एबॉट इंडिया (Abbott India) ने फरवरी में सालाना आधार पर 23 प्रतिशत की वृद्धि के साथ भारतीय फार्मास्युटिकल बाजार (IPM) से बेहतर प्रदर्शन किया। कम आधार पर घरेलू बाजार में 20 प्रतिशत की मजबूत दर से इजाफा हुआ, जिसका मुख्य कारण वॉल्यूम वृद्धि और कीमतों में बढ़ोतरी थी।
एबॉट ने 20 प्रतिशत की वृद्धि के साथ एंटी-डायबिटिक क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन जारी रखा और थायरोनॉर्म (हाइपोथायरायडिज्म), बाइलरी एजेंट उडिलिव, इंसुलिन रेजोडेग जैसे प्रमुख ब्रांडों ने दमदार इजाफा दर्ज किया।
शेयरखान रिसर्च का कहना है कि एबॉट इंडिया की बिक्री पिछले कई महीनों के दौरान IPM वृद्धि से ऊपर रही है, जो महिलाओं के स्वास्थ्य और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल – जिनका बिक्री में सबसे ज्यादा योगदान रहा है, मेटाबोलिक, केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली, बहु-विशेषता, टीके और उपभोक्ता स्वास्थ्य खंड पर केंद्रित इसके चिकित्सा क्षेत्रों में कंपनी के प्रमुख ब्रांडों की मजबूती का संकेत देती है।
ब्रोकरों का कहना है कि उद्योग की विकास दर से अधिक वृद्धि तथा हिस्सेदारी हासिल करने के अलावा डॉक्टर के पर्चे की मजबूत स्थिति के मद्देनजर नवोन्मेष विपणन और ब्रांड की छवि निर्माण की कवायद पर ध्यान देने के साथ-साथ फार्मेसी श्रृंखला और ई-फार्मेसी जैसे आधुनिक चैनलों में प्रवेश करने से इसे आईबीएम से अधिक वृद्धि दर में मदद मिलेगी। सेंट्रम रिसर्च का मानना है कि लागत में कमी वाले उपायों की अगुआई में परिचालन के मोर्चे पर मार्जिन भी अच्छा रहने की उम्मीद है।
हालांकि वर्ष वित्त वर्ष 2022-23 की दिसंबर तिमाही (वित्त वर्ष 23 की तीसरी तिमाही) में कंपनी का सकल मार्जिन सालाना आधार पर 317 आधार अंक तक घटकर 43.8 प्रतिशत रह गया, लेकिन यह अपना परिचालनगत लाभ मार्जिन सालाना आधार पर 188 आधार अंक तक बढ़ाकर 24 प्रतिशत करने में सफल रही। यह लाभ कर्मचारियों की कम संख्या और अन्य खर्चों में कमी की वजह से हुआ, जिनमें क्रमशः पांच प्रतिशत और 21 प्रतिशत की कमी आई।
सेंट्रम रिसर्च ने 24,450 के लक्ष्य मूल्य के साथ इसके शेयर पर ‘खरीद’ रेटिंग रखी है, जबकि वर्तमान में यह शेयर 20,349 पर कारोबार कर रहा है। इसमें 20 प्रतिशत का इजाफा दिख रहा है।
आईसीआईसीआईडायरेक्ट के अनुसार शेयर के अन्य उत्प्रेरकों में मूल्य नियंत्रण (आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची) के तहत दवाओं की कीमतें शामिल हैं, जो कंपनी के पोर्टफोलियो का लगभग पांचवां हिस्सा है और मूल्य आधारित वृद्धि पर इसका सकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद है।