अप्रैल-जून तिमाही के दौरान देश में तेजी से खपत होने वाली वस्तुओं यानी एफएमसीजी की बिक्री कीमत के लिहाज से 4 फीसदी ही बढ़ी क्योंकि खपत में सुस्ती देखी गई। मात्रा के लिहाज से बिक्री में 3.8 फीसदी इजाफा हुआ। उपभोक्ता शोध कंपनी नीलसनआईक्यू ने इन आंकड़ों के साथ बताया कि इस तिमाही में कीमतें 0.2 फीसदी ही बढ़ीं, जिससे पता चलता है कि बाजार ठहरा हुआ है।
मात्रा के लिहाज से बिक्री में ग्रामीण क्षेत्र आगे रहे और वहां बिक्री 5.2 फीसदी बढ़ी मगर शहरी क्षेत्र में इसमें 2.8 फीसदी इजाफा ही देखा गया।
शोध कंपनी ने कहा कि जून में समाप्त हुई तिमाही में दोनों ही क्षेत्रों में खपत सुस्त देखी गई। जनवरी-मार्च तिमाही में ग्रामीण बिक्री मात्रा के लिहाज से 7.6 फीसदी बढ़ी थी और शहरी इलाकों में 5.7 फीसदी वृद्धि हुई थी।
नीलसन आईक्यू में हेड ऑफ कस्टमर सक्सेस (इंडिया) रूजवेल्ट डिसूजा ने अपनी विज्ञप्ति में कहा ‘भारतीय एफएमसीजी उद्योग की वृद्धि स्थिर रही है, जो इसकी मजबूती और माहौल के हिसाब से ढलने की क्षमता दिखाती है। इस क्षेत्र में 2024 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान कीमत के लिहाज से 4 फीसदी बिक्री बढ़ी, जिसका कारण खपत नरम रहना है। बिक्री मात्रा में सुस्ती वृहद आर्थिक चुनौतियों की वजह से आई है। ग्रामीण क्षेत्र में मात्रात्मक बिक्री 5.2 फीसदी बढ़ी और शहरी इलाकों की 2.8 फीसदी वृद्धि से अधिक रही मगर कुल मिलाकर दोनों जगह इस तिमाही में खपत सुस्त रही है।’
एफएमसीजी खपत की वृद्धि की रफ्तार खाद्य क्षेत्र के कारण मुख्य रूप से कम हुई है, जिसमें अप्रैल-जून तिमाही में 2.4 फीसदी वृद्धि ही दिखी, जबकि जनवरी-मार्च में वृद्धि दर 4.8 फीसदी थी।
नीलसन आईक्यू के मुताबिक मात्रा के लिहाज से बिक्री में सुस्ती की वजह पैकेट बंद नमक, पैकेट बंद आटा (गेहूं का आटा) और पाम ऑयल जैसे खाद्य पदार्थ रहे। जून में समाप्त हुई तिमाही के दौरान खाद्य को छोड़कर बाकी एफएमसीजी में 7.6 फीसदी अधिक मात्रा में सामान बिका। मार्च में समाप्त तिमाही में इसमें 11.1 फीसदी वृद्धि हुई थी।
नीलसनआईक्यू की विज्ञप्ति में कहा गया, ‘पर्सनल केयर और होम केयर श्रेणियों में शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में उपभोक्ता मांग गिरी है। शहरी बाजार में पर्सनल केयर में अप्रैल-जून के दौरान 5.2 फीसदी (जनवरी-मार्च में 9.7 फीसदी के मुकाबले) वृद्धि देखी गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह अप्रैल-जून के दौरान 8.3 फीसदी (जनवरी-मार्च में 10.6 फीसदी के मुकाबले) रही है।