अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमण ने कहा है कि गूगल के मामले में राष्ट्रीय कंपनी कानून अपील पंचाट (एनसीएलएटी) का फैसला ‘मुक्त नवोन्मेष’ के लिए बाजार खोलेगा और वैश्विक स्तर पर दबदबे के दुरुपयोग के मामलों में इसे उदाहरण के रूप में पेश किया जाएगा।
एंड्रॉयड मामले में गूगल के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की तरफ से पैरवी करने वाले वेंकरमण ने कहा कि नियामक के छह निर्देश जिन्हें एनसीएलएटी ने बरकरार रखा था, उनके अंतर्गत अनुचित व्यापार से संबंधित मसलों को हल करने के लिए सुझाए गए उपायों में से लगभग 99 प्रतिशत आते हैं।
वेंकटरमण ने एक बातचीत में कहा जब दबदबे का दुरुपयोग खत्म होता है, तो यह वैज्ञानिक विकास और नवोन्मेष के लिए मुक्त और निष्पक्ष बाजार का रास्ता खोलता है। स्टार्टअप, ओईएम (मूल उपकरण विनिर्माता) और उपभोक्ताओं के लिए अधिक विकल्प हैं। यथास्थितिवाद खत्म हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि एनसीएलएटी के फैसले ने ‘मेक इन इंडिया’ और स्टार्टअप के विकास वाले दोहरे दृष्टिकोण की बुनियाद रखी है।
एनसीएलएटी ने सीसीआई के अक्टूबर, 2022 के आदेश के खिलाफ गूगल की अपील पर फैसला सुनाते हुए एंड्रॉयड पारिस्थितिकी तंत्र में अपने दबदबे की स्थिति के दुरुपयोग के लिए इंटरनेट कंपनी पर 1,338 करोड़ रुपये के जुर्माने को बरकरार रखा है। इसके साथ ही अपीलीय न्यायाधिकरण ने नियामक द्वारा सुझाए गए छह उपायों को बरकरार रखा, जबकि चार अन्य को खारिज कर दिया है।
वेंकटरमण ने कहा, ‘इसके अलावा, फैसला एक अच्छा उदाहरण होगा और विश्वस्तर पर भी प्रतिस्पर्धा कानून की एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में सामने आएगा। यह निर्णय दबदबे के दुरुपयोग पर वैश्विक स्तर पर एक उदाहरण के रूप में पेश होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि यह फैसला निश्चित रूप से स्टार्टअप, स्टैंडअप, मेक इन इंडिया या आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के साथ तालमेल बैठाएगा।
एनसीएलएटी के गूगल के लिए आंशिक राहत के रूप में आने की रिपोर्ट के बीच वेंकटरमण ने कहा कि 10 उपायों में से छह को अपीलीय पंचाट द्वारा बरकरार रखा गया है।
एनसीएलएटी ने अपने 189 पन्नों के आदेश में नियामक की सिफारिश पर छह उपायों को कायम रखा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डिजिटल बाजार की गतिविधियों और दबदबे के दुरुपयोग को लेकर एनसीएलएटी का ऐतिहासिक निर्णय बहुत सधे तरीके से लिया गया।
उन्होंने कहा कि फैसले से भविष्य के मामलों पर असर पड़ेगा। वेंकटरमण के अनुसार एनसीएलएटी के आदेश से स्पष्ट हो गया कि गूगल की कई गतिविधियां कई पहलुओं से प्रतिस्पर्धा-रोधी थीं, जिनमें से एक यह थी कि वह विकास और वैज्ञानिक नवोन्मेष को प्रतिबंधित करती है।
उन्होंने कहा कि अब बाजार मुक्त नवोन्मेष के लिए खुल जाएगा। भारत में 98 प्रतिशत उपभोक्ता एंड्रोयड फोन का उपयोग करते हैं। ऐसे समय में सोचिए कि भारत अपना ‘ऑपरेटिंग सिस्टम’ (ओएस) बनाने में सक्षम है।
उन्होंने कहा कि हम सक्षम हैं। तो, अगर भारत में प्रतिस्पर्धी ओएस आता है तो सोचिए, हमें कैसे लोगों को संभालना होगा। ओएस, ऐप डेवलपर और यहां तक कि ओईएम के मामले में अब हम हर क्षेत्र में तकनीक और फोन बनाने की सोच रहे हैं, जो ‘मेक इन इंडिया’ के लक्ष्य के अनुरूप होगा।