पिछले 15 में से 9 वर्षों के दौरान वेतन मद में भारतीय उद्योग जगत का खर्च उनकी शुद्ध बिक्री (बैंक आदि के मामले में सकल ब्याज आय) के मुकाबले तेजी से बढ़ा। इससे कंपनियों की शुद्ध बिक्री में कर्मचारी लागत की हिस्सेदारी में लगातार इजाफा हुआ। वेतन-भत्ते पर खर्च और शुद्ध बिक्री के अनुपात में कोविड वैश्विक महामारी के बाद वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 में सुधार हुआ था। मगर कर्मचारी खर्च में आय के मुकाबले तेजी से वृद्धि फिर होने लगी है। इससे कंपनियों के मार्जिन और मुनाफे को झटका लगा है।
जिन छह वर्षों के दौरान कंपनियों की शुद्ध बिक्री में कर्मचारी लागत के मुकाबले तेज वृद्धि दर्ज की गई उनमें वित्त वर्ष 2011, वित्त वर्ष 2012, वित्त वर्ष 2018, वित्त वर्ष 2019, वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 शामिल हैं। इनके अलावा अन्य सभी वर्षों के दौरान कर्मचारियों पर खर्च में कंपनियों की शुद्ध बिक्री के मुकाबले तेजी से वृद्धि दर्ज की गई।
लंबी अवधि के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 15 वर्षों के दौरान कंपनियों की आय वृद्धि में उतार-चढ़ाव रहा। उतार-चढ़ाव का दायरा -5.3 फीसदी (वित्त वर्ष 2016) से 27.2 फीसदी (वित्त वर्ष 2023) के बीच रहा। इसके मुकाबले वेतन खर्च में उतार-चढ़ाव का दायरा 6.6 फीसदी (वित्त वर्ष 2021) से 19.1 फीसदी (वित्त वर्ष 2011) के बीच रहा।
यह विश्लेषण बीएसई 500, बीएसई मिडकैप और बीएसई स्मॉलकैप सूचकांकों में शामिल 667 कंपनियों के नमूने पर आधारित है। इसमें सूचीबद्ध सहायक कंपनियों को शामिल नहीं किया गया है। इन कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण शुक्रवार को 323 लाख करोड़ रुपये था जो बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों के एकीकृत बाजार पूंजीकरण का करीब 70.4 फीसदी है।
पिछले 10 वर्षों के दौरान इन कंपनियों की शुद्ध बिक्री में 7.9 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि (सीएजीआर) हुई जबकि इस दौरान वेतन लागत में 9.5 फीसदी सीएजीआर से इजाफा हुआ। पिछले 5 वर्षों के दौरान इन कंपनियों की शुद्ध बिक्री में 10.7 फीसदी सीएजीआर से बढ़ोतरी हुई जबकि इस दौरान उनके कर्मचारी खर्च में 10.3 फीसदी सीएजीआर के साथ इजाफा हुआ। सीएजीआर वृद्धि की गणना करने के लिए वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही के आंकड़े को वार्षिक बनया गया है।
अगर हम अपने नमूने से खनन एवं धातु और तेल एवं गैस जैसे मूल्य के प्रति अधिक संवेदनशील क्षेत्रों की कंपनियों को अलग कर देते हैं तो शुद्ध बिक्री और वेतन लागत में वृद्धि का अंतर अधिक बड़ा दिखता है। धातु एवं तेल क्षेत्र के अलावा अन्य कंपनियों की शुद्ध बिक्री में पिछले 10 वर्षों के दौरान 8.8 फीसदी सीएजीआर से वृद्धि हुई जबकि इस दौरान उनके वेतन खर्च में 10.8 फीसदी सीएजीआर से इजाफा हुआ। यहां तक कि पिछले 5 वर्षों के दौरान भी इन कंपनियों की शुद्ध बिक्री में बढ़त की रफ्तार कर्मचारी लागत में इजाफे के मुकाबले कम रही।
परिणामस्वरूप सेवा और सामान्य विनिर्माण कंपनियों (धातु एवं तेल को छोड़कर) पर वेतन लागत का बोझ बढ़ता गया।