भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने वित्त वर्ष 23 के दौरान राजस्व और बैलेंस शीट में सुधार तो दर्ज किया है, लेकिन कंपनी अपनी प्रतिस्पर्धियों के हाथों लगातार बाजार हिस्सेदारी गंवा रही है और वर्ष के दौरान इसके शुद्ध और नकदी के नुकसान में और इजाफा हुआ है। वास्तव में वर्ष के दौरान अपने परिचालन लाभ में सुधार के बावजूद वित्त वर्ष 23 में कंपनी का शुद्ध और नकदी घाटा बढ़ा है।
सरकार के स्वामित्व वाली इस दूरसंचार परिचालक की शुद्ध बिक्री वित्त वर्ष 2023 के दौरान पिछले साल के मुकाबले 13.8 प्रतिशत बढ़कर 19,128 करोड़ रुपये हो गई, लेकिन वर्ष के दौरान इसका शुद्ध घाटा भी पिछले साल के मुकाबले 17 प्रतिशत बढ़कर 8,162 करोड़ रुपये हो गया।
इसी तरह इसका नकदी का नुकसान वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 2,503 करोड़ रुपये हो गया, जबकि एक साल पहले यह 1,674 करोड़ रुपये था। इसकी वजह से कंपनी ने लगातार छह साल में (वित्त वर्ष 2018 से) नकदी का नुकसान और लगातार 14 साल में (वित्त वर्ष 2010 से) शुद्ध घाटा दर्ज किया है। परिणामस्वरूप इसने पिछले 14 साल में कुल 1.11 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया है।
बीएसएनएल के शुद्ध घाटे में इस बढ़ोतरी की एक वजह एकमुश्त व्यय भी है। वित्त वर्ष 23 में एकमुश्त शुद्ध व्यय 1,500 करोड़ रुपये था। बीएसएनएल को वित्त वर्ष 23 में 16,200 करोड़ रुपये की फंडिंग के व्याहारिक अंतर का भी सामना करना पड़ा।
वित्त वर्ष 23 में घरेलू दूरसंचार बाजार में बीएसएनएल की राजस्व हिस्सेदारी भी लुढ़ककर 8.25 प्रतिशत के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गई, जबकि एक साल पहले यह 8.42 प्रतिशत थी।
दूरसंचार परिचालकों (जियो, एयरटेल (घरेलू), वोडाफोन, बीएसएनएल, एमटीएनएल) के परिचालन की संयुक्त शुद्ध बिक्री या आय वित्त वर्ष 23 के दौरान पिछले साल के मुकाबले 16.2 प्रतिशत बढ़कर 2.32 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो एक साल पहले करीब दो लाख करोड़ रुपये थी।
बुधवार को केंद्र सरकार ने बीएसएनएल के लिए 89,000 करोड़ रुपये के तीसरे पुनरुद्धार पैकेज की घोषणा की, जिसमें इक्विटी निवेश के जरिये बीएसएनएल के लिए 4जी/5जी स्पेक्ट्रम का आवंटन भी शामिल है। इसके साथ ही सरकार वर्ष 2019 के बाद से बीएसएनएल के पुनरुद्धार पर संयुक्त रूप से 3.22 लाख करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है।
बीएसएनएल ने पिछले वित्त वर्ष में ऋण स्तर में गिरावट और अपने लीवरेज अनुपात में सुधार दर्ज किया था, जिसका श्रेय केंद्र सरकार के पूंजी निवेश को जाता है। इस साल मार्च के अंत में बीएसएनएल की कुल उधारी पिछले साल के मुकाबले 28.7 प्रतिशत घटकर करीब 31,200 करोड़ रुपये रह गई, जो एक साल पहले करीब 43,800 करोड़ रुपये थी।
इसके विपरीत इस साल मार्च के आखिर में कंपनी की नेटवर्थ या शेयरधारक की इक्विटी पिछले साल की तुलना में 40.9 प्रतिशत बढ़कर 62,966 करोड़ रुपये हो गई, जो मार्च 2022 के अंत में तकरीबन 45,000 करोड़ रुपये थी। लगातार 13 साल की कमी के बाद यह बीएसएनएल के नेटवर्थ में पहला इजाफा था।
सरकार ने बीएसएनएल और सार्वजनिक क्षेत्र की महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के लिए 1.64 लाख करोड़ रुपये के दूसरे पुनरुद्धार पैकेज तहत कंपनी में लगभग 26,400 करोड़ रुपये की नई इक्विटी पूंजी डाली थी।