जिंस और ऊर्जा के दाम नीचे आने से जुलाई-सितंबर 2023 तिमाही (वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही) में कंपनियों का मुनाफा खूब बढ़ गया। मगर इसी दौरान कंपनियों के राजस्व में वृद्धि धीमी रही। अभी तक नतीजे घोषित करने वाली 3,123 कंपनियों का कुल शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में साल भर पहले के मुकाबले 38 प्रतिशत बढ़ गया।
इस अवधि में इन कंपनियों का शुद्ध मुनाफा जून-सितंबर, 2022 के 2.24 लाख करोड़ रुपये की तुलना में बढ़कर 3.07 लाख करोड़ रुपये हो गया। मगर वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही के 3.18 लाख करोड़ रुपये मुनाफे से इस बार 3.5 प्रतिशत कमी रही।
बैंकिंग, वित्तीय सेवा एवं बीमा क्षेत्र (बीएफएसआई) तथा तेल एवं गैस कंपनियों को हटा दें तो 2,551 कंपनियों का शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में साल भर पहले से 23.9 प्रतिशत बढ़कर 1.4 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह पिछली तीन तिमाहियों का सबसे कमजोर आंकड़ा है। वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में दर्ज 1.67 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक ऊंचे स्तर से यह 16 प्रतिशत कम रहा।
कंपनियों के मार्जिन में तेज बढ़ोतरी ने उनका मुनाफा मोटा करने में अहम भूमिका निभाई है। वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में कामकाजी (एबिटा) मार्जिन 580 आधार अंक बढ़ कर कुल आय का 27.6 प्रतिशत हो गया। यह पिछली 12 तिमाहियों में सबसे अधिक है। आंकड़ों के दोहराव से बचने के लिए विश्लेषक किसी भी सूचीबद्ध कंपनी की सूचीबद्ध सहायक इकाइयों को शामिल नहीं करते हैं। सूचीबद्ध कंपनियों के नमूने से ऐसी 51 सहायक इकाइयां हटा दी गईं।
विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियां (आईटी सेवा प्रदाता कंपनियों जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस एवं इन्फोसिस को छोड़कर) पिछले साल की समान अवधि की तुलना में वित्त वर्ष 2024 की तिमाही में अधिक मार्जिन दर्ज करने में सफल रही हैं। आईटी सेवा प्रदाता कंपनियों का कामकाजी मार्जिन साल भर पहले से 30 आधार अंक कम होकर वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में 22.7 प्रतिशत रह गया। एक वर्ष पहले इनका मार्जिन 23 प्रतिशत रहा था।
तेल एवं गैस कंपनियों के कामकाजी मार्जिन में सबसे तेज बढ़ोतरी हुई। उनका यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में बढ़ कर 16.8 प्रतिशत हो गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 8.3 प्रतिशत हुआ करता था।
वाहन क्षेत्र में एबिटा मार्जिन 360 आधार अंक बढ़कर राजस्व का 15.4 प्रतिशत तक पहुंच गया। कम से कम पिछले पांच वर्षों में तो यह सबसे तेज बढ़ोतरी है। एफएमसीजी एवं उपभोक्ता वस्तु क्षेत्रों में भी मार्जिन अधिक रहे मगर इनमें तेजी थोड़ी धीमी रही।
मगर मांग कमजोर रहने और औसत बिक्री मूल्य कम रहने के कारण सभी क्षेत्रों में राजस्व उत्साहजनक नहीं रहा। बिज़नेस स्टैंडर्ड के सर्वेक्षण में शामिल सभी 3,123 कंपनियों का कुल राजस्व (अन्य आय सहित) वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में केवल 6.1 प्रतिशत अधिक रहा।
पिछली 11 तिमाहियों में राजस्व में यह सबसे कमजोर वृद्धि रही। कंपनियों का संयुक्त राजस्व वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में 35.15 लाख करोड़ रुपये रहा। वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में यह 33.23 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में यह 34.54 लाख करोड़ रुपये रहा था।