उपभोक्ता कंपनियां अपना कारोबार बढ़ाने और नई श्रेणियों में उतरने के लिए अधिग्रहण एवं विस्तार की संभावनाएं तलाश रही हैं, जिससे इस क्षेत्र में सौदों की संख्या बढ़ रही है। उद्योग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में सौदों की कुल संख्या बढ़कर 74 हो गई, जो पिछले साल जनवरी-मार्च में 45 थी। इसके अलावा इस क्षेत्र में सौदों का कुल मूल्य बढ़कर 1.4 अरब डॉलर हो गया है, जो पिछले साल की इसी तिमाही में 56.6 करोड़ डॉलर था।
उपभोक्ता क्षेत्र में इस तिमाही के दौरान विलय एवं अधिग्रहणों की संख्या 21 से बढ़कर 42 हो गई, जबकि ऐसे सौदों का कुल मूल्य 38.4 करोड़ डॉलर से बढ़कर 46.9 करोड़ डॉलर होने का अनुमान है।
हालांकि निजी इक्विटी (पीई) सौदों की संख्या घटी है, लेकिन इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में पीई सौदों का मूल्य भारी वृद्धि के साथ 91.63 करोड़ डॉलर रहा, जो पिछले साल की इसी तिमाही में केवल 18.18 करोड़ डॉलर था।
विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा मुख्य रूप से डिजिटल उपभोक्ता कंपनियों, खास तौर पर सौंदर्य और पर्सनल केयर क्षेत्र की कंपनियों की बदौलत संभव हुआ है। ईवाई इंडिया के नैशनल लीडर (उपभोक्ता उत्पाद एवं रिटेल) अंशुमन भट्टाचार्य ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘अब भी ज्यादातर सौदे इंटरनेट उपभोक्ता कंपनियों में हो रहे हैं। ब्यूटी और पर्सनल केयर क्षेत्र में पीई और रणनीतिक प्रायोजकों की अगुआई में तगड़ा एकीकरण हो रहा है। प्लेटफॉर्म एग्रीगेशन के जरिये ब्रांडों का एक समूह विकसित करने का रुझान बने रहने के आसार हैं।’
मगर निवेश सलाहकार कंपनी यूनाप्राइम के संस्थापक एवं मुख्य कार्य अधिकारी सुधीर दास मानते हैं कि उपभोक्ता क्षेत्र में भारी एकीकरण हो रहा है, जिससे सौदों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा, ‘बड़े स्तर पर काम करने का अर्थशास्त्र आखिरकार लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि बड़े पैमाने से वितरण और खरीद लागत में फायदा मिलता है। सीधे उपभोक्ता से जुड़ाव वाली कंपनियों से विलय एवं अधिग्रहण और निजी इक्विटी निवेश में वृद्धि में मदद मिल रही है मगर दिग्गज कंपनियां भी काफी रुचि दिखा रही हैं।’
दास ने कहा कि जब एकीकरण होता है तो बेहतर मार्जिन और साझा वितरण प्रणाली का लाभ मिलता है और ऐसा लगता है कि हर कोई इसका लाभ ले रहा है। इसके अलावा तकनीक इस श्रेणी में बदलाव लाने और बड़े पैमाने तक पहुंचने में मदद कर रही है। उन्होंने कहा, ‘अब उपभोक्ता ब्रांड शुरू करने के लिए वितरण नेटवर्क जरूरी नहीं है। अब ब्रांडों के पास विस्तार के लिए वैकल्पिक स्रोत हैं।’
उन्होंने ‘ममा अर्थ’ का उदाहरण दिया। यह स्थानीय ब्रांड उपभोक्ता की विशेष जरूरत पूरी कर रहा है। तकनीक ने ऐसे ब्रांडों को ग्राहकों तक पहुंचने और स्थानीय जरूरतें पूरी करने में मदद दी है।
ग्रांट थॉर्नटन में साझेदार धनराज भगत ने कहा कि उपभोक्ता क्षेत्र में तकनीक की अहम भूमिका होने जा रही है, जिससे इस क्षेत्र में सौदों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा, ‘ब्यूटी और पर्सनल केयर ब्रांड मुख्य रूप से ऑनलाइन पेश किए जा रहे हैं और अगले पांच साल में उपभोक्ता एवं खुदरा वृद्धि का एक बड़ा हिस्सा डिजिटल क्षेत्र से आना शुरू हो जाएगा।’
