केयर्न एनर्जी पीएलसी ने आज कहा कि वह विभिन्न देशों में भारत सरकार से जुड़ी संपत्तियों को चिह्नित करने का काम शुरू कर रही है। अगर सरकार मध्यस्थता अदालत के फैसले का पालन नहीं करती है तो कंपनी इन संपत्तियों को जब्त करने के लिए अदालत जा सकती है। कंपनी इस फैसले के तहत रकम प्राप्त करने के लिए इसे तीसरे पक्ष को भी हस्तांतरित कर सकती है।
मध्यस्थता फैसले में भारत सरकार से केयर्न एनर्जी को 1.7 अरब डॉलर का भुगतान करने के लिए कहा गया है। कंपनी ने कहा कि इस फैसले के दायरे में भारत की 160 देशों में संपत्तियां आती हैं, जिनके साथ भारत ने 1958 में न्यूयॉर्क सम्मेलन में विदेशी मध्यस्थता फैसले की मान्यता एवं प्रवर्तन पर हस्ताक्षर किए हैं।
घटनाक्रम के जानकार एक शख्स ने कहा, ‘केयर्न ने कुछ प्रमुख न्यायिक क्षेत्रों में फैसले के तहत भारत की सॉवरिन संपत्तियों को चिह्नित करने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। अगला कदम उठाने से पहले हमें विभिन्न देशों में फैसले को पंजीकृत कराना होगा। इसके तहत भारत सरकार की संपत्तियों को जब्त करने के बारे में अदालत में आवेदन देना होगा।’ केयर्न ने कहा कि कंपनी ने उत्पादों/परिसंपत्तियों की पहचान की है जो भारत सरकार से संबद्घ हैं। कंपनी का कहना है, ‘हमें अपने उन शेयरधारकों के हितों को सुरक्षित बनाने की जरूरत होगी जो इस मुद्दे पर स्पष्टता के लिए सात साल से इंतजार कर रहे हैं।’
कंपनी ने कहा है कि भारत सरकार के साथ निपटान प्रणालियों को लेकर विभिन्न राजनयिक माध्यमों के जरिये प्रत्यक्ष रूप से चर्चा चल रही थी।
केयर्न ने कहा है कि उसे अत्यंत भरोसा था कि फैसले को या तो निपटान के जरिये या भारतीय परिसंपत्तियों के खिलाफ प्रवर्तन के जरिये स्वीकार किया जाएगा। अपने वित्तीय परिणाम के बाद कंपनी ने आज कहा, ‘हालांकि न तो रिकवरी के लिए रास्ते और न ही संभावित निपटान राशि का समय-सीमा की शर्तों में अच्छी तरह से जिक्र किया गया है। फैसले के तहत प्राप्तियां मौजूदा समय में आकस्मिक परिसंपत्ति के तौर पर वर्गीकृत बनी हुई हैं।’
हालांकि केयर्न ने कहा कि वह यूके-इंडिया इन्वेस्टमेंट ट्रीटी के तहत सर्वसम्मत मध्यस्थ्ता निर्णय के बाद भारत सरकार के साथ प्रत्यक्ष रूप से बातचीत से जुड़ी रही। केयर्न एनर्जी पीएलसी के मुख्य कार्यकारी सिमॉन थॉमसन ने एक बयान में कहा, ‘हम नियमों पर पालन करने के संबंध में भारत सरकार के साथ सहयोग कर रहे हैं और अपने शेयरधारकों के अधिकारों को सुरक्षित बनाने के सभी रास्तों पर विचार कर रहे हैं।’
2021 के लिए कॉरपोरेट नजरिये में कंपनी ने उन सभी जरूरी कदमों का जिक्र किया था जो उसने फैसले की वैल्यू तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए उठाए थे। पंचाट ने यह निर्णय दिया था कि भारत ने ब्रिटेन-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि के तहत केयर्न से जुड़ी जिम्मेदारियों का उल्लंघन किया और वह केयर्न को 1.2 अरब डॉलर के साथ साथ ब्याज एवं अन्य खर्च की पूर्ति करे और यह तुरंत चुकाई जाने योग्य हो। वर्ष के अंत तक कुल बकाया राशि 1.7 अरब डॉलर थी।
