वितरकों ने कीमत में समानता पर चर्चा करने के लिए एफएमसीजी कंपनियों को दूसरा पत्र लिखा है। उनका कहना है कि संगठित बिजनेस टु बिजनेस (बी2बी) वितरक कंपनियों को पारंपरिक व्यापारियों के मुकाबले अधिक मार्जिन दिया जा रहा है। इससे उनका कारोबार प्रभावित हो रहा है।
एक वितरक के अनुसार, मैरिको ने पारंपरिक व्यापार और संगठित बी2बी व्यापार चैनलों के बीच अलग-अलग पैकिंग की बिक्री करने का प्रस्ताव दिया है। डाबर इंडिया और कोलगेट पामोलिव (इंडिया) ने भी दोनों चैनलों की मौजूदगी में सामंजस्य बिठाने के मुद्दे पर चर्चा के लिए कदम बढ़ाए हैं। लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। वाटिका हेयर ऑयल और रियल फू्रट जूस बनाने वाली कंपनी डाबर ने पारंपरिक व्यापार एवं संगठित व्यापार टीमों को एकीकृत करने का प्रस्ताव दिया है ताकि अधिक राजस्व के लिए कोई प्रतिस्पर्धा न हो सके। उसका कहना है कि इससे सभी चैनलों को समान मार्जिन मिल सकेगा।
नेस्ले इंडिया ने पुष्टि की है कि उसे दूसरा पत्र मिला है जबकि अन्य एफएमसीजी कंपनियों ने इस बाबत बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया। इस बाबत जानकारी के लिए रेकिट बेंकिजर इंडिया, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज, हिंदुस्तान यूनिलीवर, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, डाबर इंडिया, मैरिको, कोलगेट पामोलिव, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स और मोंडलीज इंडिया को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं आया।
एफएमसीजी उत्पाद के वितरकों के शीर्ष संगठन ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (एआईसीपीडीएफ) ने कीमतों में समानता के लिए कंपनियों को 4 दिसंबर को अपना पहला पत्र लिखा था। उनका कहना था कि पारंपरिक वितरकों एवं अन्य बी2बी वितरण कंपनियों के बीच ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों चैनलों के लिए कीमत समान होनी चाहिए।
यह विवाद एफएमसीजी कंपनियों द्वारा जियोमार्ट, मेट्रो कैश ऐंड कैरी एवं ब्रोकर जैसे ऑफलाइन कंपनियों और उड़ान एवं एलास्टिक रन जैसी ई-कॉमर्स बी2बी कंपनियों को दिए जा रहे अधिक मार्जिन को लेकर पैदा हुआ है। एआईसीपीडीएफ का कहना है कि इससे पारंपरिक वितरकों के कारोबार को काफी नुकसान हो रहा है। देश में पारंपरिक वितरकों की संख्या 4,50,000 से अधिक है। संगठन ने इस मुद्दे को निपटाने के लिए एफएमसीजी कंपनियों के साथ बैठक करने की मांग की थी।
पारंपरिक वितरक रिटेलरों को 8 से 12 फीसदी मार्जिन की पेशकश करते हैं जबकि बड़े संगठित बी2बी स्टोरों और ऑनलाइन वितरकों द्वारा 15 से 20 फीसदी मार्जिन की पेशकश की जाती है।
अपने पहले पत्र में एआईसीपीडीएफ ने कहा था कि यदि उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया है तो वे 1 जनवरी 2022 से एफएमसीजी कंपनियों के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू करेंगे। मांगों की सूची में वितरकों ने देश में सभी वितरण चैनलों के लिए समान मूल्य निर्धारण एवं समान योजनाओं की बात कही है।
