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फ्लैग को मिल गई अदालत से ‘हरी झंडी’

Last Updated- December 10, 2022 | 5:23 PM IST

अनिल अंबानी की रिलायंस टेलीकॉम को दूरसंचार से जुड़े एक बड़े विवाद में जीत मिली है।


रिलायंस टेलीकॉम की सहायक रिलायंस ग्लोबलकॉम यानी फ्लैग टेलीकॉम को नीदरलैंड में हेग की एक जिला अदालत ने मुंबई स्थित फ्लैग यूरोप एशिया केबल लैंडिंग स्टेशन का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी है।


अदालत ने इस बारे में मध्यस्थ पैनल के लगभग 2 साल पुराने आदेश को बरकरार रखा।उस आदेश में विदेश संचार निगम लिमिटेड (वीएसएनएल) यानी टाटा कम्युनिकेशंस से साफ तौर पर कहा गया था कि फ्लैग टेलीकॉम को इस स्टेशन का इस्तेमाल करने दिया जाए।


फ्लैग टेलीकॉम फ्लैग यूरोप एशिया केबल (एफईए)के मुंबई लैंडिंग स्टेशन का इस्तेमाल करना चाहती थी। एफईए दरअसल समुद्र के नीचे से जाने वाला फाइबर ऑप्टिक केबल है, जो इंगलैंड से जापान तक फैला हुआ है। फ्लैग अपनी इंटरनेट और ब्रॉडबैंड क्षमता बढ़ाने के लिए इस केबल का इस्स्ेमाल करना चाहती थी।


एफईए वैसे भी बहुत जबर्दस्त क्षमता वाला नेटवर्क केबल है। यह केबल 15 देशों से गुजरता है। भारत में यह केबल टाटा समूह की वीएसएनएल का इसके मुंबई लैंडिंग स्टेशन पर नियंत्रण है।तकनीकी विकास के साथ ही अब फ्लैग अपने केबल सिस्टम की क्षमता 10 गीगाबाइट प्रति सेकंड (जीबीपीएस) से बढ़ाकर 80 जीबीपीएस करने के लिए बेकरार है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि उसे मुंबई स्टेशन का इस्तेमाल करने की इजाजत मिल जाए।


लेकिन रिलायंस का प्रतिद्वंद्वी टाटा समूह इसका मौका ही नहीं दे रहा था। वीएसएनएल का कहना था कि दोनों कंपनियों के बीच हुए निर्माण और रखरखाव समझौते के तहत वह फ्लैग को इस स्टेशन का इस्तेमाल करने देने के लिए बाध्य नहीं है। इसी वजह से फ्लैग यह मामला लेकर  दिसंबर 2004 में अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य मंडल पहुंच गई?और उससे मध्यस्थता करने की मांग की।


कंपनी ने कहा कि उसे केबल के भारत से गुजरने वाले हिस्से की मरम्मत करने दी जाए।इसके अलावा मरम्मत से रोके जाने के कारण उसे कारोबार में जो नुकसान हुआ है, उसके एवज में फ्लैग ने वीएसएनएल से मोटे हर्जाने की भी मांग की।


तीन सदस्यीय मध्यस्थ पैनल ने 17 मई 2006 को अपने फैसले में कहा कि मुंबई ही नहीं किसी भी केबल स्टेशन का इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार फ्लैग के पास है।इस पर वीएसएनएल हेगल जिला अदालत में पहुंच गई।उसने अपने तर्क में कहा कि मध्यस्थ पैनल का आदेश सही नहीं है और उसका र्कोई आधार भी नहीं है। उसने आदेश को फ्लैग और अपने बीच हुए करार की शर्तों के विपरीत बताया।


लेकिन हेग अदालत ने भी फ्लैग के ही पक्ष में फैसला दे दिया। अदालत ने टाटा को हर्जाना भरने का आदेश भी दिया। अपने आदेश में अदालत ने कहा कि कानूनी कार्यवाही के खर्चे के तौर पर 13,092 यूरो और अन्य खर्च के बदले 12,844 यूरो अनिल अंबानी समूह को दिए जाएं।लेकिन अदालत ने हर्जाने के मसले पर अभी कोई फैसला नहीं किया।रिलायंस ने टाटा से हर्जाने के तौर पर 1,600 करोड़ रुपये मांगे हैं।


इस बारे में पूछे जाने पर रिलायंस ग्लोबलकॉम के प्रवक्ता ने फैसले की प्रति मिल जाने की पुष्टि की।उसने कहा, ‘हमें फैसले की प्रति मिल चुकी है। हेग अदालत ने मध्यस्थ पैनल के आदेश को बरकरार रखा और वीएसएनएल के सारे दावों को सिरे से खारिज कर दिया।


इसके बाद अब हम अपनी सभी योजनाओं को आगे बढ़ाएंगे और आधुनिक से आधुनिक सुविधाएं अपने उपभोक्ताओं को मुहैया कराएंगे।’टाटा कम्युनिकेशंस के प्रवक्ता ने इस फैसले पर निराशा जताई।उसने कहा कि कंपनी निराश है और आगे अपील के विकल्पों पर विचार कर रही है।

First Published - April 8, 2008 | 12:51 AM IST

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