चैटजीपीटी बनाने वाली अमेरिकी कंपनी ओपनएआई ने भारत में अपना डेटा सेंटर स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि कंपनी ने भारत में अपने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस टूल्स के व्यापक उपयोग और लगातार बढ़ रही उपयोगकर्ताओं की संख्या के मद्देनजर यह पहल की है।
इस मामले से अवगत एक व्यक्ति ने कहा कि इस डेटा सेंटर में भारतीय उपयोगकर्ताओं और कुछ छोटे पड़ोसी देशों के डेटा का भंडारण किया जा सकता है। एक सूत्र ने कहा, ‘फिलहाल वे कुछ डेटा सेंटर ऑपरेटरों से बात कर रहे हैं और यह उनकी योजना का बिल्कुल शुरुआती चरण है। उन्हें यह तय करने में थोड़ा वक्त लग सकता
है कि डेटा सेंटर कहां स्थापित किया जाएगा और उसकी क्षमता क्या होगी।’
हालांकि कंपनी ने भारत में अपने डेटा सेंटर का परिचालन शुरू करने के लिए किसी समय सीमा को अंतिम रूप नहीं दिया है। मगर सूत्रों ने बताया कि ओपनएआई इस प्रक्रिया को इसी साल पूरा करना चाहती है। इस बाबत जानकारी के लिए ओपनएआई को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिला। फिलहाल ओपनएआई अपने डेटा सेंटर का परिचालन अमेरिका के टेक्सस से करती है। वहीं उसके अधिकतर सर्वर भी मौजूद हैं। मगर ओपनएआई दुनिया भर में मौजूद अपने तमाम उपयोगकर्ताओं को सेवाएं प्रदान करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट की एज्योर क्लाउड का उपयोग करती है।
अगर भारत में डेटा सेंटर स्थापित करने की ओपनएआई की योजना साकार होती है तो भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल होगा जहां कंपनी के कार्यालय के साथ-साथ डेटा सेंटर भी मौजूद हैं। ओपनएआई के टोक्यो, पेरिस, ब्रसेल्स, न्यूयॉर्क, सिएटल, सिंगापुर, सैन फ्रांसिस्को, लंदन और डबलिन में कार्यालय हैं।
भारत ओपनएआई के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है। यहां उसके उपयोगकर्ताओं की संख्या 2024 तक तीन गुना बढ़ चुकी है। कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी सैम ऑल्टमैन ने पिछले दिनों अपनी भारत यात्रा के दौरान यह बात कही थी। ऑल्टमैन 5 फरवरी को भारत दौरे पर आए थे। उन्होंने कहा, ‘भारत में लोग स्टैक, चिप्स, मॉडल के सभी स्तरों पर एआई के साथ अद्भुत ऐप्लिकेशन बना रहे हैं। यह देखकर मुझे लगता है कि भारत को सबकुछ करना चाहिए। यह देखना वाकई आश्चर्यजनक है कि इस देश ने क्या किया है और इस प्रौद्योगिकी को किस प्रकार अपनाया है।’
एक दिन बाद बिज़नेस स्टैंडर्ड ने विशेष खबर दी थी कि ओपनएआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने दो अलग-अलग बैठकें की हैं। उनकी पहली बैठक प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय और भारत में अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों के साथ हुई। दूसरी बैठक प्रौद्योगिकी नीतियों की वकालत करने वाले समूहों के साथ हुई थी जिसका आयोजन टीक्यूएच (द क्वांटम हब) द्वारा किया गया था।
सूत्रों ने उस समय बताया कि बंद दरवाजों के पीछे आयोजित इन दोनों बैठकों में ओपनएआई के उपाध्यक्ष (इंजीनियरिंग) श्रीनिवास नारायणन सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने कंपनी के उत्पाद एवं पेशकश के बारे में बताया था। साथ ही उन्होंने कंपनी की योजनाओं के लिए भारत के महत्त्व पर भी बात की थी ।
दूसरी बैठक में 20 से 25 उद्योग संगठनों एवं प्रौद्योगिकी नीतियों की वकालत करने वाले समूहों ने भाग लिया जिनमें नैसकॉम, टीक्यूएच, द डायलॉग, ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम, बीएसए, द सेंटर फॉर इंटरनेट ऐंड सोसाइटी, यूथ की आवाज के प्रतिनिधि शामिल थे। इसके अलावा साइरिल अमरचंद मंगलदास एवं शार्दुल अमरचंद मंगलदास जैसी कानूनी फर्मों के प्रतिनिधि भी बैठक में शामिल थे।
ओपनएआई के लिए एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण सबसे अहम मामला है। इसी साल जनवरी में उसने ओरेकल और सॉफ्टबैंक के साथ मिलकर 500 अरब डॉलर के स्टारगेट कार्यक्रम की घोषणा की है।