सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने कहा है कि दूरसंचार कंपनियों के सार्वभौम सेवा बाध्यता (USO) भुगतान को तब तक के लिए टाला जाना चाहिए, जब तक मौजूदा फंड खत्म नहीं हो जाता। यह अब तक की सबसे कड़ी मांग है।
सीओआई में सभी 3 निजी दूरसंचार सेवा प्रदाता (टीएसपी) कंपनियां रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया शामिल हैं। सीओएआई ने बुधवार को वित्त मंत्रालय को भेजे बजट पूर्व सुझाव में इस सेक्टर के लिए सुधारात्मक कर के दौर की मांग की है।
सरकार ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं पर उनके सालाना समायोजित सकल राजस्व पर 5 प्रतिशत शुल्क लगाया है। यह राशि दूरसंचार विभाग के सार्वभौम सेवा बाध्यता कोष में जाती है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि 30 अक्टूबर, 2022 तक इसमें 64,774 करोड़ रुपये पड़ा हुआ है, जिसका इस्तेमाल नहीं हुआ।
सीओएआई ने बजट पूर्व मांग में टेलको द्वारा भुगतान किए जाने वाला लाइसेंस शुल्क 3 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत किए जाने की मांग की है।
उद्योग संगठन ने सकल राजस्व (जीआर) की मौजूदा परिभाषा के खिलाफ भी तर्क दिया है। टेलीकॉम एक्टिविटी को इस समय परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन इसमें टेलीकॉम एक्टिविटी मानी जाने वाली सभी गतिविधियों को शामिल किया जा सकता है। सीओएआई ने मांग की है कि जीआर की स्पष्ट परिभाषा होनी चाहिए।
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सीओएआई ने दूरसंचार उपकरणों पर सीमा शुल्क घटाए जाने की मांग की है और कहा है कि 5जी में निवेश के कारण दूर संचार कंपनियों की लागत कुशलता प्रभावित हो रही है। घरेलू स्तर पर उपलब्धता न होने के कारण 85 प्रतिशत दूरसंचार उपकरणों का आयात होता है। सीओएआई ने कहा है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के मामले में केंद्रीकृत पंजीकरण की प्रक्रिया और आकलन होना चाहिए।