वाहनों को बिक्री के बाद सर्विस और मेंटेनेंस सेवाएं मुहैया कराने वाला देश का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म गोमैकेनिक गंभीर वित्तीय अनियमितताओं में फंस गया है।
गोमैकेनिक सिकोया के निवेश वाली कंपनी है। सिंगापुर की जिलिंगो और फिनटेक यूनिकॉर्न भारतपे के बाद यह सिकोया के समर्थन वाली तीसरी कंपनी है, जो वित्तीय गड़बड़ी की शिकार हुई है। गोमैकेनिक में अनियमितता इतनी ज्यादा है कि कंपनी के चलते रहने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
निवेशक कंपनी के संस्थापकों को छुट्टी पर जाने के लिए कह सकते हैं
घटनाक्रम के जानकार सूत्रों ने कहा कि निवेशक कंपनी के संस्थापकों को छुट्टी पर जाने के लिए कह सकते हैं। एक सूत्र ने कहा, ‘कंपनी के खाते की जांच की जा रही है और स्थितियां काफी तेजी से बदल रही हैं। लेकिन कंपनी के संकट से उबरने और चलते रहने की संभावना कम ही दिख रही है।’ कंपनी के वित्तीय खातों की फॉरेंसिक जांच ईवाई कर रही है।
मामले के जानकार शख्स ने बताया कि गोमैकेनिक में वित्तीय अनियमितताएं तब उजागर हुईं, जब सॉफ्टबैंक, मलेशिया का सॉवरिन वेल्थ फंड खजाना नैशनल बरहाद और नॉर्वेस्ट वेंचर पार्टनर्स इस कंपनी में 7.5 करोड़ डॉलर पूंजी निवेश के लिए बात कर रहे थे। सॉफ्टबैंक कंपनी में 3 करोड़ डॉलर निवेश की बात कर रही थी। गोमैकेनिक को 1 अरब डॉलर के मूल्यांकन पर पूंजी जुटाने की उम्मीद थी।
इस बारे में जानकारी के लिए ईवाई को ईमेल भेजा गया, लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया। सूत्रों ने कहा कि कंपनी पिछले साल दीवाली तक पूंजी जुटाने वाली थी मगर बात दिसंबर तक खिंच गई।
एक अन्य सूत्र ने बताया, ‘कंपनी के सस्थापक 1.6 अरब डॉलर कीमत लगाने की बात कर रहे थे मगर ईवाई ने शुरू में ही कंपनी की आय पर शंका जता दी।’
ट्रैक्सन से मिली जानकारी के अनुसार कंपनी की आय करीब 1.14 करोड़ डॉलर थी और उसके कर्मचारियों की संख्या 1,230 थी। गोमैकेनिक ने 28.3 करोड़ डॉलर मूल्यांकन पर 6.2 करोड़ डॉलर जुटाए थे।
सूत्रों के अनुसार खातों में गड़बड़ी की गंभीर चिंता को देखते हुए सिकोया समर्थित गोमैकेनिक के लिए पूंजी जुटाना मुश्किल हो रहा है और कंपनी अपने 70 फीसदी कर्मचारियों की छंटनी करने जा रही है।
कंपनी में सिकोया की 27 फीसदी हिस्सेदारी
कंपनी में सिकोया की 27 फीसदी हिस्सेदारी है और गोमैकेनिक का वजूद तभी बच सकता है, जब सिकोया उसमें नया निवेश करे। सिकोया इंडिया की टीम ने इस बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया।
गोमैकेनिक के निवेशकों ने संयुक्त बयान में कहा, ‘यह जानकर हम बहुत व्यथित हैं कि गोमैकेनिक के के संस्थापकों ने जानबूझकर हमें गलत जानकारी दी और कंपनी की आय बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई। मगर गड़बड़ी यहीं तक सीमित नहीं है। यह सब निवेशकों से छिपाया गया। निवेशकों ने मामले की विस्तृत जांच करने के लिए तीसरे पक्ष को नियुक्त किया है और आगे के कदमों पर विचार कर रहे हैं।’
बहरहाल उद्योग के जानकार निवेशकों की बात पर यकीन करने को तैयार नहीं हैं। इनगर्वन रिसर्च सर्विसेज के प्रबंध निदेशक श्रीराम सुब्रमण्यन ने कहा, ‘यह मुश्किल बात है कि शुरुआती निवेशकों को भी इसकी जानकारी नहीं हो। उन्होंने जानबूझकर इसे अनदेखा कर दिया होगा। जांच-परख के बाद इस तरह की खामियां नजर आईं।’
एक अन्य वेंचर कैपिटल कंपनी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘उनका यह कहना कि उन्हें पता नहीं था, समझ आता है क्योंकि भारत में उनका अच्छा खासा निवेश है। लेकिन एक कंपनी यूनिकॉर्न के बराबर कीमत लगवाना चाहती है और उसके निवेशकों को खातों की जानकारी ही नहीं है, यह हैरान करने वाली बात है। उन्हें इसे करीब से देखना चाहिए था।’
गोमैकेनिक के सह-संस्थापक अमित भसीन ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट में आज कहा कि कंपनी से गलती हुई क्योंकि वह वित्तीय लेखे-जोखे समेत सब कुछ ताक पर रखकर हर कीमत पर वृद्धि हासिल करने के लिए तुल गई। कंपनी को इसका अफसोस है।
उन्होंने कहा, ‘हम इस हालत की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं और पूंजी जुटाने के उपाय तलाशते हुए हमने सर्वसम्मति से कारोबार के पुनर्गठन का फैसला किया है।’ भसीन ने कहा, ‘पुनर्गठन तकलीफ देगा और दुर्भाग्य से हमें करीब 70 फीसदी कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ेगी।’
सूत्रों के अनुसार कंपनी ने बाकी कर्मचारियों को तीन महीने तक बिना वेतन काम करने के लिए कहा है।
चार दोस्तों – कुशल कर्वा, अमित भसीन, ऋषभ कर्वा और नितिन राणा ने 2016 में गुरुग्राम में गोमैकेनिक की शुरुआत की थी। कंपनी ने सिकोया, चिराटे वेंचर्स और ऑरियस वेंचर्स पार्टनर्स जैसे निवेशकों से 6.2 करोड़ डॉलर से अधिक की पूंजी जुटाई है। इस समय देश के 60 शहरों में कंपनी के 1,500 वर्कशॉप हैं।
गोमैकेनिक के प्रतिस्पर्धियों में पिटस्टॉप, गोबंपर, कारपैथी और महिंद्रा फर्स्ट चॉइस जैसी कंपनियां हैं।