ऑनलाइन शॉपिंग में आपको कई बार दिग्गज बॉन्ड्स के उत्पाद कम कीमत पर मिल जाते हैं, या उन पर कोई बहुत आकषर्क ऑफर होता है, और आप उसे खरीदने से खुद को रोक नहीं पाते, लेकिन जब आप उस दिग्गज बॉन्ड के उत्पाद को उपयोग करते हैं, तो आपको संदेह होता है- कहीं ये प्रोड्क्ट नकली तो नहीं? क्योंकि जानी-मानी कंपनियों के उत्पाद अपनी गुणवत्ता (quality) के लिए जाने जाते हैं।
ऑनलाइन शॉपिंग करनेवालों के इसी भरोसे को बरकरार रखने के लिए अब भारत में ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनियों ने मिलकर एक शपथ लेने का फैसला किया है। ऑनलाइन खरीदारों के लिए उत्पाद सुरक्षा बढ़ाने के कदमों के तहत जोमैटो, एजियो और ओला जैसे प्रमुख ई-कॉमर्स मंच 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर सुरक्षा प्रतिज्ञा लेंगे। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि उपभोक्ता मामलों के विभाग ( Department of Consumer Affairs) द्वारा घोषित स्वैच्छिक प्रतिबद्धता का उद्देश्य डिजिटल मार्केटप्लेस (बाजार) पर असुरक्षित और नकली उत्पादों की बिक्री का पता लगाना और रोकना है। उपभोक्ता कार्यकर्ता पुष्पा गिरिमाजी की अध्यक्षता वाली एक समिति ने नवंबर, 2023 में व्यापक हितधारक परामर्श के बाद प्रतिज्ञा (Pledge) को बनाया है। एजियो, जियोमार्ट, नेटमेड, बिगबास्केट, टाटा क्लिक, टाटा 1एमजी, जोमैटो और ओला जैसे ऑनलाइन कंपनियों ने शपथ पर हस्ताक्षर किए हैं।
भारत में 2030 तक 50 करोड़ ऑनलाइन खरीदार होने का अनुमान है और वर्तमान में 88 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। यह पहल तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स परिदृश्य में महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने के लिए है। पूरी दुनिया की बात करें तो 2025 तक वैश्विक ई-कॉमर्स कारोबार 7.4 ट्रिलियन डॉलर याने 7.4 लाख करोड़ डॉलर का हो जाएगा, भारतीय रुपये में 630 लाख करोड़ रुपये का होगा। इसीलिए नकली उत्पादों के कारोबारी ई-कॉमर्स को अपना निशाना बना रहे हैं। दुनियाभर में ई-कॉमर्स के जरिए बिकने वाले प्रोड्क्स में 3.3 फीसदी उत्पाद नकली होते हैं। यूरोपीय संघ ( Europrean Union) याने यूरोपीय देशों पर तो इसकी बार ज्यादा गहरी है। EU मार्केट में Third World Countries से आने वाले उत्पादों में 5.6 फीसदी नकली पाए गए हैं। यूके सरकार (UK Government) की रिपोर्ट के मुताबिक अकेले ब्रिट्रेन को ई-कॉमर्स कारोबार में नकली उत्पादों के चलते हर साल 9 बिलियन पॉन्ड्स याने करीब 965 अरब रुपये का सालाना नुकसान होता है, जिसके चलते हर साल 80 हजार से ज्यादा नौकरियां चली जाती हैं।
क्रिसिल और एएसपीए (ASPA) की रिपोर्ट के अनुसार, जालसाजी से परिधान उद्योग (apparel industry) को भारी नुकसान होता है, जहां 31% ग्राहकों को नकली उत्पाद मिले, इसके बाद एफएमसीजी में 28%, ऑटोमोटिव में 25% और consumer durables में 17% लोगों को नकली उत्पाद मिले। 27% खरीदार नकली उत्पाद खरीदने से अनजान थे, जबकि 37% ग्राहक कम कीमत, लक्जरी ब्रांड खरीदने के लालच और नामी ब्रॉन्ड्स को पहनने के socail status जैसे कारणों के चलते जानते हुए भी ऐसे उत्पाद खरीदने के लिए तैयार थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, नकली उत्पादों की बिक्री से न केवल ब्रांड मूल्य प्रभावित होता है, बल्कि यह ग्राहकों के लिए भी एक गंभीर खतरा है, जो अनजाने में घटिया उत्पाद खरीद लेता है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकलसर्किल्स द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 38% उपभोक्ताओं ने दावा किया कि उन्होंने पिछले वर्षों में एक ऑनलाइन रिटेलर से नकली उत्पाद खरीदे थे। इस सर्वेक्षण में सबसे अधिक उल्लेखित मार्केटप्लेस के नाम स्नैपडील (12%), अमेज़न (11%) और फ्लिपकार्ट (6%) थे।
इसी के चलते अब भारत सहित दुनिया की ई-कॉमर्स कंपनियां अपने मार्केटप्लेस याने ई-प्लेटफॉर्म पर नकली उत्पाद बेचने वालों के लेकर सख्त हो रहीं हैं। उदाहरण के लिए, ई-कॉमर्स दिग्गज अमेज़न ने मार्च में अपनी 2023 ब्रांड सुरक्षा रिपोर्ट (2023 Brand Protection Report) में बताया कि वह ब्रांड और कानून प्रवर्तन (law enforcement)एजेंसियों के साथ साझेदारी में लाखों की संख्या में घोटाले वाले उत्पादों को हटा रहा है।
अमेजन ने अपने ई-प्लेटफॉर्म पर अपना माल बेचने वाले 60 लाख विक्रेताओं को बैन किया है, वहीं 10 अरब उत्पादों की पहचान की है, जिनकी गुणवत्ता संदिग्ध थी। इसके लिए अमेजन ने बाकायदा एक Counterfeit Crimes Unit तक बना ली है।
अमेजन के वाइस प्रेसीडेंट धर्मेश मेहता ने, जिन पर अमेजन के ग्लोबल नेटवर्क में selling partners network की जिम्मेदारी है, बताया कि साल 2020 में अमेजन ने बाकायदा एक Counterfeit Crimes Unit बनाई, जिसने अपनी शुरुआत के बाद से कानूनी तरीकों और law enforcement एजेंसियों की मदद के जरिए 21 हजार से ज्यादा नकली उत्पाद बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की है। साल 2023 में अमेजन ने पूरी दुनिया में अपने ई-कॉ़मर्स नेटवर्क में 70 लाख से भी ज्यादा नकली उत्पादों की पहचान की, उन्हें जब्त किया और उन्हें डम्प किया। जिससे हम दुनियाभर में अमेजन के अपने करोड़ों ग्राहकों को ऐसे हानिकारक नकली उत्पादों से बचा सके। साथ ही इन नकली उत्पादों के global supply chain में जाने से रोका।
भारत में ई-कॉमर्स के निरंतर विस्तार को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन बेचे जाने वाले उत्पादों की सुरक्षा सुनिश्चित करना उपभोक्ता हितों के लिए अनिवार्य है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 में किसी उत्पाद को खरीदते समय सुरक्षा और उत्पाद मानकों का उल्लेख है। अधिनियम की धारा 2(9) के तहत उल्लिखित ‘उपभोक्ता अधिकारों’ में जीवन और संपत्ति के लिए खतरनाक वस्तुओं, उत्पादों या सेवाओं के विपणन के विरूद्ध जैसा भी मामला हो, सुरक्षा का अधिकार और वस्तुओं, उत्पादों या सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, शक्ति, शुद्धता, मानक और मूल्य के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार शामिल है ताकि उपभोक्ता को अनुचित व्यापार पद्धति से बचाया जा सके।
यह गलत तरीके से प्रस्तुत करना कि माल किसी विशेष मानक, गुणवत्ता, मात्रा, ग्रेड, संरचना, शैली या मॉडल का है, अधिनियम की धारा 2(47) के तहत परिभाषित ‘अनुचित व्यापार पद्धति’ है। इसके अलावा, जो सामान उस मानक का अनुपालन नहीं करते हैं जिसे किसी कानून द्वारा या उसके तहत बनाए रखने की आवश्यकता होती है उसे अधिनियम की धारा 2(10) के तहत ‘खराब’ माना जाता है। उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 के नियम 4(3) के तहत निर्धारित ई-कॉमर्स संस्थाओं के कर्तव्यों में किसी भी अनुचित व्यापार व्यवहार को न अपनाने का कर्तव्य शामिल है, चाहे वह अपने प्लेटफॉर्म पर व्यापार के दौरान हो या अन्यथा।
(एजेंसी के इनपुट के साथ)