भारत में कोविड महामारी से पहले के दौर 2019 से लेकर वर्ष 2024 के बीच कुल विमानन सीट क्षमता में 12.7 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है। यह दुनिया में सबसे अधिक सीट क्षमता वाले शीर्ष 20 देशों में पांचवें पायदान पर है।
ओएजी के एक अध्ययन के मुताबिक अन्य चार देशों ने भी भारत की तुलना में सीट क्षमता में तेजी से सुधार दिखाया है जिनमें सऊदी अरब (17.1 फीसदी की वृद्धि), यूएई (15 फीसदी), मेक्सिको (14.4 फीसदी) और तुर्किये (12.3 फीसदी) शामिल हैं। हालांकि 2024 में भी शीर्ष 20 देशों में से करीब आधे देशों में अब तक 2019 के पूर्व स्तर तक का सुधार नहीं दिख पाया है जिनमें फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, रूस, कनाडा, थाईलैंड और दक्षिण कोरिया शामिल है।
ओएजी के मुताबिक भारत में वर्ष 2024 में कुल सीट क्षमता में 8 फीसदी प्रति वर्ष की वृद्धि रही और इस लिहाज से यह सातवें पायदान पर रहा लेकिन इससे आगे रहने वाले देश सऊदी अरब (11.7 फीसदी वृद्धि) और यूएई (10.5 फीसदी वृद्धि) का प्रदर्शन अच्छा रहा।
चालू वित्त वर्ष 2019 और 2024 के बीच जिन देशों में सुधार नहीं दिखा उनमें भी उम्मीदें बन रही हैं। मिसाल के तौर पर मुफ्त वीजा की पेशकश करने वाले देश थाईलैंड की विमानन क्षमता में पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2024 में 13.8 फीसदी की हुई। उसी तरह इसी समान अवधि के दौरान दक्षिण कोरिया की क्षमता वृद्धि में भी 16.7 फीसदी की तेजी देखी गई। जर्मनी और इंडोनेशिया की क्षमता में कमी आने के बाद इसमें वृद्धि देखी गई है।
लेकिन आकलन करने पर भारत में विमानन क्षमता को लेकर कुछ गंभीर चुनौतियों के संकेत मिलते हैं। उदाहरण के तौर पर इंडिगो एयरलाइंस के पास ए320 और ए350 विमानें हैं लेकिन करीब 70 विमानों का परिचालन नहीं हो रहा है जिससे रोजाना 68,000 सीटों का नुकसान हो रहा है।
लेकिन इसमें सकारात्मक पहलू की ओर भी संकेत दिए गए हैं जिनमें दो मजबूत विमानन कंपनियां एयर इंडिया और इंडिगो ने विमानों के बड़े ऑर्डर दिए हैं और इसके चलते देश में वृद्धि देखी जाएगी।
वैश्विक स्तर विमानन सीटों में सुधार 2019 की तुलना में वर्ष 2024 में महज 2.4 फीसदी अधिक रही। वहीं 2024 में सालाना आधार पर विमानन क्षमता में सुधार 6.6 फीसदी रहा जो स्पष्ट तौर पर बेहतर हो सकता था।
रिपोर्ट का अनुमान है कि मांग में कमी के स्पष्ट संकेत हैं जबकि महामारी के बाद वर्ष 2023 में अधिक लोगों ने यात्राएं की थीं और जिसके चलते राजस्व एक नए स्तर पर पहुंच गया था। रहन-सहन की बढ़ती लागत, कराधान में बढ़ोतरी और भू-राजनीतिक स्तर की चुनौतियां लगातार दिखते रहने के कारण कई विमानन कंपनियां और एयरपोर्ट वर्ष 2025 में हाई अलर्ट में रहेंगे।
विश्लेषकों का कहना है कि भारत और दुनिया में कार बिक्री में वृद्धि कम होने के आसार हैं। उनका कहना है कि विमानन उद्योग में भी कुछ ऐसे ही रुझान देखने को मिलेंगे।