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Dharavi: धारावी के स्लम को रिडेवलप करेगा अदाणी ग्रुप, लोगों को सताने लगा घर और रोजी का डर

Dharavi का रिडेवलपमेंट अलग-अलग चरणों में किया जाएगा, सबसे पहले वहां रहने वाले लोगों को शिविरों में भेजा जाएगा

Last Updated- July 15, 2023 | 4:12 PM IST
Dharaavi

600 एकड़ में फैले धारावी के कुछ हिस्सों के लिए महाराष्ट्र सरकार ने धारावी झुग्गी बस्ती पुनर्विकास परियोजना (Dharavi Redevelopment Project) को अदाणी समूह (Adani group) को सौंपने के लिए आदेश जारी कर दिया है। यह प्रोजेक्ट देश में शुरू किए गए सबसे बड़े रिडेवलपमेंट प्रोग्राम में से एक होगा।

बीते साल 29 नवंबर को समूह की कंपनी अदाणी प्रॉपर्टीज (Adani Properties) ने 5,069 करोड़ रुपये की निवेश की पेशकश कर 259 हेक्टेयर में फैली स्लम कॉलोनी के रिडेवलपमेंट का सौदा हासिल किया था। सेंट्रल मुंबई के ब्रांदा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स के समीप इस परियोजना में 20 हजार करोड़ रुपये के पुनर्विकास की संभावना है।

कैसे होगा रिडेवलपमेंट ?

धारावी का रिडेवलपमेंट अलग-अलग चरणों में किया जाएगा, सबसे पहले वहां रहने वाले लोगों को शिविरों में भेजा जाएगा क्योंकि वे उनके लिए नए घरों का पुनर्निर्माण करेंगे। इसके बाद वहां पर नए घरों को बनाया जाएगा।

2000 से पहले से रह रहे लोगों को मिलेगा फ्री में मकान

2.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले 6.5 लाख झुग्गीवासियों के पुनर्वास के लिए प्रोजेक्ट की कुल समयसीमा 7 साल है। प्रोजेक्ट के तहत, वे लोग जो धारावी में 1 जनवरी 2000 से पहले से रह रहे हैं उन्हें पक्का मकान दिया जाएगा और उसके बदले कोई रकम नहीं ली जाएगी यानी मकान फ्री में मिलेगा। लेकिन ऐसा उनके लिए नहीं है जो 2000 के बाद आए हैं। प्रोजेक्ट के मुताबिक, 2000 से 2011 के बीच आकर बसे लोगों को इसके लिए कीमत चुकानी होगी।

अदाणी के अलावा इन कंपनियों ने भी दिखाई थी दिलचस्पी

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, अदाणी ग्रुप के अलावा बोली लगाने वालों में दूसरे नंबर पर DLF ग्रुप था, जिसने 2,025 करोड़ रुपए की बोली लगाई, जबकि नमन ग्रुप की बोली कैंसिल कर दी गई। धारावी रिडेवलपमेंट प्रोग्राम के शामिल होने के लिए जारी किए गए टेंडर में 8 ग्लोबल कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन असल में सिर्फ तीन कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट के लिए बिडिंग डॉक्यूमेंट जमा किए थे।

अदाणी ग्रुप का नाम फाइनल होने पर क्या बोले स्थानीय लोग?

PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, जैसै ही धारावी के आसपास के लोंगों को रिडेवपमेंट के बारे में जानकारी मिली, लोगों को अंदर अपनी आजीविका और घर का डर सताने लगा है। वहां रह रहे लोगों को डर है कि इस प्रोजेक्ट के कारण स्थानीय कारोबारों पर निर्भर गरीब लोगों को नुकसान होगा।

एशिया की सबसे बड़ी मलिन बस्तियों में से एक, धारावी में बहुत सारी झोपड़ियां और झुग्गियां हैं और यह कई छोटे कारोबारों का घर है।

धारावी नागरिक सेवा संघ के अध्यक्ष पॉल राफेल ने कहा, ‘हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि राज्य सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए अदाणी ग्रुप की कंपनी को हरी झंडी दे दी है। इलाके में सैकड़ों ग्राउंड सहित दो मंजिला घर हैं, जिनमें से एक कमरे पर घर के मालिक का कब्जा है और दूसरे पर किरायेदार का कब्जा है। ऐसे में मकानमालिक को अपना घर चलाने के लिए किराए के पैसे पर निर्भर रहना पड़ता है।’

उन्होंने पूछा कि अगर इस प्रोजेक्ट के बाद, मालिकों का घर ध्वस्त कर दिया जाता है और इसके बदले में उनको एक कमरा दे दिया जाता है तो वे कहां से कमाई करेंगे।

राज्य सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए धारावी निवासी वकील संदीप कटाके ने आरोप लगाया कि यह प्रोजेक्ट दुनिया का सबसे बड़ा जमीन घोटाला होगा।

उन्होंने कहा, ‘अदाणी समूह को 5,069 करोड़ रुपये में 10 करोड़ वर्ग फुट के विकास अधिकार (development rights ) मिल रहे हैं और सरकार के पैसे से अतिरिक्त रेलवे भूमि मिल रही है। क्षेत्र में आखिरी सर्वेक्षण 2008 में किया गया था और स्ट्रक्चर्स के लिए एलिजिबिलिटी डेट 1 जनवरी, 2000 रखी गई थी, जबकि स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (SRA) के अनुसार यह 2011 है।’

उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार वास्तव में धारावी का रिडेवलपमेंट करना चाहती है, तो एक नया सर्वेक्षण किया जाना चाहिए और सर्वेक्षण की अंतिम तिथि पात्रता के लिए कटऑफ तिथि होनी चाहिए, 80 फीसदी लोग स्थानीय यूनिट्स और कारोबारों पर निर्भर थे, जिनके बारे में सरार को सोचने की जरूरत है।’

वकील ने दावा किया कि रिडेवलपमेंट के नाम पर किसी भी परिवार को धारावी से बाहर नहीं भेजा जाना चाहिए। अदाणी को बिक्री के लिए छह करोड़ वर्ग फुट क्षेत्र मिल रहा है, जिससे वह 3,00,000 करोड़ रुपये कमाने जा रहे हैं। धारावी प्रोजेक्ट में किसका भला होने वाला है? स्थानीय निवासी या अदाणी?’

एक निवासी ने कहा, ‘इस क्षेत्र में हजारों झोपड़ियां और झुग्गियां हैं, जिनमें से प्रत्येक में चार से पांच परिवार रहते हैं। रिडेवलपमेंट के बाद, उन्हें केवल एक फ्लैट मिल सकता है, जो उनके लिए पर्याप्त नहीं होगा।’

धारावी निवासी तरुण दास ने कहा, ‘2,000 से अधिक इडली विक्रेता धारावी में रहते हैं और पूरे शहर में खाने की सप्लाई करते हैं। रिडेवलपमेंट के बाद ऐसे व्यवसाय अस्तित्व में नहीं रहेंगे। चमड़े के उत्पाद, नकली आभूषण और अन्य सामान बनाने वाली छोटी इंडस्ट्रियल यूनिट्स बंद हो जाएंगी।’

नाम न छापने की शर्त पर एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, ‘रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट 2004 में तैयार किया गया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। 1995 में, इस क्षेत्र में 57,000 झोपड़ियां थीं, लेकिन वर्तमान में यह संख्या बढ़कर करीब 1.20 लाख हो गई है। उन्होंने कहा कि इलाके में लगभग 50 फीसदी लोग अपने घरों से छोटे व्यवसाय चलाते हैं।

First Published - July 15, 2023 | 4:10 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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