अर्थव्यवस्था

लगातार तीन तिमाहियों की बढ़त के बाद कारोबारी धारणा में गिरावट

क्षमता उपयोग में सुधार को लेकर उम्मीद थोड़ी बढ़ी है और दूसरी तिमाही में यह 98.1 पर है, जो पहली तिमाही में 97.3 प्रतिशत था। वहीं अन्य तीन घटकों में गिरावट दर्ज की गई है।

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हिमांशी भारद्वाज   
Last Updated- October 27, 2025 | 10:54 PM IST

दिल्ली के थिंक टैंक नैशनल काउंसिल ऑफ अप्लायड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) द्वारा कराए गए सर्वे से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (जून तिमाही) की तुलना में दूसरी तिमाही (सितंबर तिमाही) में भारत की कारोबारी धारणा में कमी आई है। लगातार तीन तिमाहियों तक कारोबार धारणा में सुधार के बाद यह गिरावट आई है।

एनसीएईआर के तिमाही व्यावसायिक अपेक्षा सर्वे के नवीनतम दौर (134वें) सितंबर में ट्रंप प्रशासन द्वारा अधिकांश भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत शुल्क लागू होने और सरकार द्वारा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों की घोषणा के कुछ दिनों बाद किया गया था। इस सर्वे में 6 शहरों के 484 उत्तरदाताओं को शामिल किया गया था। एनसीएईआर ने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में कारोबारी विश्वास सूचकांक (बीसीआई) घटकर 142.6 पर आ गया, जो अप्रैल-जून तिमाही में 149.4 था। हालांकि यह पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में धारणा मजबूत बनी हुई है, जब सूचकांक 134.3 अंक पर था।

सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है, ‘व्यवसायिक अपेक्षा सर्वे का मौजूदा दौर सितंबर 2025 में चला, जब अंतरराष्ट्रीय अनिश्चितता थी और घरेलू स्तर पर जीएसटी में सुधार लागू किया गया था। अमेरिका द्वारा कुछ नीतियों की घोषणा से अनिश्चितता बढ़ी हुई थी।’

यह सूचकांक चार कारकों- अगले छह महीनों में आर्थिक स्थिति का अनुमान, कंपनियों की वित्तीय स्थिति, निवेश माहौल और उत्पादन क्षमता के उपयोग स्तर पर आधारित है। इनमें से तीन कारकों में धारणा कमजोर रही, जबकि उत्पादन क्षमता उपयोग में सुधार दर्ज हुआ।

क्षमता उपयोग में सुधार को लेकर उम्मीद थोड़ी बढ़ी है और दूसरी तिमाही में यह 98.1 पर है, जो पहली तिमाही में 97.3 प्रतिशत था। वहीं अन्य तीन घटकों में गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सभी 4 घटकों में वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में सकारात्मक प्रतिक्रिया 50 प्रतिशत के ऊपर बनी हुई है। इससे आगे चलकर सुस्त वृद्धि के संकेत मिलते हैं।

’सर्वे के मुताबिक समग्र आर्थिक सुधार की उम्मीद करने वाली फर्मों की हिस्सेदारी पहली तिमाही के 73 प्रतिशत से घटकर दूसरी तिमाही में 66.5 प्रतिशत रह गई, निवेश माहौल की सकारात्मकता 60.1 प्रतिशत से घटकर 55.2 प्रतिशत रह गई, तथा बेहतर वित्तीय स्थिति की उम्मीद करने वाली फर्मों की हिस्सेदारी 65.8 प्रतिशत से घटकर 62.6 प्रतिशत रह गई। एनसीएईआर की प्रोफेसर बर्नाली भंडारी के अनुसार, ‘वृहद-आर्थिक स्तर पर कारोबारी धारणाएं अधिक प्रभावित हुईं जबकि सूक्ष्म स्तर पर प्रभाव मिला-जुला रहा।’ सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों के लिए सूचकांक थोड़ा बढ़ा है। यह पहली तिमाही के 137 से बढ़कर दूसरी तिमाही में 138 हो गया। हालांकि, बड़ी कंपनियों के मामले में यह सूचकांक सितंबर तिमाही में घटकर 149.9 पर आ गया।

First Published : October 27, 2025 | 10:50 PM IST