पैकेड बंद भोजन की मांग लगातार मजबूत रहने से सोमवार को ब्रिटानिया ने सितंबर 2020 में समाप्त होने वाली तिमाही के दौरान 495.20 करोड़ रुपये के साथ शुद्ध लाभ में 23 प्रतिशत की अच्छी-खासी बढ़ोतरी दर्ज की है जो पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में अधिक है।
गुड डे बिस्कुट की विनिर्माता कंपनी की समेकित राजस्व वृद्धि इस तिमाही में पिछले साल के मुकाबले 12 प्रतिशत बढ़कर 3,492.61 करोड़ रुपये रही जो 14 प्रतिशत के अनुमान से कुछ कम है। ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने कहा कि कोविड-19 ने ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं जिससे हम दुनिया भर में आर्थिक विकास और उपभोक्ताओं के व्यवहार में बड़े बदलाव देख रहे हैं। हालांकि सरकार ने लॉकडाउन को समाप्त कर दिया, लेकिन ऐसा लगता है कि स्थिति सामान्य होने में कुछ वक्त लगेगा। बेंगलुरु स्थित मुख्यालय वाली यह कंपनी कोविड का प्रकोप फैलने के बाद बिक्री में 80 प्रतिशत का योगदान करने वाले 20 प्रतिशत उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करते हुए 80:20 की रणनीति में उलझ गई थी, लेकिन इस तिमाही के दौरान कंपनी बाजार में अपने सभी उत्पाद ले आई। जहां एक ओर कंपनी ने वितरण में दक्षता पर ध्यान केंद्रित किया, वहीं दूसरी ओर यह विज्ञापन और प्रचार के मामले में सामान्य स्थिति के करीब पहुंच गई।
एचडीएफसी लाइफ का लाभ बढ़ा
निजी क्षेत्र की जीवन बीमाकर्ता एचडीएफसी लाइफ का एकल खंड में कर उपरांत लाभ सितंबर में समाप्त होने वाली तिमाही के दौरान 5.6 प्रतिशत बढ़कर 326 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 308.69 करोड़ रुपये था।
वित्त वर्ष 21 की दूसरी तिमाही के दौरान इस बीमाकर्ता की शुद्ध प्रीमियम आय में 35 प्रतिशत का इजाफा नजर आया है और यह बढ़कर 10,045 करोड़ रुपये हो गई है, जबकि पहले यह 7,453.68 करोड़ रुपये थी। इसके साथ ही वित्त वर्ष 21 की दूसरी तिमाही में पहले साल का प्रीमियम 15 प्रतिशत बढ़कर 1,675.15 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछली दफा यह 1,452.72 करोड़ रुपये था। दूसरी ओर नवीकरण प्रीमियम 21 प्रतिशत बढ़कर 4,310.37 करोड़ रुपये हो गया। इस समीक्षाधीन तिमाही के दौरान इसका एकल प्रीमियम 65 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 4,197 करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 21 की पहली छमाही के दौरान इस बीमाकर्ता का कुल वार्षिक प्रीमियम समतुल्य (एपीई) चार प्रतिशत कम होकर 3,334 करोड़ रुपये रह गया था, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान यह 3,473 करोड़ रुपये था तथा इस अवधि में व्यक्तिगत एपीई एक प्रतिशत कम होकर 2,834 करोड़ रुपये रह गया।