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बीएचईएल कर सकती है तीन गुना निवेश

Last Updated- December 07, 2022 | 1:02 PM IST

बिजली उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले उपकरण बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल)की योजना है कि अगर अमेरिका के साथ यह समझौता हो जाता है तो कंपनी परमाणु रिएक्टर बनाने वाली विदेशी कंपनियों को उपकरणों की आपूर्ति के लिए अपने संयंत्रों में निवेश को तीन गुना कर देगी।


कंपनी के चेयरमैन और प्रबंधन निदेशक के रवि कुमार ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘अगर यह परमाणु सौदा हो जाता है हमें पूरी उम्मीद है कि हमें इस क्षेत्र में कई ऑर्डर मिलेंगे और हम इस मामले में पीछे नहीं रहना चाहते।’ उन्होंने कहा कि हम ऑर्डर की मात्रा को ध्यान में रख कर निवेश करेंगे।

न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया का कहना है कि जब भारत को तकनीक और ईंधन आयात करने की मंजूरी मिल जाएगी तब दुनिया के सबसे बड़ी परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने वाली कंपनी अरेवा और जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी को भी रिएक्टरों के लिए ऑर्डर मिल सकते हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को संसद में विश्वास मत हासिल कर अमेरिकी करार के रास्ते में आने वाली रुकावट दूर कर दी है।

हेलसिंकी में ग्लिटनिर एस्सेट मैनेजमेंट के साथ जुड़े ताइना इरायूरी का कहना है, ‘ये ऑर्डर अरेवा, सीमेंस एजी और एबीबी लिमिटेड जैसी कंपनियों में बंट सकते हैं।’ यह कंपनी भारत में लगभग 679.40 करोड़ रुपये के  कारोबार से जुड़ी  है, जिसमें बीएचईएल भी शामिल है। उनका कहना है, ‘ हो सकता है कि सरकार बीएचईएल और लार्सन ऐंड टुब्रो जैसी कुछ स्थानीय कपंनियों को चुने।’

 कुमार ने बताया कि सरकारी कंपनी बीएचईएल की योजना अगले दो वर्षों में संयंत्रों के निर्माण में लगभग 1500 करोड़ रुपये निवेश करने की है। इन संयंत्रों से 1,600 मेगावाट क्षमता वाले रिएक्टरों के लिए कम्पोनेंट सप्लाई किए जाएंगे। बिना सौदे के बीएचईएल 500 करोड़ रुपये स्टीम टरबाइन जेनरेटरों और 700 मेगावाट वाले भारतीय संयंत्रों के लिए अन्य कम्पोनेंट के निर्माण में निवेश करेगी।

यूबीएस एजी के विश्लेषकों सुहास हरिनारायण और पंकज शर्मा ने 10 जुलाई को अपने ग्राहकों को लिखे एक नोट में कहा कि अमेरिका के साथ इस सौदे से लगभग 43 हजार करोड़ रुपये के ऑर्डर 2012 तक भारतीय कंपनियों को मिल सकते हैं, जिनमें बीएचईएल और लार्सन ऐंड टुब्रो शामिल है।

कुमार का कहना है कि बीएचईएल सरकारी कंपनी न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन के साथ समान साझेदारी वाला उपक्रम बना सकती है, जो 700, 1000 और 1,600 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाले परमाणु संयंत्रों को कम्पोनेंट सप्लाई करेगी। कपंनी इन संयंत्रों के लिए विदेशों में भी साझेदार की तलाश में है। कुमार का कहना है कि कंपनी का मकसद परमाणु ऊर्जा संयंत्र के कारोबार का विस्तार करना है, क्योंकि इसमें मुनाफा मार्जिन काफी अधिक है। 

न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन के 4,120 मोगवाट क्षमता वाली इकाई में इस्तेमाल किए जाने वाले लगभग 80 प्रतिशत तक उपकरण बीएचईएल मुहैया कराती है। अप्रैल में कंपनी ने परमाणु संयंत्र में इस्तेमाल होने वाले 700 मेगावाट या उससे अधिक क्षमता वाले स्टीम टरबाई जेनेरेटरों बनाने के लिए संयुक्त उपक्रम बनाने के लिए अपनी मंजूरी दी थी।

न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ने अगस्त में कहा था कि जब भारत-अमेरिका का परमाणु सौदा हो जाएगा तब अरेवा, जनरल इलेक्ट्रिक, तोशिबा कॉर्पोरेशन की वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कॉर्पोरेशन और रूस की अणु ऊर्जा एजेंसी रोसाटम रिएक्टर निर्माता कंपनियों में शामिल होंगी, जिन्हें 60,200 करोड़ रुपये के ऑर्डर का कुछ हिस्सा मिल सकता है।

First Published - July 24, 2008 | 12:01 AM IST

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