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Budget 2023 में एक्सपोर्टर्स के लिए समाधान योजना का प्रस्ताव दे सकती है सरकार

इस योजना के तहत निर्यातकों को निर्यात से जुड़ी शर्तों के अनुपालन में चूक के मामले निपटाने के लिए एक अवसर दिया जाएगा।

Last Updated- January 12, 2023 | 10:19 PM IST
Cathay Cargo

वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में सरकार निर्यातकों के लिए एक विवाद समाधान योजना का प्रस्ताव दे सकती है। इस योजना के तहत निर्यातकों को निर्यात से जुड़ी शर्तों के अनुपालन में चूक के मामले निपटाने के लिए एक अवसर दिया जाएगा।

निर्यातकों को विवाद सुलझाने के लिए 3 से 6 महीने का समय दिया जा सकता है। इस मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने कहा कि योजना में सीमा शुल्क भुगतान में देरी पर लगा ब्याज एक तिहाई कर दिया जाएगा और जुर्माना भी माफ किया जा सकता है।

करीब 1,100 निर्यातक निर्यात संबंधी तय शर्तें पूरी नहीं कर पाए हैं। इस वजह से उन्हें 10 प्रतिशत सीमा शुल्क का भुगतान करना होगा और इसके साथ सीमा शुल्क अधिकारियों को 15 प्रतिशत सालाना जुर्माना भी देना होगा। इनमें ज्यादातर निर्यातक सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों से ताल्लुक रखते हैं।

अगर यह योजना अमल में आ जाती है तो इससे उन सभी करदाताओं को लाभ होगा जो दो योजनाओं-निर्यात संवर्द्धन पूंजीगत वस्तु योजना (ईपीसीजी) और अग्रिम प्राधिकार योजना- का अनुपालन नहीं कर पाए हैं।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘ विदेश व्यापार महानिदेशालय ने राजस्व विभाग के साथ मिलकर इस योजना का मसौदा तैयार कर लिया है। योजना की शर्तों पर फिलहाल विचार हो रहा है और संभवतः आगामी बजट में इसे (योजना) शामिल किया जा सकता है।’

अधिकारी ने कहा कि प्रस्तावित योजना के संबंध में कई संबंधित पक्षों एवं विभागों से बात हो चुकी है। अधिकारी ने कहा कि इस योजना का मकसद निर्यात शर्तों के अनुपालन में चूक से जुड़े मामले को नियमित कर राजस्व प्राप्त करना और निर्यातकों को राहत देना है।

एक मोटे अनुमान के अनुसार सीमा शुल्क की रकम अधिक नहीं होगी और यह आंकड़ा करीब 1,000 करोड़ रुपये रह सकता है। मगर पिछले कई वर्षों के दौरान बकाया रकम पर भारी भरकम ब्याज जरूर जमा हो गया है। ईवाई में पार्टनर बिपिन सप्रा कहते हैं, ‘ इस योजना से उन कई निर्यातकों को लाभ होगा जो बाह्य परिस्थितियों के कारण निर्यात अनिवार्यता की शर्तें पूरी नहीं कर पाए हैं। कोविड महामारी के कारण पिछले दो वर्ष देश की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण रहे हैं। अब आर्थिक हालात धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहे हैं इसलिए भारतीय निर्यातकों के लिए पुराने विवाद शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का यह एक अवसर हो सकता है।’

ईपीसीजी योजनाओं के तहत लाभ उठाने वाले निर्यातकों को पूंजीगत वस्तुओं पर सीमा शुल्क में बचत के छह गुना के समतुल्य निर्यात मूल्य हासिल करना अनिवार्य है। यह शर्त प्राधिकार जारी होने की तिथि से छह वर्षों के भीतर पूरी करनी होती है।

ईपीसीजी के तहत लाभ लेने वाले निर्यातकों को शुल्क मुक्त कच्चे माल के आयात के लिए अग्रिम प्राधिकार जारी किया जाता है। इसके एवज में निर्यातकों को प्राधिकार जारी होने के 18 महीनों के भीतर तय निर्यात अनिवार्यता पूरी करनी होती है।

ईपीसीजी योजना के तहत उन पूंजीगत वस्तुओं का आयात करने की अनुमति होती है जिनका इस्तेमाल उत्पादन से पहले और बाद में होता है। इन वस्तुओं के लिए शुल्क का भुगतान नहीं करना पड़ता है।

समझा जा रहा है कि कुछ निर्यातकों ने सरकार ने अनुपालन की समय सीमा बढ़ाने का आग्रह किया है। शर्तों का अनुपालन नहीं करने की स्थिति में डीजीएफटी को लाइसेंस धारक के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है।

First Published - January 12, 2023 | 10:19 PM IST

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