टाटा संस के पूर्व चेयरमैन और बिज़नेस टाइकून साइरस मिस्त्री का रविवार को सड़क हादसे में निधन हो गया। वे 54 साल के थे।
साइरस मिस्त्री के आकस्मिक निधन पर PM Modi से लेकर देश की कई दिग्गज हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है।
बता दें कि साइरस मिस्त्री शापूरजी पलोनजी परिवार से थे। शापूरजी पलोनजी समूह के मालिक साइरस Tata Group के सबसे बड़े शेयर होल्डर थे। वह 1991 में एक निदेशक के रूप में शापूरजी पलोनजी समूह में शामिल हुए।
साथ ही शापूरजी पलौंजी समूह की टाटा संस में 18.37 फीसदी हिस्सेदारी है।
2006 में टाटा संस से जुड़े साइरस मिस्त्री
साल 2006 में पालोनजी मिस्त्री के छोटे बेटे साइरस मिस्त्री ने टाटा संस के साथ पारी की शुरुआत की थी। 2012 में जब रतन टाटा की जगह नया चेयरमैन चुना जाना था तब काफी समय की खोज के बाद ही साइरस मिस्त्री को इस पद के लिए चुना गया था।
गौरतलब है कि साइरस मिस्त्री को बिजनेस जगत में अपनी बेमिसाल व्यवसायिक सूझबूझ के लिए जाना जाता था। ऐसा मानना था कि साइरस का विजन व्यापक था।
हालांकि टाटा संस में शुरु हुए कुछ अंदरुनी विवादों के चलते उन्हें 4 साल के बाद ही चेयरमैन पद से हटा दिया गया था। इसके बाद से ही टाटा संस और साइरस मिस्त्री के बीच का विवाद सुर्खियों में बना हुआ था।
जानिए विवाद के बारे में
Tata Group और साइरस मिस्त्री के बीच विवाद तब शुरू हुआ था जब मिस्त्री ने Tata Sons में हो रही कथित गड़बड़ियों को लेकर NCLT में Company Act, 2013 के कई सेक्शंस के तहत शिकायत दर्ज कराई थी। मिस्त्री ने Tata Group के एयरलाइन बिजनेस में भी वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर आरोप लगाए थे। इसमें एयरएशिया भी शामिल थी। मिस्त्री का आरोप था कि एयरएशिया इंडिया में ट्राजेक्शंस में फ्रॉड हुआ था, जो फोरेंसिक इनवेस्टिगेशन पर आधारित थे।
उन्होंने इस मामले के बारे में बताने के लिए टाटा संस के डायरेक्टर्स को लेटर भी लिखा था।
हालांकि, टाटा ग्रुप ने उनके इन आरोपों को खारिज कर दिया था। इस मामले के बाद से दोनों की लड़ाई अदालत में पहुंच गई।
इस मामले के बाद ही बोर्ड के ज्यादातर सदस्यों की सहमति के बाद 2016 में मिस्त्री को टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था।
2017 में टाटा संस ने एन चंद्रशेखर को नया चेयरमैन नियुक्त किया। बता दें कि उस समय चंद्रशेखर टाटा समूह की आईटी कंपनी TCS के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर थे।
दिसंबर 2020 में इस विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने सुनवाई शुरू की। मार्च 2021 में सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बेंच ने इस मामले में अपना अंतिम फैसला सुनाया।
फैसला टाटा ग्रुप के पक्ष में आया। साथ ही अपीलीय अदालत के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें मिस्त्री को फिर से टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद पर बहाल करने का फैसला दिया गया था।
बता दें कि 2022 में मिस्त्री के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट के 2021 के फैसले को चुनौती देते हुए पुनर्विचार याचिका दाखिल की। कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को मई में खारिज कर दिया था।
टाटा संस के सबसे युवा चेयरमैन थे मिस्त्री
साइरस मिस्त्री टाटा संस के सबसे युवा चेयरमैन थे, जिन्हे रतन टाटा के रिटायरमेंट के बाद चुना गया था। साथ ही मिस्त्री Tata Group के इतिहास में दूसरे ऐसे शख्स थे जिनका सरनेम ‘Tata’ नहीं था। वहीं नौरोजी सकलतवाला टाटा समूह के पहले गैर टाटा अध्यक्ष थे।
बता दें कि 2016 में मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद फिर से रतन टाटा ने अंतरिम चेयरमैन के रूप में टाटा समूह की कमान अपने हाथ में ले ली थी।