भारती एंटरप्राइजेज के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने कहा है कि सरकार को भारतीय कंपनी जगत के लिए भी ‘विवाद से विश्वास’ कर योजना लानी चाहिए। मित्तल ने कहा कि इससे कंपनी विवादों में फंसे लाखों करोड़ रुपये दूसरे कार्यों में काम आ जाएंगे। गुरुवार भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सालाना कारोबार सम्मेलन में उन्होंने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि कई कंपनियों ने 25 प्रतिशत कंपनी कर व्यवस्था की तरफ कदम नहीं बढ़ाया है।
सरकार ने आयकर विवादों के शांतिपूर्ण ढंग से निपटारे के लिए वर्ष 2014 में विवाद से विश्वास योजना की शुरुआत की थी। मित्तल ने कहा कि कंपनी जगत के लिए भी यह योजना लाई जानी चाहिए ताकि सरकार को इससे मिलने वाली रकम का इस्तेमाल अच्छे कार्यों में हो सके। उन्होंने कहा, ‘हो सकता है कि सरकार को इन कानूनी विवादों में 10 वर्षों बाद जीत मिल जाए और तक यह रकम उसके पास आए। इसे देखते हुए विवाद से विश्वास योजना के तहत इनका निपटारा क्यों न किया जाए।‘
उन्होंने कहा कि अगर ऐसी योजना लाई जाती है तो इससे उद्योग जगत को पिछले कानूनी झमेलों से मुक्ति मिल जाएगी जिससे वे एक नए जोश के साथ भविष्य की ओर कदम बढ़ाएंगे। मित्तल का यह बयान काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि भारती एयरटेल और भारती हेक्साकॉम उन पर बकाया 43,980 करोड़ रुपये समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का बोझ कम करने के प्रयासों में जुटे हैं।
कर के मोर्चे पर मित्तल ने कहा कि 25 प्रतिशत कंपनी कर व्यवस्था शुरू करना एक बेहतर कदम है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2019-20 के बजट में कुछ कंपनियों के लिए 25 प्रतिशत दर की व्यवस्था की थी। यह कदम 2016-17 से लागू हो रही बड़ी कर योजना का हिस्सा था। यह व्यवस्था 400 करोड़ रुपये (250 करोड़ रुपये से बढ़ाकर) सालाना कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए लागू की गई थी। इस नीतिगत बदलाव का मकसद 99.3 प्रतिशत भारतीय कंपनियों को लाभ पहुंचाना था मगर कई कंपनियों ने अब तक यह व्यवस्था अब तक नहीं अपनाई है। मित्तल ने कहा, ‘हमें पुरानी रियायतों को छोड़कर अब सरल 25 प्रतिशत सपाट दर की तरफ बढ़ना चाहिए।‘
मित्तल ने यह भी कहा कि देश में चुनावों के कारण भारत को प्रत्येक साल कुछ महीनों में मूल्यवान आर्थिक अवसरों से हाथ धोना पड़ता है। उन्होंने कहा कि उद्योग जगत को ‘एक देश एक चुनाव व्यवस्था ‘ के प्रस्ताव का समर्थन करना चाहिए।
मित्तल ने अमेरिका, यूरोपीय संघ और सऊदी अरब के साथ चल रहे मौजूदा मुक्त व्यापार समझौते का भी जिक्र किया और कहा कि इन पर चर्चा काफी बढ़ चुकी है। उन्होंने कहा कि उद्योग संगठनों को ऐसी मांग नहीं रखनी चाहिए जिससे इन समझौतों पर चर्चा कठिन हो जाए। मित्तल ने कहा कि आयात कम करने पर सरकार का जोर होना चाहिए। अगर स्थानीय स्तर पर विनिर्माण को बढ़ावा देकर एक रुपया भी बचता है तो उतनी ही मात्रा में विदेशी मुद्रा हमारे पास बच जाएगी। मित्तल ने कहा कि दुनिया में विभिन्न देशों में युवा आबादी में कमी आने के बावजूद आव्रजन को लेकर नियम कठोर होते जा रहे हैं।