वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने आज कहा कि कोरोनावायरस के कारण पैदा हुए अवरोध के कारण भारतीय कंपनियों का एबिटा वित्त वर्ष 2021 में 24 फीसदी घटने की आशंका है। साथ ही कोरोनावायरस के प्रसार के कारण रेटिंग वाली गैर-वित्तीय भारतीय कंपनियों की क्रेडिट गुणवत्त्ता कमजोर होगी क्योंकि अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार उपभोक्ताओं के भरोसे और कारोबारी गतिविधियों पर चोट पहुंचाती है।
मूडीज के सहायक विश्लेषक अभिनव मिश्रा ने एक नई रिपोर्ट में कहा है, वित्त वर्ष 2021 में रेटिंग वाली 22 कंपनियोंं का एबिटा 24 फीसदी घटेगा और कर्ज/एबिटा लिवरेज बढ़कर करीब 4 गुना हो जाएगा। मूडीज ने कहा कि वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में रिकवरी में रफ्तार आएगी क्योंकि लॉकडाउन में ढील से मांग बढ़ेगी और आर्थिक स्थिति सामान्य करने में मदद मिलेगी।
मूडीज के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ क्रेडिट अधिकारी कौस्तुभ चौबाल ने कहा, आर्थिक सुस्ती मौजूदा चुनौतियों में इजाफा कर रही है। यह खास तौर से उन क्षेत्रों में है जो घटते उपभोग और रिसोर्स प्राइस वोलैटिलिटी (मसलन ऑटोमोटिव, तेल व गैस,
खनन व स्टील क्षेत्र) के प्रति संवेदनशील हैं।
देश की जीडीपी जून तिमाही में सालना आधार पर 24 फीसदी घट गई। अहम अर्थव्यवस्थाओं की बात करें को यह गिरावट सबसे ज्यादा थी और 40 साल के इतिहास में पहली बार इस वित्त वर्ष में पूरे साल का गिरावट वाला आंकड़ा देखने को मिलेगा।
वित्त वर्ष 21 की तीसरी तिमाही से रिकवरी के रफ्तार पकडऩे की उम्मीद है, लेकिन वित्त वर्ष 2022 का राजस्व वित्त वर्ष 2020 (कोरोना महामारी से पहले) के मुकाबले सात फीसदी कम होगा। मूडीज का अनुमान है कि यात्री व वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री वित्त वर्ष 2021 में 20 फीसदी घटेगी। तेल व गैस की कम कीमतें, कमजोर रिफाइनिंग मार्जिन और परिवहन की घटती मांग तेल व गैस कंपनियों पर असर डालेगी। जिंसों की उतारचढ़ाव भरी कीमतें और कर्ज के उच्चस्तर से खनन फर्मों व स्टील निर्माताओं के क्रेडिट मैट्र्क्सि में ठीक-ठाक सुधार नहीं हो पाएगा।
हालांकि आईटी सेवाओं व दूरसंचार कंपनियों का क्रेडिट ट्रेंड तटस्थ बना हुआ है।