आर्थिक समीक्षा 2021-22 में यह बात निकलकर सामने आई है कि दिल्ली ने भारत की स्टार्टअप राजधानी के तौर पर बेंगलूरु को पीछे छोड़ दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा पेश किया। समीक्षा में कहा गया है कि अप्रैल 2019 से दिसंबर 2021 के बीच दिल्ली में 5,000 से अधिक पंजीकृत स्टार्टअप बढ़े जबकि बेंगलूरु में 4,514 स्टार्टअप बढ़े।
बजट सत्र के आरंभ में संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश में स्टार्टअप क्षेत्र के लिए बन रहे माहौल में आज तक 6,00,000 से अधिक नौकरियों का सृजन हुआ है। कुल 11,308 स्टार्टअप के साथ महाराष्ट्र में पंजीकृत स्टार्टअप की संख्या सर्वाधिक है। 2021 में देश में 44 स्टार्टअप ने यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए अमेरिका और चीन के बाद यूनिकॉर्न की संख्या के मामले में तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। 2021 में अमेरिका में 487 और चीन में 301 नए यूनिकॉर्न बने। 14 जनवरी, 2022 तक भारत में 83 यूनिकॉर्न थे जिनका कुल मूल्यांकन 277.77 अरब डॉलर है।
बहरहाल, देश में नए पंजीकृत स्टार्टअप की संख्या 2021-22 में 14,000 के पार हो गई है जो 2016-17 में केवल 733 थी। इसके परिणामस्वरूप अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप परितंत्र वाला देश बन गया है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि विगत तीन वर्षों में अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप की संख्या 2019 के 11 से बढ़कर 2021 में 47 हो गई। इसके लिए जिम्मेदार महत्त्वपूर्ण कारकों में से एक है देश में अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए पूर्वानुमान लगाने वाली, आगे की ओर देखने वाली, अच्छी तरह से परिभाषित और सक्षम नियामकीय व्यवस्था है। इस दिशा में पहला काम स्पेसकॉम और स्पेसआरएस नीतियों का अद्यतन था। क्रमश: परंपरागत उपग्रह संचार और रिमोट सेंसिंट क्षेत्रों को और अधिक उदार बनाया गया और इन क्षेत्रों में उद्यमियों को एंड-टू-एंड गतिविधियों के लिए सक्षम बनाया गया। आर्थिक समीक्षा में यह भी रेखांकित किया गया है कि देश में सरकार की अधिकांश स्टार्टअप आईटी/सूचना आधारित क्षेत्र में है। बौद्घिक संपदा विशेष तौर पर पेटेंट इस ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के लिए अहम हैं। देश में पेटेंट फाइल करने और उसकी मंजूरी मिलने में धीरे धीरे इजाफा हो रहा है। देश में दाखिल किए जाने वाले पेटेंटों की संख्या 2010-11 के 39,400 से बढ़कर 2016-17 में 45,444 और 2020-21 में 58,502 पर पहुंच गई।
