Festive Season: दीवाली आने में केवल दो हफ्ते बचे हैं और देश में सबसे बड़े शॉपिंग सीजन की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। लेकिन माहौल अब भी बहुत उत्साहजनक नहीं है।
पारले प्रोडक्ट्स में उपाध्यक्ष मयंक शाह ने कहा, ‘दीवाली की मांग कैसी रहती है, इस बात को लेकर मैं सतर्कता के साथ आशावान हूं।’ शाह के अनुसार आम तौर पर दीवाली से दो से तीन दिन पहले खरीदारी जोर पकड़ती है। उन्होंने कहा ‘इस वक्त कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।’
उन्होंने बताया कि हालांकि त्योहारों के साथ ही महीने के पहले कुछ दिनों में पिछले साल के मुकाबले वॉल्यूम में छह से सात प्रतिशत का इजाफा हुआ है। लेकिन मांग का बड़ा हिस्सा बाजार में आना बाकी है। हाल के त्योहारों में दैनिक उपभोग की वस्तुओं (FMCG) और अन्य श्रेणियों की मांग में कुछ सुधार देखा गया। लेकिन स्टॉक के भंडारों का साया अब भी बना हुआ है।
पश्चिमी क्षेत्र के एक वितरक ने बताया कि आपूर्ति श्रृंखला स्टॉक से अटी पड़ी है और यह उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि वितरकों के पास नियमित स्टॉक 15 से 20 दिनों के स्टॉक से दोगुना हो चुका है। खुदरा क्षेत्र के लोग भी यही कहानी बयां कर रहे हैं और सबकी निगाहें दीवाली तथा उसके बाद के दिनों पर हैं।
पेपे जींस इंडिया के मुख्य कार्य अधिकारी मनीष कपूर ने कहा कि उपभोक्ताओं के खर्च के कई चरण रहे हैं, लेकिन यह प्रवृत्ति स्थिर नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि सामान्य कीमत अच्छी चल रही है, लेकिन फिर भी मैं यह कहने से पहले अगले आठ से 10 सप्ताह तक इंतजार करूंगा कि मांग लौट आई है।’
पेपे जींस इंडिया में अब तक के त्योहारी सीजन के दौरान मूल्य के लिहाज से दो अंकों की वृद्धि और मात्रा के लिहाज से एक में ऊंचे स्तर की वृद्धि नजर आई है।
रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुख्य कार्य अधिकारी कुमार राजगोपालन सितंबर तक मांग पर दबाव की बात कहते हुए उम्मीद जता रहे हैं कि अक्टूबर की शुरुआत में दिखा सुधार जारी रहेगा। उन्होंने कहा, ‘दिवाली के बाद तक इस सुधार के बने रहने की जरूरत है।
राजगोपालन के अनुसार खुदरा विक्रेताओं ने अक्टूबर में अब तक दो अंकों की वृद्धि देखी है। इस क्षेत्र में मांग में कमी थी। लेकिन त्योहारी सीजन से पहले सीजन के अंत में होने वाली सेल के दौरान इसमें तेजी आई।
लोकप्रिय उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और टिकाऊ वस्तुओं की खुदरा श्रृंखला विजय सेल्स के प्रबंध निदेशक नीलेश गुप्ता ने कहा कि दशहरे पर बेमौसम बारिश की वजह से टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की मांग पर कुछ असर पड़ा।