भारतीय ऋणदाताओं की नजर शापूरजी पलोंजी (एसपी) समूह और टाटा समूह के बीच मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर टिकी हुई है। माना जा रहा है कि शापूरजी पलोंजी के पक्ष में फैसला आने से निर्माण क्षेत्र के लिए वित्त पोषण के नए रास्ते खुलेंगे।
कोविड-19 महामारी से प्रभावित कंपनियों के लिए केवी कामत समिति के सुझावों को ध्यान में रखते हुए एसपी समूह की कई कंपनियों ने दिसंबर की समय-सीमा से पहले ऋण पुनर्गठन के लिए आवेदन किया था।
पिछले कुछ महीनों में, समूह की प्रमुख कंपनी शापूरजी पलोंजी ऐंड कंस्ट्रक्शन (एसपीसीपीएल) ने ऋणदाताओं को कोई ऋण भुगतान नहीं किया है, क्योंकि एकमुश्त पुनर्गठन प्रक्रिया पहले ही शुरू हो गई थी। सितंबर में, 530 करोड़ रुपये के मुक्त बैंक बैलेंस में कोष की उपलब्धता के बावजूद यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के लिए बकाये का भुगतान नहीं किया गया था।
जहां एसपी समूह के अधिकारियों का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले और ऋण पुनर्गठन योजनाओं का आपस में कोई संबंध नहीं है, वहीं ऋणदाताओं का कहना है कि यदि न्यायालय उसे टाटा संस में अपने शेयर गिरवी रखने की अनुमति देता है तो समूह बड़ी रकम जुटाने में सक्षम होगा। टाटा संस में मिस्त्री परिवार की 18.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि शेष पर टाटा ट्रस्ट्स और टाटा समूह कंपनियों का स्वामित्व है।
सुनवाई के दौरान, जहां टाटा समूह ने मिस्त्री परिवार की हिस्सेदारी की वैल्यू 80,000 करोड़ रुपये पर अनुमानित की, वहीं मिस्त्री समूह शेयर कीमतों में ताजा तेजी को ध्यान में रखते हुए 1 लाख करोड़ रुपये ज्यादा की उम्मीद कर रहा है।
पिछले साल अप्रैल में, वित्तीय दिग्गज केकेआर ने शापूरजी पलोंजी इन्फ्रास्ट्रक्चर कैपिटल की पांच चालू सौर ऊर्जा परिसंपत्तियां 1,554 करोड़ रुपये में खरीदी थीं। समूह ने इस रकम का इस्तेमाल अपने निर्माण व्यवसाय में कर्ज घटाने के लिए किया। लेकिन यह रकम अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं थी, क्योंकि देशव्यापी लॉकडाउन के बाद पूरा निर्माण व्यवसाय ठप हो गया था और बिक्री गिरकर सबसे निचले स्तर पर आ गई थी। बाद में समूह ने टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी गिरवी रखने की कोशिश की, लेकिन टाटा समूह अदालत चला गया और कोष उगाही सौदे पर रोक लग गई।
एसपीसीपीएल कई बैंकों के लिए ऋणों के भुगतान में विफल रही, जिनमें उसकी सूचीबद्घ सहायक इकाई स्टर्लिंग ऐंड विल्सन भी शामिल है। एक अन्य सूत्र ने कहा कि समूह स्टर्लिंग ऐंड विल्सन में 2,200 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी, भूमि बिक्री पर विचार कर सकता है और अपना ऋण परियोजना स्तर पर पुनर्गठित कर सकता है।
