प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उद्योगपति अनिल अंबानी से जुड़े 17,000 करोड़ रुपये की कथित हेराफेरी के मामले में जांच का दायरा बढ़ाने जा रहा है। ईडी अंबानी के पूर्व सहयोगियों एवं केनरा बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के वरिष्ठ अधिकारियों को समन भेजने की तैयारी कर रहा है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘ईडी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) और रिलायंस होम फाइनैंस लिमिटेड (आरएचएफएल) की ऋण समिति के सदस्यों के साथ संजय डांगी को पूछताछ के लिए बुलाया है। जांच जारी है और जरूरत पड़ने पर हम दूसरे लोगों को भी बुला सकते हैं।’
आरकॉम और आरएफएचएल दोनों अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की कंपनियां हैं। ‘शेयर बाजार परिचालन’ से जुड़े एवं ‘धनाढ्य निवेशक’ डांगी की रिलायंस कमर्शियल फाइनैंस, रिलायंस होम फाइनैंस और रिलायंस पावर में मोटी हिस्सेदारी है। डांगी इस समय ऑथम इन्वेस्टमेंट ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में निदेशक हैं।
ईडी ने मंगलवार को अंबानी को पूछताछ के लिए बुलाया था और बैंक फर्जीवाड़ा मामले में पूछताछ के लिए अगले 10 दिनों में उन्हें फिर बुलाया जा सकता है। अधिकारी ने कहा, ‘मंगलवार को पूछताछ के दौरान अंबानी ने अधिक जानकारी देने के लिए कुछ और समय की मांग की थी मगर उनके करीबी सहयोगियों से पूछताछ के बाद ईडी उन्हें अगले 10 दिनों में फिर बुलाएगा।’ सूत्र ने कहा कि जांचकर्ता केनरा बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि संबंधित खातों को गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) घोषित किए जाने के बावजूद कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। इस प्रक्रियात्मक चूक को देखते हुए ईडी का शक और गहरा गया है।
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,‘दोनों बैंकों में 2016 के तत्कालीन वरिष्ठ प्रबंधन से यह जानने के लिए पूछताछ की जाएगी कि कोई आपराधिक शिकायत क्यों दर्ज नहीं की गई।’
इस मामले पर बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक और ऑथम समूह को भेजे गए ईमेल का समाचार लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया था।
रिलायंस समूह के प्रवक्ता ने कहा, ‘रिलायंस होम फाइनैंस लिमिटेड (आरएचएफएल) और रिलायंस कमर्शियल फाइनैंस लिमिटेड (आरसीएफएल) ने येस बैंक के प्रवर्तक की कुछ कंपनियों को ऋण दिए थे। ये ऋण उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद निर्धारित मानदंडों के अनुसार मंजूर किए गए थे। इन ऋणों पर एक पेशेवर साख समिति की मुहर थी। ये ऋण पूरी तरह से सुरक्षित थे और परिपक्वता तिथि से पहले ही पूरे ब्याज के साथ चुका दिए गए थे, इसलिए बकाया शून्य है और आरएचएफएल या आरसीएफएल को नुकसान नहीं हुआ है।’