कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक प्रमोद अग्रवाल ने सोमवार को कहा कि कोयले की कीमत बढ़ने का बहुत मजबूत आधार है।
सरकारी कोयला खनन कंपनी ने पिछली बार जनवरी 2018 में 10 प्रतिशत से ज्यादा कीमत बढ़ाई थी। कीमत में बढ़ोतरी के पक्ष में तर्क देते हुए अग्रवाल ने कहा, ‘पिछले 5 साल से महंगाई का जितना बोझ आया, हमने उसे समायोजित किया। इस साल वेतन में बढ़ोतरी की गई है, जिससे कोल इंडिया की वित्तीय सेहत पर असर पड़ेगा। खासकर इसकी 2-3 सहायक इकाइयां प्रभावित होंगी, जिनका मानव संसाधन पर खर्च बहुत ज्यादा है। इनमें ईसीएल (ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड), डब्ल्यूसीएल (वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड), बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोलफील्ड्स लिमिटेड) शामिल हैं। अगर कीमत नहीं बढ़ाई गई तो ढेर सारी समस्या आ सकती है।’ एम-जंक्शन द्वारा आयोजित इंडियन कोल मार्केट्स कॉन्फ्रेंस में कोयले की कीमत में बढ़ोतरी की संभावना के बारे में मांगी गई जानकारी का जवाब देते हुए अग्रवाल ने यह कहा।
कीमत में वृद्धि को लेकर हिस्सेदारों के साथ चर्चा चल रही है और जल्द ही ऐसा हो सकता है। अग्रवाल ने कहा कि यद्यपि कोल इंडिया को कोयले की कीमत बढ़ाने की शक्ति है, लेकिन इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए सभी हिस्सेदारों को भरोसे में लेना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘इसके लिए प्रक्रिया चल रही है। मुझे लगता है कि बहुत जल्द ही फैसला ले लिया जाएगा, जिससे कोल इंडिया कोयले की उचित कीमत मिल सके।’
बहरहाल अग्रवाल ने कहा, ‘देश के आर्थिक विकास के लिए यह इतना अहम है कि इसमें एकतरफा बढ़ोतरी नहीं की जा सकती।’
कोयले की कीमत में बढ़ोतरी के बारे में अंतिम फैसला कब तक हो जाएगा, इसके बारे में कोल इंडिया के डायरेक्टर (टेक्निकल) और डायरेक्टर (फाइनैंस) का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे बी वीरा रेड्डी ने कहा, ‘तमाम हिस्सेदारों और बिजली मंत्रालय से हमें इस पर आम सहमति बनाना है। हम पहले ही इस मसले पर कोयला मंत्रालय के साथ चर्चा कर रहे हैं।’
कोयले के उत्पादन लागत में भले ही बढ़ोतरी हो गई है, कोल इंडिया लगातार उत्पादन बढ़ाता रहा है। इस साल 70 करोड़ टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रका गया है, जबकि अगले साल के लिए 78 करोड़ टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
अग्रवाल ने कहा कि अगले साल 8 करोड़ टन अतिरिक्त कोयला उत्पादन का लक्ष्य मुश्किल है, लेकिन कोल इंडिया देश की जरूरतों को पूरा करने को प्रतिबद्ध है। 2025-26 तक हमारा उत्पादन बढ़कर 1 अरब टन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि बहरहाल यह देश की जरूरत पर निर्भर होगा। निजी क्षेत्र के प्रदर्शन और देश की वृद्धि दर से कोल इंडिया का 2025-26 का लक्ष्य संचालित होगा।
अग्रवाल ने कहा कि अगर 1 अरब (टन) की जरूरत नहीं होती तो मुझे उम्मीद है कि इसी के आसपास कोयले की जरूरत होगी क्योंकि हमारा कोयला दुनिया में सबसे सस्ता है।
निजी और वाणिज्यिक खदानें
देश की नजर निजी और वाणिज्यिक उत्पादन के लिए आवंटित खदानों से उत्पादन पर है। वर्चुअल रूप से कॉन्फ्रेंस में शामिल कोयला सचिव अमृतलाल मीणा ने कहा कि इस साल निजी व वाणिज्यिक खदानों की देश के कुल कोयला उत्पादन में हिस्सेदारी 15 प्रतिशत होगी।
पिछले साल कोयला उत्पादन 8.9 करोड़ टन था, जबकि इस साल 11.2 करोड़ टन रहने की संभावना है।
कोयला सचिव ने कहा, ‘अगले 2-3 साल में हमें उम्मीद है कि वाणिज्यिक और निजी खदानें उत्पादन बढ़ाएंगी।’ वित्त वर्ष 2023-24 में निजी और वाणिज्यिक खदानों से उत्पादन 16. करोड़ टन रहेगा।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय कोयले का उत्पादन बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहा है, जिससे न सिर्फ बिजली क्षेत्र, बल्कि अर्थव्यवस्था के अन्य सभी क्षेत्रों को पर्याप्त कोयला मिल सके।