दुनिया की सबसे बड़ी इस्पात उत्पादक कंपनी आर्सेलरमित्तल और सज्जन जिंदल की जेएसडब्ल्यू स्टील छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) के इस्पात प्लांट को खरीदने की दौड़ में शामिल हैं। इस कंपनी को सोमवार को अलग से सूचीबद्ध कराया जाएगा और सरकार की योजना चालू वित्त वर्ष में इसका निजीकरण करने की है।
बैंकिंग सूत्रों ने कहा कि बड़ी कंपनियां जैसे वेदांत और टाटा स्टील बिक्री में प्रतिभागिता नहीं कर रही हैं। हालांकि जेएसपीएल ने अभिरुचि पत्र जमा कराया है। सोमवार को सूचीबद्ध होने पर कंपनी के मूल्यांकन और उस दाम का संकेत मिलेगा जिस मूल्य पर बोलीदाता पेशकश कर सकते हैं।
विश्लेषकों ने कहा कि एनएमडीसी ने अपनी बैलेंस शीट को अलग कर लिया है और इस इस्पात प्लांट पर किया गया कोई अतिरिक्त पूंजीगत व्यय एनएमडीसी के बहीखाते पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगा क्योंकि वह संबंधित इस्पात कंपनी की बैलेंस शीट में प्रदर्शित होगा।
बीते शुक्रवार को एनएमडीसी का शेयर 121 रुपये के भाव पर बंद हुआ, जिससे कंपनी का बाजार मूल्य करीब 35,504 करोड़ रुपये रहा। एनएमडीसी की मौजूदा शेयरधारिता इस्पात कंपनी की शेयरधारिता में भी दिखेगी, जिसमें केंद्र सरकार की बहुलांश हिस्सेदारी होगी। सरकार की योजना मार्च तक सबसे बड़ी बोलीदाता के हाथों इस इस्पात कंपनी में अपनी बहुलांश हिस्सेदारी बेचने की है।
विश्लेषकों ने कहा कि एनएमडीसी के इस्पात प्लांट की बुक वैल्यू 17,000 करोड़ रुपये या 58 रुपये प्रति शेयर है। लंबित विनिवेश के कारण प्लांट के नए शेयर का मूल्य निचले दायरे में या 23 रुपये प्रति शेयर पर हो सकता है और आदर्श स्थिति में यह करीब 30 रुपये प्रति शेयर के भाव पर सूचीबद्ध हो सकता है। नुवामा के एक विश्लेषक ने कहा कि शेयर बिक्री पर स्पष्टता आने तक यह शेयर प्राइस टु बुक अनुपात के 0.4 से 0.6 गुना के बीच कारोबार कर सकता है।
बैंकरों ने कहा कि अगर आर्सेलरमित्तल कंपनी खरीदने की दौड़ जीतती है तो देश के इस्पात क्षेत्र में उसका तीसरा अधिग्रहण होगा। एल एन मित्तल के स्वामित्व वाली कंपनी और जापान की निप्पॉन स्टील ने 2019 में संयुक्त रूप से एस्सार स्टील को 42,000 करोड़ रुपये में उसके कर्जदाताओं से खरीद लिया था।
वर्ष 2022 में मित्तल ने 3,472 करोड़ रुपये में उत्तम गैल्वा का भी अधिग्रहण किया था। कंपनी दिवालिया संहिता के तहत कर्ज समाधान में भेजी गई इंडियन स्टील कॉर्पोरेशन को खरीदने की दौड़ में भी शामिल है। बैंकिंग सूत्रों ने कहा कि इस सौदे की घोषणा जल्द की जा सकती है।
जेएसडब्ल्यू स्टील ने 2021 में 19,400 करोड़ रुपये में भूषण पावर ऐंड स्टील का अधिग्रहण किया था। इससे पहले 2016 में उसने मोनेट इस्पात का भी अधिग्रहण किया था।
जेएसडब्ल्यू और आर्सेलरमित्तल दोनों के लिए एनएमडीसी के इस्पात प्लांट का अधिग्रहण भारत में अपने कारोबार के विस्तार के लिए रणनीति रूप से उपयुक्त होगा। जेएसडब्ल्यू ने 20,000 करोड़ रुपये के निवेश से अगले वित्त वर्ष में अपनी सालाना उत्पादन क्षमता 90 लाख टन तक बढ़ाने की योजना बनाई है।
एनएमडीसी के इस्पात प्लांट के अधिग्रहण में दिलचस्पी के बारे में पूछे जाने पर जेएसडब्ल्यू के प्रवक्ता ने कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया। इस बारे में आर्सेलरमित्तल को भी ईमेल किया गया लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।
एनएमडीसी ने छत्तीसगढ़ में अपने लौह अयस्क खदान के समीप 30 लाख टन क्षमता का इस्पात प्लांट स्थापित करने पर 22,000 करोड़ रुपये का निवेश किया। परियोजना की लागत 7,000 करोड़ रुपये बढ़ गई है। इस परियोजना को 2015 में शुरू होना था लेकिन जमीन अधिग्रहण में देर, ठेकेदारों के साथ विवाद, कोविड लॉकडाउन आदि के कारण इसमें देरी हुई।