी कंपनियों पर अपना वर्चस्व स्थापित नहीं करना चाहिए। इन सबके बारे में विचार-विमर्श जारी है। इस बारे में इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय की रिपोर्ट आनी है।’
उन्होंने कहा कि कानून लागू करने के लिए कड़े हस्तक्षेप की जरूरत है, लेकिन स्व-नियमन और अनुपालन को भी बढ़ावा देना होगा। मल्होत्रा ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था का भविष्य इसके बाजारों की ताकत पर निर्भर करता है और उचित प्रतिस्पर्धा इसके लिए अहम तत्व है। डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक का लक्ष्य भारत की डिजिटल मार्केट में बड़ी तकनीकी कंपनियों के गैर प्रतिस्पर्धात्मक तरीकों पर अंकुश लगाते हुए उचित प्रतिस्पर्धा को सुनिश्चित करना है।
इस मौके पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई)की चेयरपर्सन रवनीत कौर ने नवाचार को बढ़ावा देने के लिए विनियमन की जरूरत पर जोर दिया। कौर ने कहा कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को आधुनिक बाजार में व्यापक तौर पर अपनाए जाने के कारण बिना मानवीय हस्तक्षेप के संभावित टकराव हो सकता है – जैसे कि स्पष्ट समझौतों के बिना मूल्य समन्वय और डायनमिक प्राइसिंग की आड़ में एल्गोरिद्म संबंधी भेदभाव।
कौर ने कहा, ‘नियामकों को तकनीक को अपनाए जाने और प्रतिस्पर्धा पर इसके प्रभाव के संबंध में अद्यतन और आगे रहना होगा। बाजार अब मांग और आपूर्ति के सीधे नियम से नहीं चलते हैं। अब इसमें विस्तृत जटिल प्रणालियां चल रही हैं जिनमें प्रोत्साहन, दक्षताएं और रणनीतिक व्यवहार परस्पर जुड़े होते हैं।’ कौर ने प्रतिस्पर्धा संशोधन अधिनियम के निपटान और प्रतिबद्धता उपबंधों पर बताया कि सीसीआई भरोसे आधारित विनियमन पर विचार कर रहा है और यह उल्लंघन की पहचान होने पर प्राथमिक राय के स्तर पर भी हितधारकों को आगे आने की अनुमति देता है। कौर ने बताया कि यदि साझेदार अपनी प्रतिबद्धताएं जताने के लिए तैयार हैं तो नियामक उनका मूल्यांकन करने और त्वरित ढंग से बाजार में सुधार सुनिश्चित करने के लिए तैयार रहेगा।
व्हाट्सऐप-मेटा मामले में कौर ने बताया कि ये कंपनियां शीघ्र ही कानून अनुपालन की रिपोर्ट पेश करेंगी और इनका नियामक अध्ययन करेगा। सीसीआई ने यह पाया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के डेटा साझा करने के दस्तूर उनके प्रभुत्व का दुरुपयोग हैं और उसने बाजार में सुधार के निर्देश के साथ ही जुर्माना भी लगाया है। उन्होंने बताया कि एमेजॉन-फ्लिपकार्ट के दबदबे के मामले में विभिन्न पक्षों ने 46 याचिकाएं दाखिल की थीं।