वैश्विक बाजार में टेस्ला जैसे कंपनियों की प्रतिस्पर्धी वियतनाम की इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माता विनफास्ट ने तमिलनाडु के तुत्तूकुडी में अपनी 16,000 करोड़ रुपये की ईवी विनिर्माण इकाई का निर्माण शुरू करके भारत में अपने पैर जमा लिए हैं। कंपनी पहले ही लगभग दो वर्षों के लिए अपनी कारों पर आयात शुल्क में कटौती की मांग कर चुकी है जब तक कि ग्राहक इस ब्रांड से परिचित न हो जाएं और उसकी तमिलनाडु इकाई शुरू न हो जाए।
रविवार को इस वैश्विक दिग्गज कंपनी ने अपने एकीकृत ईवी केंद्र के पहले चरण का निर्माण शुरू कर दिया। शुरुआत में इसमें 4,000 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है और इससे 10,000 से अधिक नौकरियां पैदा होंगी। तुत्तूकुडी परियोजना का लक्ष्य इस क्षेत्र में 1,50,000 वाहनों तक की वार्षिक क्षमता के साथ प्रथम श्रेणी के इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित करना है।
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी फाम सान्ह चाऊ ने रविवार को कहा कि उसने पहले ही आयात शुल्क में दो साल की कटौती का प्रस्ताव दे दिया है। उसने कारों की कुछ संख्या के लिए इसे कम करके 70 से 80 प्रतिशत तक करने की मांग की है।
कंपनी के अनुसार ऐसा तब तक है, जब तक कि ग्राहक ब्रांड से परिचित नहीं हो जाते। पिछले साल नवंबर में चाऊ को भारत में कंपनी का मुख्य कार्याधिकारी नियुक्त किया गया था।
चाऊ ने साल 2018 और 2022 के बीच भारत, नेपाल तथा भूटान में वियतनामी राजदूत के रूप में भी काम किया था। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अब भी कंपनी के अनुरोध पर विचार कर रही है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब उसकी प्रतिस्पर्धी टेस्ला ने भी पूरी तरह से निर्मित ईवी पर आयात शुल्क में 100 प्रतिशत कटौती का अनुरोध किया था। टेस्ला का प्रवेश धीमी पड़ गया है क्योंकि सरकार की ओर से अभी तक इस संबंध में कोई अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं आई है।
ईवी के मामले में वर्तमान में तमिलनाडु स्पष्ट रूप से अग्रणी है क्योंकि भारत में बिकने वाले 70 प्रतिशत से अधिक इलेक्ट्रिक दोपहिया और 40 प्रतिशत इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहन इसी राज्य में निर्मित होते हैं। राज्य सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन वर्षों में तमिलनाडु में 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, जिससे 31 लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा हुईं।