वैश्विक ऊर्जा समाधान प्रदाता शेवरॉन बेंगलूरु में अपने नए शोध एवं विकास केंद्र ‘शेवरॉन इंजीनियरिंग ऐंड इनोवेशन ऐक्सीलेंस सेंटर’ (इंजिन) पर 1 अरब डॉलर का निवेश कर रही है। भारत में यह कंपनी का पहला प्रमुख इंजीनियरिंग एवं नवाचार केंद्र होगा।
शेवरॉन इंजिन बेलंदूर के निकट बनेगा और इसमें इंजीनियरिंग और डिजिटल सेवाओं से जुड़ी प्रतिभाएं रखी जाएंगी। 2025 के अंत तक लगभग 600 भर्तियां की जाएंगी, जिनकी संख्या समय गुजरने के साथ बढ़ाई जाएगी।
शेवरॉन इंडिया के कंट्री हेड अक्षय साहनी ने कहा कि शेवरॉन के 145 साल के इतिहास में इस केंद्र की स्थापना बडी उपलब्धि होगी। ह्यूस्टन और कैलिफोर्निया में एक बड़े तकनीकी केंद्र के अलावा कंपनी के पास एबरडीन में कुछ छोटी प्रयोगशालाएं हैं। भारत कंपनी के बड़े प्रौद्योगिकी केंद्रों में शुमार होगा।
साहनी ने एक वीडियो इंटरव्यू में बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम मानते हैं कि ऊर्जा क्षेत्र के लिए यह शानदार दौर है, जहां ऊर्जा की बढ़ती मांग पूरी करने के साथ ही भविष्य के लिए कम कार्बन उत्सर्जन वाली ऊर्जा व्यवस्था तैयार करने की दोहरी चुनौती है। यहां ‘इंजिन’ में लोग उन तकनीकी समाधानों की दिशा में काम करने में मदद करेंगे।’
कंपनी ने इंजीनियरिंग के सभी क्षेत्रों– मैकेनिकल, केमिकल, कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से भर्तियां करेगी। वह भूविज्ञान, भूभौतिकी और पर्यावरण विज्ञान विशेषज्ञों को भी रखेगी। साहनी ने जोर देकर कहा कि 13 अरब डॉलर का निवेश दिखाता है कि कंपनी धन लगाने के लिए ही नहीं बल्कि वैश्विक दक्षता की साझेदारी का संकल्प भी पूरा कर रही है।
यह केंद्र परिचालन संबंधित विश्वसनीयता में सुधार के साथ कम कार्बन वाले ऊर्जा समाधानों और कार्बन भंडारण के लिए जमीन के नीचे के भूविज्ञान पर भी ध्यान देगा। साहनी ने कहा कि बाहरी तकनीकी सेवाओं के साथ शेवरॉन की भागीदारी लगातार मददगार साबित होगी क्योंकि उसने बाहरी साझेदारियों और देसी भागीदारियों के लिए उसके पास योजनाएं हैं।
साहनी ने यह भी कहा कि भारत में खुद का केंद्र तैयार करने का मतलब यह नहीं है कि बाहरी तकनीकी सेवाओं की जरूरत या अहमियत कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि शेवरॉन कई वर्षों से भारत में है और प्रौद्योगिकी सेवा कंपनियों के साथ कंपनी के संबंध अच्छे रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘प्रौद्योगिकी सेवा कंपनियों ने हमारी कुछ जटिल परियोजनाओं और परिचालन सुविधाओं को तैयार करने में मदद की है। हम इंजीनियरिंग सेवा कंपनियों के साथ अपने अनुभव को बढ़ाकर उसका फायदा उठाना चाहते हैं।’
साहनी ने कहा कहा कि कंपनी को सभी तरह की भागीदारियों की जरूरत होगी और इसमें बाहरी सेवा प्रदाता भी होंगे। उन्होंने कहा, ‘कुछ मामलों में हम इसे बढ़ता देख रहे हैं क्योंकि अब हम भारत में हैं। अब हम पहले से ज्यादा भागीदारों के साथ काम कर पाएंगे। लेकिन कुछ मामलों में हम कंपनी के भीतर भी काम कर सकते हैं।’