ऐपल इंक बिक्री का सीजन (सितंबर से दिसंबर) शुरू होने से पहले भारत में तेजी से उत्पादन बढ़ाने की कोशिश में है। आईफोन बनाने वाली कंपनी की यह कवायद निर्यात और घरेलू मांग के मद्देनजर है, क्योंकि वह सितंबर के पहले हफ्ते में भारत सहित दुनिया भर में आईफोन 17 पेश करने जा रही है। अपेक्षित उछाल को पूरा करने के लिए कंपनी मे देश में आईफोन की क्षमता का भी विस्तार किया है। बेंगलूरु के देवनहल्ली में फॉक्सकॉन के नए संयंत्र में आईफोन 17 की असेंबलिंग शुरू हो गई है और तमिलनाडु के होसुर के में भी संयंत्र उत्पादन जोर-शोर से जारी है। पहली बार प्रो मैक्स जैसे आईफोन 17 के सभी प्रीमियम वेरिएंट भी एक साथ तैयार होने लगे हैं।
ऐपल के मुख्य कार्य अधिकारी टिम कुक अमेरिका से मिले संकेतों से काफी उत्साहित हैं। अमेरिका ने दूसरे देश से आयात होने वाले मोबाइल फोन पर अपनी शून्य शुल्क छूट को बढ़ा दिया है। मगर उसने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 50 फीसदी का जवाबी शुल्क लगाया है। इसके अलावा, एक और संकेत तब मिला जब अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कुक के साथ हाल ही में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भले ही सेमीकंडक्टर पर 100 फीसदी शुल्क लगाने का विचार किया जा रहा है, लेकिन अपने उत्पादों को विदेश में असेंबल कराने वाली ऐपल जैसी कंपनियों को शुल्क मुक्त पहुंच का लाभ मिलता रहेगा। उल्लेखनीय है कि इसी कार्यक्रम में उन्होंने अमेरिका में पहले किए गए 500 अरब डॉलर की निवेश प्रतिबद्धता के अलावा और 100 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब ट्रेड एक्सपैंशन ऐक्ट की धारा 232 के तहत अमेरिकी वाणिज्य मंत्रालय की रिपोर्ट अगस्त के मध्य तक आने वाली थी, जिसे अब कथित तौर पर कुछ महीनों के लिए टाल दिया गया है। इस रिपोर्ट में राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर सेमीकंडक्टर और फोन एवं लैपटॉप जैसे एम्बेडेड उत्पादों की जांच की जा रही है।
ट्रंप का आश्वासन इसलिए भी जरूरी माना जा रहा है क्योंकि कई लोगों को भय था कि रिपोर्ट के कारण शायद भारत और चीन में असेंबल किए गए आइफोन में इस्तेमाल होने वाले सेमीकंडक्टर पर अलग-अलग शुल्क लगाया जा सकता है, जिससे भारत का शून्य शुल्क लाभ कम हो सकता है और फेंटेनल उल्लंघन के कारण चीन 20 फीसदी शुल्क चुकाता है।
इस कदम से यह स्पष्ट हो गया है कि ऐपल की रफ्तार धीमी करने का कोई इरादा नहीं है। भारत से खासकर अमेरिका को आईफोन का निर्यात बढ़ा है। पारंपरिक रूप से बिक्री में सुस्ती वाली अवधि माने जाने वाले अप्रैल से जुलाई के दौरान निर्यात 7.3 अरब डॉलर तक जा पहुंचा, जो एक साल पहले के मुकाबले 63 फीसदी अधिक है। अगर यही रफ्तार बरकरार रही तो इस साल शिपमेंट 24 से 25 अरब डॉलर को पार कर सकता है। हालांकि, भारत से अमेरिका की सभी मांग को पूरा करने की ऐपल की योजना (जिसमें 40 अरब डॉलर के शिपमेंट की जरूरत होगी) अभी भी महत्त्वाकांक्षी लगती है।
फिलहाल, अमेरिका के लिए भारत ऐपल का मुख्य निर्यात केंद्र बन गया है, जो सालाना 40 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के आईफोन की खपत करता है।कैनालिस के मुताबिक, कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली छमाही में भारत से 78 फीसदी आईफोन अमेरिका भेजे गए, जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 53 फीसदी था। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि कैलेंडर वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में वैश्विक आईफोन शिपमेंट में भारत की हिस्सेदारी एक साल पहले के 13 फीसदी से बढ़कर 44 फीसदी हो गई, जबकि चीन की हिस्सेदारी 61 फीसदी से घटकर 21 फीसदी रह गई।