केंद्र और राज्य सरकारों को इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के प्रोत्साहन पर ध्यान कायम रखना चाहिए क्योंकि शैशव अवस्था वाले इस उद्योग की वृद्धि दर बहुत अच्छी नहीं है और अगले पांच से सात वर्षों तक कम करों के रूप में समर्थन की जरूरत है।
किया इंडिया (Kia India) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और बिक्री एवं विपणन के राष्ट्रीय प्रमुख हरदीप सिंह बराड़ ने बातचीत में बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी। 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष के दौरान भारत में कुल 90,996 इलेक्ट्रिक कारें बेची गईं जो पिछले साल की तुलना में 91 प्रतिशत अधिक रही। फिर भी कुल कार बिक्री में इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी केवल 2.3 प्रतिशत ही रही। पड़ोसी देश चीन में ईवी की हिस्सेदारी करीब 25 प्रतिशत थी।
दक्षिण कोरियाई की इस कंपनी ने साल 2023 में बिना किसी वृद्धि के भारत में 2,55,000 गाड़ियां बेची थीं। एसयूवी मॉडल – सेल्टोस और सोनेट की सफलतापूर्वक दोबारा पेशकश से उत्साहित होकर कंपनी को उम्मीद है कि साल 2024 में पांच से सात प्रतिशत की वृद्धि होगी।
बराड़ के अनुसार ये दोनों मॉडल पिछले साल अपना जीवन चक्र पूरा करने के कारण हटाए जा रहे थे लेकिन अपने नए स्वरूप के बाद ये अब अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। जहां सोनेट के नए मॉडल को जनवरी में पेश किया गया था, वहीं सेल्टोस का नया मॉडल पिछले साल जुलाई में पेश किया गया था।
हाइब्रिड vs ईवी
चूंकि भारत का इरादा साल 2070 तक कार्बन न्यूट्रल होना है, इसलिए वाहन विनिर्माता आगे की बेहतर राह को लेकर एकराय नहीं हैं। मारुति सुजूकी और टोयोटा जैसी जापान की दिग्गज कंपनियां हाइब्रिड वाहनों पर कर कटौती पर जोर दे रही हैं।
उनका तर्क है कि अकेले ईवी ही उत्सर्जन में कमी का बोझ नहीं उठा सकते हैं। लेकिन टाटा मोटर्स (Tata Motors) जैसी देसी कंपनियां इस बात पर जोर दे रही हैं कि पूरी ताकत से केवल ईवी पर जोर देने से ही भारत की सड़कें कार्बन मुक्त हो सकती हैं। केंद्र सरकार जापानी कंपनियों के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को हाइब्रिड कारों पर कर कम करना चाहिए, बराड़ ने ना में जवाब दिया। उन्होंने कहा ‘सरकारी नीति में ईवी पर काफी ज्यादा ध्यान केंद्रित किया गया है। सभी ओईएम (मूल उपकरण विनिर्माताओं) ने ईवी में भारी निवेश किया है। अगर हम इस मोड़ पर हाइब्रिड लाने की कोशिश करेंगे तो इससे सभी निवेस बेपटरी हो जाएंगे।’
बराड़ ने कहा ‘जहां तक हाइब्रिड वाहनों की बात है, तो हमें किसी भी नीति में बदलाव नहीं करना चाहिए। हमें ईवी पर ध्यान कायम रखना चाहिए।’
पिछले कुछ महीने के दौरान तेलंगाना और कर्नाटक जैसी राज्य सरकारों ने ईवी पर रोड टैक्स फिर से लागू करने का फैसला किया।
बराड़ ने कहा कि कई राज्य सरकारें लाभ वापस ले रही हैं। पहले सड़क कर और पंजीकरण के लिहाज से शून्य कर था। अब कई राज्य उन्हें पहले ही तेल-गैस इंजन वाली कार के स्तर तक बढ़ा चुके हैं। हाल के दिनों में ईवी की ऑन-रोड कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे एक कारण यह भी है। इस वजह से मांग पर असर पड़ रहा है।
फिलहाल हाइब्रिड कारों पर देश में 28 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगता है, जो मॉडल के आधार पर अतिरिक्त उपकर शामिल करने के बाद 43 प्रतिशत से ज्यादा हो जाता है। इसके विपरीत इलेक्ट्रिक कारों पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है।