देश की प्रमुख दवा कंपनी डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज ने वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-जून तिमाही के रिजल्ट की घोषणा बुधवार को कर दी। बीती तिमाही में कंपनी ने कुल 1,410 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया, जो पिछले साल की इसी तिमाही के 1,392 करोड़ रुपये की तुलना में 1.4% अधिक है। कंपनी की आय में भी अच्छी बढ़त देखी गई। पहली तिमाही में कंपनी की आय 8,545.2 करोड़ रही। पिछले साल की समान तिमाही में यह 7,696 करोड़ रुपये थी।
कंपनी ने बताया कि उनकी कुल आय का करीब 90% हिस्सा ग्लोबल जेनेरिक्स कारोबार से आता है। इस सेगमेंट ने इस तिमाही में 7,562 करोड़ रुपये की आय हुई, जो पिछले साल की समान अवधि में 6,885 करोड़ रुपये थी। वहीं, फार्मास्युटिकल सर्विसेज और एक्टिव इंग्रेडिएंट्स (PSAI) सेगमेंट से 970 करोड़ रुपये की आय हुई, जो पिछले साल के 1,030 करोड़ रुपये से थोड़ी कम है। कंपनी के कुल खर्चों में भी 15.8% की बढ़ोतरी हुई और यह 6,957 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल 6,006 करोड़ रुपये था। बीती तिमाही में कंपनी का EBITDA 2,278 करोड़ रुपये रहा, जो कुल आय का लगभग 26.7% है।
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डॉ. रेड्डीज ने इस तिमाही में कई बड़े फैसले लिए। कंपनी ने अल्वोटेक के साथ मिलकर पेम्ब्रोलिजुमैब के को-डेवलपर, मैन्युफैक्चरर और व्यापार के लिए साझेदारी की। इसके अलावा, सैनोफी के साथ मिलकर भारत में रेस्पिरेटरी सिन्सिटियल वायरस (RSV) की रोकथाम के लिए बेफोर्टस (निरसेविमैब) दवा लॉन्च की। कंपनी ने ALK-Abello के साथ साझेदारी में हाउस डस्ट माइट से होने वाली एलर्जी के लिए सेंसिम्यून नामक इम्यूनोथेरेपी प्रोडक्ट भी भारत में पेश किया।
कंपनी के को-चेयरमैन और प्रबंध निदेशक जी.वी. प्रसाद ने कहा, “अमेरिका के जेनेरिक्स बाजार में लेनालिडोमाइड पर मूल्य दबाव बढ़ने की संभावना है। हमारा ध्यान अपनी मौजूदा कारोबारी नींव को मजबूत करने, पाइपलाइन प्रोडक्ट्स को लॉन्च करने, उत्पादकता बढ़ाने और कारोबारी विकास पर रहेगा।”