बड़ी फार्मा कंपनियों ने पिछले साल सरकार द्वारा घोषित थोक दवा उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लिए कमर कस ली है। उद्योग के सूत्रों के अनुसार फॉर्मूलेशन कवर करने वाला इस योजना का दूसरा भाग ऑनलाइन होने के बाद, इससे करीब 50,000 करोड़ रुपये का निवेश शुरू हो सकता है।
फार्मा क्षेत्र के लिए दो पीएलआई योजनाएं हैं – एक तो थोक दवाओं के लिए और दूसरी फॉर्मूलेशन, बायोलॉजिक्स, कॉम्प्लेक्स जेनरिक आदि से संबंधित।
सूत्रों के अनुसार अब तक 86 कंपनियों ने पीएलआई योजना के तहत सूचीबद्ध दवाओं का थोक उत्पादन शुरू करने के लिए आवेदन किया है। उद्योग के एक सूत्र ने कहा कि कुल मिलाकर 215 मोलेक्यूल के लिए लगभग 86 प्रस्ताव फार्मास्युटिकल्स विभाग में गए हैं।
ल्युपिन, सिप्ला और डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज (डीआरएल) जैसी दिग्गज फार्मा कंपनियां पहले ही थोक दवा पीएलआई योजना में भाग लेने के लिए रुचि दिखा चुकी हैं। हैदराबाद स्थित डीआरएल ने इस पीएलआई योजना के अंतर्गत आवेदन किया है। कंपनी ने इस बात की पुष्टि की है। पीएलआई योजना के दूसरे संस्करण, जो जल्द ही आने वाला है, में अवसरों की तलाश में कुछ दवा कंपनियों की रुचि है। उदाहरण के लिए ल्यूपिन पहले ही थोक दवा पीएलआई योजना के तहत आवेदन कर चुकी है और दूसरे दौर में भी भाग लेने पर विचार कर रही है।
ल्युपिन के प्रबंध निदेशक निलेश गुप्ता ने कहा ‘मौजूदा पीएलआई योजना और इस पीएलआई योजना का दूसरा संस्करण जोरदार है। हम दूसरे दौर में संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं। हम कुछ ऐसे उत्पादों पर विचार कर रहे हैं जो हमारे कारोबार और संपूर्ण योजनाओं के लिए उपयुक्त हों। हमने पहली पीएलआई योजना में भी आवेदन किए हैं, लेकिन हम दूसरे दौर में अधिक सार्थक रूप से भाग ले सकते हैं।’
भारत की तीसरी सबसे बड़ी फार्मा कंपनी सिप्ला ने भी संकेत दिया है कि वह पीएलआई योजना के दूसरे चरण में भाग लेने की इच्छुक होगी।
पिछले साल सरकार ने थोक दवाओं (दवा बनाने के लिए कच्चे माल) के स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 6,940 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना की घोषणा की थी, क्योंकि भारत अपनी जरूरत की तकरीबन 70 फीसदी थोक दवाओं का आयात करता है। फिर नवंबर में मंत्रिमंडल ने फार्मास्युटिकल उत्पादों के लिए 15,000 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी थी।