देश के सबसे बड़े सीमेंट बाजार में आपूर्ति भी सबसे ज्यादा होती है। इसके बावजूद यह बात शीर्ष कंपनियों को दक्षिण भारत के बाजार के लिए विस्तार योजनाओं का ऐलान करने से नहीं रोक पाई है। उद्योग के अधिकारियों और विश्लेषकों का मानना है कि इस आकर्षण से बुनियादी ढांचे के खर्च से उत्पन्न मांग को बढ़ावा मिल सकता है।
उद्योग की बड़ी कंपनियों और विश्लेषकों को उम्मीद है कि अंतरिम बजट में वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान बुनियादी ढांचे का संपूर्ण पूंजीगत व्यय बढ़कर 11.11 लाख करोड़ रुपये होने से न केवल सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि निजी निवेश भी आएगा। अधिकांश लोग इस बात से सहमत हैं कि दक्षिणी राज्यों को इन नई परियोजनाओं से फायदा होगा।
इंडिया सीमेंट्स के मुख्य विपणन अधिकारी पार्थसारथि रामानुजम ने कहा कि पहले बुनियादी ढांचे की 75 से 80 प्रतिशत परियोजनाएं उत्तर भारत में, मध्य प्रदेश के ऊपरी और इसके पश्चिमी हिस्से में होती थीं। अब दक्षिण भारत में नए हवाई अड्डे, बड़ी सड़क परियोजनाएं, बंदरगाह, मेट्रो रेल परियोजनाएं और ऊर्जा क्षेत्र की परियोजनाएं काफी लग रही हैं। बुनियादी ढांचे की 35 प्रतिशत परियोजनाएं अब इस क्षेत्र में चल रही हैं। पूर्वोत्तर में भी बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं की हिस्सेदारी बढ़ रही है।
पूर्वोत्तर ऐसा बाजार है, जिसका रैमको सीमेंट्स सहित दक्षिण की कुछ कंपनियां अक्सर फायदा उठाती हैं। दिसंबर 2023 तक दक्षिणी बाजार की कुल क्षमता 18.6 से 20 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
उद्योग के क्षमता उपयोग स्तर के संबंध में कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं रखे जाते हैं और इसलिए अनुमान अलग-अलग हैं। हालांकि हर कोई इसमें सुधार को लेकर आशावादी है। भारती सीमेंट कॉर्पोरेशन के निदेशक रविंदर रेड्डी ने कहा कि दक्षिण भारत के बाजार में अधिशेष क्षमता है। बुनियादी ढांचा क्षेत्र में प्रोत्साहन की वजह से हमारे क्षमता उपयोग में पांच से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। यह पहले 50 से 55 प्रतिशत था और अब बढ़कर 60 से 65 प्रतिशत हो गया है।
विश्लेषकों के अनुसार इस मांग में अधिकांश वृद्धि पिछले दो से तीन साल में हुई है। वे पूरे दक्षिण बाजार उद्योग के उपयोग को लगभग 55 प्रतिशत स्तर पर आंकते हैं।