महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा मोटर्स, JSW MG मोटर, हुंडई और KIA जैसी भारत की बड़ी ऑटो कंपनियां दिल्ली और आसपास के इलाकों में सरकारी गाड़ियों के लिए हाइब्रिड वाहनों को बढ़ावा देने के फैसले का विरोध कर रही हैं। ये कंपनियां चाहती हैं कि सरकार सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को प्राथमिकता दे। इन कंपनियों ने भारी उद्योग मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि हाइब्रिड गाड़ियों को इलेक्ट्रिक गाड़ियों के बराबर मानना गलत है और इससे EV की बिक्री और निवेश पर बुरा असर पड़ेगा।
2 मई को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने एक सलाह जारी की थी, जिसमें हाइब्रिड गाड़ियों को “स्वच्छ वाहन” बताया गया और सरकारी बेड़े में इनके इस्तेमाल की सिफारिश की गई। यह फैसला ऑटो कंपनियों के लिए चौंकाने वाला था। आयोग का कहना है कि दिल्ली में गाड़ियों की भारी भीड़ के कारण पेट्रोल-डीजल जैसे ईंधन से चलने वाली गाड़ियों को कम करना जरूरी है। लेकिन, महिंद्रा और टाटा जैसी कंपनियों का कहना है कि हाइब्रिड गाड़ियां भी ईंधन पर निर्भर हैं, जबकि इलेक्ट्रिक गाड़ियां पूरी तरह से प्रदूषण-मुक्त हैं।
Also Read: भारत में 2030 तक कार बिक्री बढ़ेगी 3.5% वार्षिक दर से, बनेगा एशिया का सबसे बड़ा बाजार
कंपनियों का कहना है कि हाइब्रिड को बढ़ावा देने से सरकार की अपनी नीति कमजोर होगी, जो सिर्फ EV को प्रोत्साहन देती है। 2022 में भारत में सरकारी एजेंसियों के पास 8,47,544 गाड़ियां थीं, जिनमें से सिर्फ 5,384 यानी 1% से भी कम इलेक्ट्रिक थीं। कंपनियों को डर है कि हाइब्रिड को समर्थन देने से ग्राहकों में भ्रम बढ़ेगा, EV की बिक्री घटेगी और निवेशकों का भरोसा डगमगाएगा। टाटा ने अपने पत्र में कहा कि इससे भारत की निवेशक-हितैषी छवि को नुकसान होगा।
महिंद्रा ने 15 मई के अपने पत्र में कहा, “हमारी मांग है कि सरकार की नीतियां और प्रोत्साहन सिर्फ EV पर केंद्रित रहें।” टाटा ने भी कहा कि हाइब्रिड को बढ़ावा देने से EV में निवेश पर असर पड़ेगा। उदाहरण के लिए, टाटा ने अपनी EV योजनाओं के लिए TPG से 1 अरब डॉलर जुटाए हैं। वहीं, मूडीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारत में EV और बैटरी निर्माण में 10 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश होने की उम्मीद है। लेकिन, चार्जिंग स्टेशन की कमी और EV की ऊंची कीमत के कारण पहले ही उनकी बिक्री धीमी है।
टोयोटा और मारुति सुजुकी जैसी कंपनियां हाइब्रिड गाड़ियों का समर्थन कर रही हैं, जिससे EV और हाइब्रिड के बीच पुराना विवाद फिर से गर्म हो गया है। फिलहाल, भारी उद्योग मंत्रालय और कंपनियों ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।