राकेश गंगवाल फैमिली देश में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंटरग्लोब एविएशन की 8 फीसदी तक हिस्सेदारी ब्लॉक डील के जरिये जुलाई में बेच सकते हैं। इस फैमिली के पास विमानन कंपनी की 30 फीसदी हिस्सेदारी है।
आज के बंद भाव 2,411 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से हिस्सेदारी की कीमत 7,437 करोड़ रुपये बैठती है। विमानन कंपनी का कुल बाजार मूल्यांकन 92,957 करोड़ रुपये है।
पिछले साल सितंबर से यह फैसली अपनी हिस्सेदारी घटा रही है, जब उसने 2.8 फीसदी हिस्सेदारी 2,000 करोड़ रुपये में बेची थी। उसके बाद 4 फीसदी हिस्सेदारी इस साल फरवरी में 2,900 करोड़ रुपये में बेची गई।
एक बैंकर ने कहा, निवेश बैंकरों ने संस्थागत निवेशकों से संपर्क कर इस हिस्सेदारी में उनकी रुचि के बारे में पूछा है। इस साल इंडिगो के शेयर का प्रदर्शन बेहतर रहा है क्योंकि प्रतिस्पर्धी गो फर्स्ट की उड़ानें बंद है और एटीएफ की कीमतें नरम हैं।
18 फरवरी, 2022 को गंगवाल ने कंपनी के निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया था और कहा था कि वह अगले पांच साल में धीरे-धीरे अपनी हिस्सेदारी घटाएंगे।
इंडिगो के संस्थापकों में से एक गंगवाल 1998 से 2001 में इस्तीफा देने तक यूएस एयरवेज ग्रुप के अध्यक्ष व CEO थे। बाद में वह ट्रैवल टेक्नोलॉजी फर्म वर्ल्डस्पैन टेक्नोलॉजिज के प्रमुख बने। उसके बाद राहुल भाटिया संग उन्होंने इंडिगो एयरलाइन की नींव रखी।
इस बारे में जानकारी के लिए गंगवाल को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला। बैंकरों ने कहा कि मांग के मुताबिक अगले कुछ हफ्तों में पहले की तरह ब्लॉक डील के जरिये शेयर बेचे जाएंगे।
विमानन कंपनी को दोनों संस्थापकों भाटिया फैमिली व गंगवाल फैमिली के पास कंपनी की बराबर-बराबर हिस्सेदारी थी।
भाटिया फैमिली के पास अभी कंपनी की 37 फीसदी हिस्सेदारी है और यह जानकारी स्टॉक एक्सचेंजों के आंकड़ों से मिली। गंगवाल और भाटिया के बीच विमानन कंपनी के परिचालन को लेकर मतभेद चल रहा था और गंगवाल फैमिली ने धीरे-धीरे कंपनी की हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया।
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महामारी के बाद बढ़ी मांग को देखते हुए विमानन कंपनी वित्त वर्ष 24 में अपने बेड़े का आकार 350 विमान करने की योजना बना रही है, जो वित्त वर्ष 23 में 306 था। साथ ही वह भारत व विदेश में 10-15 नए गंतव्य भी जोड़ेगी। प्रबंधन को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 24 में यात्रियों की संख्या बढ़कर 10 करोड़ हो जाएगी, जो वित्त वर्ष 23 में 8.5 करोड़ रही।
विश्लेषकों ने कहा कि अपने वैश्विक ब्रांड को लेकर जागरुकता में इजाफे के लिए कंपनी कई कदम उठा रही है क्योंकि उसे लग रहा है कि वह आगामी वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाली बढ़त के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लेगी।
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मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषक ने कहा, हालांकि एयर इंडिया का मजबूती के साथ उतरने और आकाश एयर के प्रवेश इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और गहराने की संभावना है।