चीन को टक्कर दे रहा भारत का ये फाउंडर! IPO से पहले पीयूष बंसल बोले – अभी तो शुरुआत है

लेंसकार्ट के CEO पीयूष बंसल ने कहा - भारत में बने चश्मे चीन से 20% सस्ते, IPO से पहले बताया कंपनी का बड़ा विजन और आने वाली योजनाएं।

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- October 27, 2025 | 3:21 PM IST

आंखों का चश्मा बनाने और बेचने वाली कंपनी लेंसकार्ट अपना पहला ₹7,350 करोड़ का आईपीओ (IPO) लाने जा रही है। इस मौके पर कंपनी के सह-संस्थापक, CEO और MD पीयूष बंसल ने वरिष्ठ पत्रकार सुरजीत दास गुप्ता से एक खास बातचीत में कंपनी की योजनाओं, चुनौतियों और भविष्य की दिशा पर विस्तार से चर्चा की। बंसल ने कहा कि भारत का आईवियर बाजार (चश्मे का कारोबार) अभी बहुत असंगठित है और लेंसकार्ट का लक्ष्य है कि इसे तकनीक (Technology) की मदद से एक संगठित और आधुनिक उद्योग में बदला जाए, ताकि देश के हर व्यक्ति तक आंखों की जांच और सस्ता चश्मा आसानी से पहुंच सके।

क्या भारत में चश्मे की जरूरत बहुत बड़ी है?

पीयूष बंसल के मुताबिक, आज भारत में करीब 50 करोड़ लोगों को चश्मे की जरूरत है, लेकिन इस जरूरत के मुकाबले सुविधाएं बहुत कम हैं। उन्होंने बताया कि हर 10 लाख लोगों पर सिर्फ 60 चश्मे की दुकानें हैं, जबकि ज्वेलरी की 1,200 दुकानें हैं। इतना ही नहीं, हर 10 लाख लोगों पर केवल 30 ऑप्टोमेट्रिस्ट (यानी आंखों की जांच करने वाले विशेषज्ञ) हैं। बंसल के अनुसार, इस कमी को देखते हुए देश में कम से कम 70,000–80,000 स्टोरों की जरूरत है, जबकि लेंसकार्ट के पास अभी सिर्फ 2,000 से थोड़े ज्यादार हैं। उन्होंने कहा, “हमने अभी तो बस शुरुआत की है, यह उस महासागर की एक बूंद भर है जो अभी बाकी है।”

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लेंसकार्ट इस कमी को कैसे दूर करेगा?

बंसल ने कहा कि कंपनी अब पूरे वितरण सिस्टम (डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क) को नए तरीके से बना रही है। उन्होंने बताया कि पिछले साल लेंसकार्ट ने 1.6 करोड़ लोगों की आंखों की जांच की, लेकिन लक्ष्य है कि इसे 10 करोड़ तक ले जाया जाए। अभी कंपनी 400 शहरों में काम कर रही है और आने वाले समय में 600 और शहरों तक पहुंचने की योजना है। बंसल ने कहा कि अब कंपनी सिर्फ “ऑप्टिशियन” (चश्मे की दुकान) नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी से चलने वाली हेल्थ कंपनी बन रही है।

उन्होंने कहा, “हमने लोकल सप्लाई चेन की जगह केंद्रीकृत सिस्टम बनाया है, ताकि चाहे ग्राहक दिमापुर में हो या जयपुर में, उसे एक ही जगह से बना चश्मा जल्दी मिल सके।” कंपनी इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल कर रही है ताकि ऑनलाइन आंखों की जांच की जा सके। यानी अब कोलकाता में बैठा विशेषज्ञ दिमापुर के ग्राहक की आंखों की जांच कर सकता है। बंसल का लक्ष्य है कि आने वाले सालों में “एक अरब लोगों की सेवा” की जाए।

क्या लेंसकार्ट टेक कंपनी है या दुकान चलाने वाली कंपनी?

इस सवाल पर बंसल ने मुस्कराते हुए कहा, “हमें इस बात से फर्क नहीं पड़ता। जैसे Apple को आप फोन कंपनी कहेंगे या टेक कंपनी? हमारे लिए यह बहस बेकार है।” उन्होंने कहा, “हम एक आई केयर कंपनी हैं। हमारी ताकत तकनीक है, लेकिन हमारा मकसद है लोगों की आंखों की देखभाल करना और उन्हें बेहतर अनुभव देना।” उन्होंने बताया कि लेंसकार्ट खुद को “टेक-एनेबल्ड आईवियर कंपनी” के रूप में देखता है। यानी एक ऐसी कंपनी जो तकनीक की मदद से आंखों से जुड़ी हर जरूरत को पूरा करे।

लेंसकार्ट किन देशों में जा रहा है और क्यों?

बंसल ने बताया कि आज लेंसकार्ट की करीब 40% कमाई विदेशी बाजारों से आती है, और यह हिस्सा आगे भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि कंपनी उन्हीं बाजारों में जा रही है जहां लोगों को चश्मे की बहुत जरूरत है लेकिन सुविधा कम है। जैसे भारत, दक्षिण एशिया, जापान और पश्चिम एशिया (Middle East)। इन इलाकों में मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) के मामले ज्यादा हैं, ऑप्टोमेट्रिस्ट की संख्या कम है और चश्मे महंगे हैं।

बंसल ने कहा, “वहां के लोग अभी महंगे चश्मे खरीदते हैं या उन्हें अच्छी सुविधा नहीं मिलती। अगर लेंसकार्ट वहां सस्ती कीमत पर, अच्छी क्वालिटी का चश्मा दे दे, तो ग्राहकों को वही चीज काफी कम दाम में, बेहतर सेवा के साथ मिलेगी।” लेंसकार्ट के सबसे बड़े विदेशी बाजार सिंगापुर, दुबई और जापान हैं, जबकि थाईलैंड और सऊदी अरब नए उभरते बाजार हैं। उन्होंने कहा, “अगर हम विदेशों में ब्रांड नहीं बनाएंगे, तो विदेशी ब्रांड भारत में आकर हमारा मार्केट ले जाएंगे।”

क्या लेंसकार्ट चीन से सस्ता बना सकता है?

कई लोगों का मानना है कि चीन से सामान मंगाना सस्ता पड़ता है, लेकिन पीयूष बंसल इससे असहमत हैं। उन्होंने कहा, “हमारा मैन्युफैक्चरिंग खर्च चीन से 20% कम है। हम अपने लेंस भारत में ही बनाते हैं, और 50% फ्रेम भी यहीं तैयार होते हैं। आने वाले समय में यह 70–80% तक बढ़ाया जाएगा।” उन्होंने कहा कि भारत में 50 करोड़ लोग चश्मे की जरूरत रखते हैं, इसलिए यहां अच्छे और सस्ते चश्मे बनाना सबसे बड़ा मौका है, न कि चुनौती।

घर बैठे आंखों की जांच कैसे होगी?

लेंसकार्ट अब घर पर आंखों की जांच की सेवा भी दे रहा है। बंसल ने बताया कि यह सुविधा अभी आठ शहरों में शुरू की गई है, और हर दिन 1,000 से ज्यादा घरों में आंखों की जांच की जा रही है। कंपनी इस सेवा को और शहरों में बढ़ाने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा, “बेंगलुरु में हमारे 170 स्टोर हैं, ताकि हर इलाके के ग्राहक तक हम पहुंच सकें।” लेंसकार्ट का उद्देश्य है कि ग्राहक चाहे ऑनलाइन खरीदारी करे या दुकान पर जाए, उसका अनुभव हर जगह एक जैसा और आसान हो।

क्या लेंसकार्ट अब स्मार्ट ग्लासेस भी बनाएगा?

पीयूष बंसल ने बताया कि कंपनी अब स्मार्ट ग्लासेस बनाने पर भी काम कर रही है। उन्होंने कहा कि यह एक नया और खास बाजार है, जो अभी भारत के अमीर वर्ग (Top 5%) तक सीमित है। लेकिन लेंसकार्ट ने पहले ही इस दिशा में कदम बढ़ा दिया है। कंपनी ने एक ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) कंपनी में निवेश किया है और क्वालकॉम (Qualcomm) के साथ मिलकर कैमरा ग्लासेस तैयार कर रही है। इन ग्लासेस में UPI पेमेंट की सुविधा भी होगी, यानी आप चश्मा पहनकर ही डिजिटल पेमेंट कर पाएंगे। बंसल ने बताया कि कंपनी हार्डवेयर के साथ-साथ सॉफ्टवेयर भी खुद बनाएगी, ताकि तकनीक के लिए गूगल या मेटा जैसी विदेशी कंपनियों पर निर्भर न रहना पड़े।

क्या लेंसकार्ट महंगे (लक्जरी) चश्मों का कारोबार भी करेगा?

पीयूष बंसल ने कहा कि लक्जरी बाजार भी मौजूद है, लेकिन उसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा, “ग्राहक सालों-साल वही डिजाइन और स्टाइल के चश्मे के लिए वही कीमत देते हैं। हम इस बाजार में तभी उतरेंगे जब हम लोगों को स्टाइलिश, आरामदायक और आधुनिक चश्मे दे सकें।” उन्होंने बताया कि अभी 18% ग्राहक ₹10,000 से ज्यादा के चश्मे खरीदते हैं, और कंपनी इस वर्ग के लिए भी नए ब्रांड तैयार कर रही है, जैसे उसने पहले जैकब जॉन्स के साथ किया था।

IPO से जुटाए गए पैसे कहां लगाएगी कंपनी?

लेंसकार्ट का IPO 31 अक्टूबर को खुलने वाला है। कंपनी ₹2,150 करोड़ के नए शेयर जारी करके कुल ₹7,350 करोड़ जुटाने की योजना बना रही है। प्राइस बैंड ₹382–402 प्रति शेयर रखा गया है। बंसल ने कहा कि IPO से जुटाई गई रकम कंपनी विस्तार, तकनीक और सप्लाई चेन को मज़बूत करने में लगाएगी, ताकि दूर-दराज़ इलाकों तक भी तेज़, भरोसेमंद और सस्ती सेवाएं दी जा सकें।

लेंसकार्ट का असली मकसद क्या है?

पीयूष बंसल का कहना है कि लेंसकार्ट अब सिर्फ़ दुकानों की चेन नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी से चलने वाला आई केयर प्लेटफॉर्म बन चुका है। उनका कहना है कि कंपनी का असली लक्ष्य है। भारत और एशिया के हर हिस्से में आंखों की देखभाल को आसान, सस्ती और भरोसेमंद बनाना।

First Published : October 27, 2025 | 3:11 PM IST