कच्चे तेल की कीमतें हालांकि अपने शीर्ष से नीचे आ गई हैं, लेकिन उपभोक्ता और टायर कंपनियां अब भी काफी सावधान हैं क्योंकि कच्चे तेल के उत्पादों की कीमतों में अभी तक नरमी नहीं आई है।
साथ ही कंपनियों का कहना है कि कच्चे तेल के हाजिर दाम मौजूदा स्तर पर बने रहने चाहिए ताकि सरकार द्वारा ईंधन की कीमतों में कमी के रूप में इसका असली असर देखा जा सके। भारतीय कंपनियों तभी इस असर को महसूस कर पाएंगी।
अदाणी विल्मर के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अंशु मलिक ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि हालांकि कच्चे तेल के दामों में कम हुए हैं (शीर्ष स्तर से), लेकिन पैकेजिंग सामग्री के दामों पर असर होना अभी बाकी है और यह हमारे लिए कोई बड़ा घटक नहीं है। सरकार ने अभी तक ईंधन के दाम कम नहीं किए हैं, इसलिए माल ढुलाई के दामों में अभी कमी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा ईंधन की कीमतों में कमी को आगे स्थानांतरित करने पर सकारात्मक प्रभाव देखा जाएगा।
पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने कहा कि कच्चे तेल में उतार-चढ़ाव अब भी है और अगर कीमतें इस स्तर पर बनी रहती हैं, तो कुछ असर दिखना शुरू हो सकता है। लेकिन प्लास्टिक वगैरह जैसे कच्चे तेल के उत्पादों में गिरावट शुरू होने में वक्त लगता है। अभी कुछ कहना जल्द बाजी होगी।
शाह ने यह भी कहा कि चीन में उत्पादन फिर से शुरू होने की वजह से हो सकता है कि कच्चे तेल में इन स्तरों से खासी गिरावट न आए।
जायडस वेलनेस के मुख्य कार्याधिकारी तरुण अरोड़ा ने कहा कि पैकेजिंग की लागत अपने शीर्ष स्तर से कम हो चुकी है। अरोड़ा ने कहा ‘हालांकि प्लास्टिक पिछले दो से तीन महीनों में फिर से चढ़ गई, लेकिन (इस बार) यह चक्रीय है और शीर्ष स्तर पर नहीं है। माल ढुलाई की लागत भी स्थिर हो गई है। मेरा मानना है कि नया स्तर स्थापित हो चुका है।’
उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी दिक्कत महंगाई की थी, जो वर्ष 2020 से 2022 तक लगातार बढ़ी है और हम रफ्तार कायम नहीं रख पाए। लेकिन अब यह मामला नहीं है। कुछ महंगाई सामान्य है।
सीएट के सीएफओ और कार्यकारी निदेशक कुमार सुब्बैया ने कहा कि फिलहाल इस बात के संबंध में कोई निश्चितता नहीं है कि टायर बनाने में इस्तेमाल होने वाले पेट्रोकेमिकल उत्पादों की कीमतें आने वाले महीनों में गिरेंगी या नहीं, भले ही कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के संकेत दिखाई दिए हों। सुब्बैया ने कहा कि सिंथेटिक रबर बनाने में इस्तेमाल होने वाले ब्यूटाडीन के दाम इस जनवरी से करीब 20 फीसदी तक बढ़ चुके हैं।
टायर कंपनियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पेट्रोकेमिकल उत्पाद जैसे ब्यूटाडीन और कैप्रोलैक्टम के दाम मांग-आपूर्ति की वैश्विक स्थिति पर निर्भर करती हैं और इसमें चीन एक प्रमुख भागीदार है।