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FMCG बिक्री होगी सुस्त! वितरकों की तरफ से खरीदारी पर पड़ा असर

सरकार ने घोषणा की थी कि 22 सितंबर से कई श्रेणियों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के कारण एमआरपी में कटौती की गई है

Last Updated- September 29, 2025 | 10:53 PM IST
FMCG Sector

जुलाई-सितंबर तिमाही में एफएमसीजी कंपनियों के प्रदर्शन पर (खासकर उनके राजस्व पर) दबाव रहने की आशंका है क्योंकि वितरकों की तरफ से खरीदारी पर असर पड़ा है। कारोबारियों ने आगे की खरीदारी धीमी कर दी है क्योंकि वे बाजार में नए स्टॉक के साथ अपडेटेड अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) आने का इंतजार कर रहे हैं। सरकार ने घोषणा की थी कि 22 सितंबर से कई श्रेणियों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के कारण एमआरपी में कटौती की गई है।

सरकार ने खाद्य पदार्थों से लेकर शैंपू व साबुन आदि पर जीएसटी की दर में कटौती की है।

मध्य क्षेत्र, पश्चिम और पूर्वी क्षेत्र के वितरकों की वृद्धि दर धीमी रही है। वितरक आमतौर पर त्योहारी सीजन से पहले स्टॉक उठाते हैं क्योंकि द्वितीयक बिक्री (वितरक से खुदरा विक्रेताओं को बिक्री) में भी बढ़ोतरी देखी जाती है, लेकिन इस बार उनमें कुछ कमजोरी देखी जा रही है।
पश्चिमी क्षेत्र के एक वितरक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 22 सितंबर के बाद से प्राथमिक बिक्री (कंपनियों से वितरकों को बिक्री) में वृद्धि हुई है, लेकिन खुदरा विक्रेताओं की ओर से वैसी वृद्धि नहीं देखी गई है।

पश्चिमी क्षेत्र के वितरक ने बताया, जुलाई-सितंबर तिमाही अच्छी नहीं रही और बिक्री में भी धीमी वृद्धि देखी गई क्योंकि खरीदारी नरम रही और जीएसटी की नई दरें लागू होने से पहले करीब 4-5 दिनों तक रुकी रही। पर नई दरें लागू होने के बावजूद खुदरा विक्रेताओं की तरफ से खरीदारी में कुछ कमी देखी जा रही है।

पूर्व के एक अन्य वितरक ने भी इस क्षेत्र में इसी प्रवृत्ति को देखा है और कहा कि इस क्षेत्र के छोटे खुदरा विक्रेताओं और थोक विक्रेताओं के पास पुराना स्टॉक अटका हुआ है, जिसके कारण वे वर्तमान में अपडेटेड कीमतों के साथ नई खरीदारी करने से पहले उस स्टॉक को समाप्त करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

मध्य भारत में एक वितरक ने कहा कि मांग तो है लेकिन 22 सितंबर से कंपनियों की ओर से ज्यादा स्टॉक खरीदने का दबाव है। उन्होंने कहा कि विभिन्न श्रेणियों में बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के लिए इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।

वितरक ने कहा, खपत हालांकि बढ़ रही है लेकिन जीएसटी लागू होने से पहले खरीदारी पर कोई खास असर नहीं पड़ा था, लेकिन अब जीएसटी लागू होने के बाद हमें काफी अधिक मात्रा में स्टॉक खरीदना पड़ रहा है।

दक्षिण में कहानी वही है, लेकिन क्विक कॉमर्स के उद्भव ने भी बिक्री को प्रभावित किया है क्योंकि नई दरों में परिवर्तन तेजी से हुआ है। एक वितरक ने बताया, क्विक कॉमर्स में बिक्री में भारी बदलाव के कारण कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है और खुदरा दुकानों पर स्टॉक पड़ा हुआ है।

हिंदुस्तान यूनिलीवर ने पिछले हफ्ते एक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा था, जीएसटी के नवीनतम सुधार उपभोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाया गया एक सकारात्मक कदम है। हालांकि यह उपाय दीर्घकालिक उपभोग को बढ़ावा देता है, लेकिन हमने पुराने मूल्यों पर मौजूदा स्टॉक को निकालने के लिए वितरकों और खुदरा विक्रेताओं के बीच व्यवधान के रूप में इसका एक क्षणिक प्रभाव देखा है। इसके परिणामस्वरूप, नए स्टॉक के साथ नई कीमतें मिलने की उम्मीद में ऑर्डर देने में देरी हुई है और उपभोक्ताओं द्वारा अपनी खरीदारी में देरी के कारण पूरे पोर्टफोलियो में ऑर्डर कम हुए हैं।

इसमें कहा गया है, इससे सितंबर में कंपनी की बिक्री पर अल्पकालिक प्रभाव पड़ा है। चैनलों में हमारी मौजूदा पाइपलाइन इन्वेंट्री को देखते हुए हमें उम्मीद है कि यह प्रभाव अक्टूबर में भी जारी रहेगा।

लक्स साबुन बनाने वाली कंपनी ने कहा कि उसे उम्मीद है कि 30 सितंबर को समाप्त होने वाली तिमाही के लिए समेकित व्यापार वृद्धि उसके मौजूदा दृष्टिकोण के आधार पर लगभग स्थिर या निम्न-एकल अंक में रहेगी। कंपनी ने यह भी कहा कि यह एकबारगी का क्षणिक प्रभाव है और हम उम्मीद करते हैं कि नवंबर से कीमतें स्थिर हो जाएंगी, जो कि खर्च योग्य बढ़ती आय और हमारे चल रहे पोर्टफोलियो परिवर्तन द्वारा समर्थित होगी।

First Published - September 29, 2025 | 10:53 PM IST

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