बीएस बातचीत
देश की सबसे बड़ी इस्पात विनिर्माता जेएसडब्ल्यू स्टील ने वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में एकीकृत आधार पर 4,516 करोड़ रुपये का कर उपरांत लाभ दर्ज किया है, जो सालाना आधार पर 69 प्रतिशत का इजाफा है। हालांकि तिमाही आधार पर यह मुख्य रूप से कोकिंग कोयले और बिजली की अधिक लागत के कारण 37 प्रतिशत तक कम रहा है। जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक शेषगिरि राव संग ईशिता आयान दत्त की बातचीत के मुख्य अंश :
देश में इस्पात की मांग सालाना आधार पर अक्टूबर और नवंबर में कम हुई है। क्या इसके बाद इसमें सुधार हुआ है?
अगर हम वित्त वर्ष 22 की दूसरी तिमाही की तुलना में वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही का विश्लेषण करें, तो इस्पात की खपत नौ प्रतिशत तक बढ़ी है। दिसंबर में 93 लाख टन की खपत रही, जो इस वित्त वर्ष में सर्वाधिक है। अगर हम इसे वार्षिक रूप से देखें, तो यह 11.1 करोड़ टन है। इसलिए यह कहना ठीक नहीं होगा कि भारत में इस्पात की मांग घट रही है।
दिसंबर में कीमतों में भी भारी गिरावट दिखाई दी। क्या कीमतें निचले स्तर पर आ चुकी हैं और क्या अगले महीने दामों में बढ़ोतरी के आसार हैं?
नवंबर और दिसंबर में हमने आंशिक रूप से कीमतों में जो गिरावट देखी है, वह मुख्य रूप से खुदरा में स्टॉक कम किए जाने की वजह से थी। वैश्विक स्तर पर कीमतों में सुधार हुआ है और सभी को इस बात की उम्मीद थी कि भारत में इस्पात की कीमतों में कमी आएगी। यह संभव नहीं है कि जब कोकिंग कोयले की कीमतें बढ़कर 445 डॉलर प्रति टन और लौह अयस्क की कीमतें 137 डॉलर प्रति टन हो गई हों, तो इस्पात के दाम उसी स्तर पर बने रहें।
वैश्विक कीमतों में उनके शीर्ष स्तर से नरमी आई है। आधारभूत चीजों के संदर्भ में क्या कुछ बदला है?
जिंसों के लिए अच्छा चक्र शुरू हो गया है और यह जारी रहेगा। ऊर्जा परिवर्तन और बुनियादी ढांचागत व्यय वे दो प्रमुख संचालक हैं, जिनसे मांग में वृद्धि हुई। इन सबके अलावा डिजिटलीकरण और स्वचालन संबंधी पूंजीगत व्यय खर्च भी बढ़ रहा है। मूलभूत विषय नहीं बदले हैं।
आपने उड़ीसा उच्च न्यायालय में औसत बिक्री मूल्य के लिए भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएम) की कार्यप्रणाली को चुनौती दी है। तीसरी तिमाही में आपके पीऐंडएल पर 1,056 करोड़ रुपये का असर पड़ा है। चौथी तिमाही में किस तरह के असर की उम्मीद है?
आपने तीसरी तिमाही में जो देखा, यह उससे ज्यादा नहीं होगा, यह मानते हुए कि आईबीएम समान मूल्य निर्धारण कार्यप्रणाली जारी रखेगा।
आपने नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड के लिए बोली लगाई है। कुछ डाउनस्ट्रीम परिसंपत्तियां भी ब्लॉक में नजर आ रही हैं, क्या आप उन पर ध्यान देंगे?
निश्चित रूप से डाउनस्ट्रीम परिसंपत्तियों में हमारी दिलचस्पी है।
बजट में आप क्या चाहते हैं?
ऊर्जा परिवर्तन के लिए उद्योग की मदद पहला क्षेत्र है। भारत को कोकिंग कोयले में आत्मनिर्भर बनने के लिए मिशन मोड पर जोर देने की जरूरत है।