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CCI ने विलय के लिए जारी किए नए नियम, 500 करोड़ से ज्यादा कारोबार वाली कंपनियों के लिए मंजूरी जरूरी

डिजिटल सेवाओं के मामले में भारत में उपयोगकर्ताओं की संख्या के आधार पर भारत में कारोबारी परिचालन का आकार निर्धारित किया जाएगा।

Last Updated- September 10, 2024 | 11:13 PM IST
CCI issues new rules for merger, approval required for companies with turnover of more than Rs 500 crore CCI ने विलय के लिए जारी किए नए नियम, 500 करोड़ से ज्यादा कारोबार वाली कंपनियों के लिए मंजूरी जरूरी

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (सीसीआई) ने विलय के लिए मंगलवार को नए नियम-कायदे जारी किए हैं। इन दिशानिर्देशों के बाद उन कंपनियों की संख्या बढ़ जाएगी जिन्हें अनिवार्य रूप से विलय से पहले सीसीआई की अनुमति लेनी होगी।

नए नियम-कायदों के अनुसार, जिन कंपनियों का सालाना कारोबार 500 करोड़ रुपये से अधिक है या जिन्होंने पिछले वित्त वर्ष में अपने कुल वैश्विक कारोबार का 10 फीसदी हिस्सा भारत में हासिल किया है, उनके बारे में यह माना जाएगा कि भारत में उनका व्यापक कारोबार परिचालन (एसबीओ) है। ऐसी कंपनियों को विलय से पहले सीसीआई की मंजूरी लेनी होगी।

डिजिटल सेवाओं के मामले में भारत में उपयोगकर्ताओं की संख्या के आधार पर भारत में कारोबारी परिचालन का आकार निर्धारित किया जाएगा।

किसी लेन-देन में सौदे का मूल्य 2,000 करोड़ रुपये से अधिक होने की स्थिति में भी सीसीआई से मंजूरी लेनी होगी बशर्ते कि जिस कंपनी में यह रकम जा रही है उसका भारत में व्यापक कारोबारी परिचालन हो। सौदे का मूल्य निर्धारित करने के लिए सीसीआई लेन-देन से पहले 2 वर्ष की अवधि के सभी पहलुओं पर विचार करेगा।

इन दिशानिर्देशों के आने से पहले सीसीआई विलय या अधिग्रहण की मंजूरी देने से पहले केवल ‘परिसंपत्ति’ एवं ‘राजस्व’ पर विचार करता था। सरकार प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम के दायरे में सौदे का मूल्य लाकर उन विलय सौदों पर नजर रखना चाहती है जो पुराने मानकों के आधार पर पकड़ में नहीं आ सकते थे।

शार्दूल अमरचंद मंगलदास ऐंड कंपनी में पार्टनर श्वेता श्रॉफ चोपड़ा ने कहा, ‘जब सौदे का मूल्य तय करने का कोई ठोस तरीका नहीं दिखेगा तो लक्षित कंपनी का भारत में व्यापक कारोबार होने की सूरत में इन नियमों के अंतर्गत विलय की जानकारी देना अनिवार्य होगा।

सीसीआई के नए दिशानिर्देश जारी होने के बाद कई लेन-देन सरकार की नजरों में आ जाएंगे क्योंकि सौदे के मूल्य की अधिकतम सीमा की शर्त पूरी होने पर लक्ष्य आधारित मामूली रियायत उपलब्ध नहीं होंगे।’ हालांकि, प्रतिस्पर्द्धा कानून के कई विशेषज्ञों का मानना है कि नवीनतम अधिसूचना से मौजूदा सौदे अटक सकते हैं।

चोपड़ा ने कहा, ‘मौजूदा सौदे पूरी होने की समय सीमा को लेकर अनिश्चितता बढ़ जाएगी। इसे देखते हुए सौदे में शामिल सभी पक्षों को इस बात का ख्याल रखना होगा कि कानून और उनके बीच टकराव की कोई स्थिति पैदा नहीं हो और वे दंड का भागी न बन जाएं।’ ये दिशानिर्देश कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा 10 सितंबर से लागू होने वाले कानून के प्रावधानों को अधिसूचित करने के एक दिन बाद आए हैं।

विशेषज्ञों ने कहा कि इन दिशानिर्देशों का मतलब है कि कंपनियों को 10 सिंतबर 2024 से पहले हुए या मंजूर हुए उन लेन-देन या सौदों की तत्काल समीक्षा करनी होगी जो अभी पूरे नहीं हुए हैं।

First Published - September 10, 2024 | 10:39 PM IST

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