सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को खाद्य वस्तुओं के पैकेट पर लेबलिंग के संबंध में दिशानिर्देश जारी करने के लिए कहा है। ऐसे में उपभोक्ता कंपनियां फिलहाल सरकार द्वारा अधिक स्पष्टता का इंतजार कर रही हैं। मामले से अवगत सूत्रों के अनुसार, इस संबंध में शुक्रवार को उद्योग के अधिकारियों की बैठक होगी जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
पहचान जाहिर न करने की शर्त पर एक कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम नए दिशानिर्देशों पर सरकार से स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं। दिशानिर्देश जारी होते ही उद्योग उनका अनुपालन शुरू कर देगा।’ एक अन्य कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने भी कहा कि नई लेबलिंग के तहत पैकेटबंद फूड कंपनियों को पैकेट पर उत्पाद में चीनी, नमक और वसा की प्रतिशत मात्रा का खुलासा करना पड़ सकता है। यह कोई पहला अवसर नहीं है जब इस मुद्दे ने तूल पकड़ा है। पिछले साल 10 अप्रैल को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने
ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी। उसमें स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पेय को स्वास्थ्यवर्धक पेय की श्रेणी से हटाने के लिए कहा गया था। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अपनी एडवाइजरी में इसका उल्लेख किया था। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) पैकेट पर लेबलिंग (एफओपीएल) को अनिवार्य करने पर विचार कर रहा है। इसके लिए उसने कंपनियों और उद्योग संगठनों से सुझाव मांगे हैं।
एफएसएसएआई 2023 की शुरुआत में प्रस्तावित मसौदा नीति में बदलाव की तैयारी कर रहा था। इसके लिए 2022 में सुझाव मांगे गए थे। बाद में मसौदा नीति तैयार करने के लिए डॉक्टरों, सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और उपभोक्ता अधिकार संगठनों से नए सिरे से सुझाव मांगे गए।
उद्योग के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कुछ कंपनियां पैकेट पर विवरण देना पहले से ही शुरू कर चुकी हैं। नए दिशानिर्देश जारी होने पर उद्योग निश्चित तौर पर उनका अनुपालन करेगा। उन्होंने कहा, ‘मसौदा दिशानिर्देश पहले ही जारी किए जा चुके हैं और अब उन्हें केवल अंतिम रूप देने की आवश्यकता है। इसलिए नए दिशानिर्देशों के बाजार तक पहुंचने में अधिक समय नहीं लगना चाहिए।’
सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार से कहा कि खाद्य वस्तुओं के पैकेट पर लेबलिंग में सुधार के लिए नियमों को तीन महीने के भीतर अंतिम रूप दिया जाए। यह निर्देश 3एस ऐंड आवर वेल्थ सोसाइटी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया है। याचिका में खाद्य वस्तुओं के पैकेट पर लेबलिंग में सुधार करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है। उसमें कहा गया है कि लेबलिंग में अतिरिक्त चीनी, सोडियम, नुकसानदेह वसा एवं अन्य हानिकारक पदार्थों की मात्रात्मक मौजूदगी को दर्शाया जाए।
याचिका में कहा गया है, ‘इन अहम जानकारियों को प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाने पर उपभोक्ताओं के लिए अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों की पहचान करना और स्वस्थ आहार संबंधी निर्णय लेना आसान हो जाता है। साथ ही ऐसे विवरण अत्यधिक खपत के प्रति सचेत भी करते हैं और प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणामों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में योगदान करते हैं।’
न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन के पीठ ने केंद्र से खाद्य संरक्षा एवं मानक (लेबलिंग एवं प्रदर्शन) विनियम, 2020 में संशोधन की प्रक्रिया तीन महीने के भीतर पूरी करने के लिए कहा है। केंद्र ने सुनवाई के दौरान एफएसएसएआई द्वारा प्रस्तुत हलफनामा भी साझा किया। उसमें कहा गया है कि नए लेबलिंग नियमों पर आम लोगों से करीब 14,000 टिप्पणियां प्राप्त हुई हैं। प्राप्त इनपुट के आधार पर 2020 के विनियमों में संशोधन का निर्णय लिया गया है। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने फूड रैपर पर जानकारियों के स्पष्ट न होने का भी उल्लेख किया। केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाने के साथ ही याचिका को खारिज कर दिया गया।