वेदांत समूह के संस्थापक एवं चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने लंदन की निवेश फर्म सेंट्रिकस के साथ साझेदारी के जरिये भारतीय कारोबार में 10 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बनाई है। यह निवेश भारत सरकार विनिवेश को लक्षित करेगा।
दोनों कंपनियों ने आज जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि उनका उद्देश्य पुनरुद्धार एवं वृद्धि की संभावनाओं वाली घरेलू कंपनियों में निवेश के लिए एक रणनीति तैयार करने की है। उनका उद्देश्य कंपनियों को पेशेवर प्रबंधन, स्वतंत्र प्रशासनिक ढांचा और स्थायित्व के लिए प्रतिबद्धता के साथ निजी क्षेत्र की स्वतंत्र कंपनी बनने में सहायता और मदद करना है।
बयान में कहा गया है कि यह रणनीति भारतीय कंपनियों को अग्रवाल के अनुभव और साझेदारी के इतिहास का फायदा उठाने और कारोबार के परिचालन में मूल्य सृजित करने में मदद मिलेगी। बयान में कहा गया है, ‘इसे भारातीय अर्थव्यवस्था के लिए बिल्कुल उपयुक्त समय पर लॉन्च किया जा रहा है और इससे भारत सरकार को अपना विनिवेश लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।’ बयान में कहा गया है कि अपने साझेदारों की रणनीतिक, परिचालन एवं प्रशासन सबंधी विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए यह रणनीति प्रबंधन टीम को उनकी स्वतंत्र स्थिति का फायदा उठाते हुए कंपनी को आगे बढ़ाने में मदद करेगी।
बयान में अग्रवाल के हवाले से कहा गया है, ‘भारत अगले दशक में सबसे तेजी से उभरती बड़ी अर्थव्यवस्था होगी। उसकी रफ्तार विश्वस्तरीय उद्यमी निजी क्षेत्र पर आधारित है और मैं समझता हूं कि सार्वजनिक क्षेत्र में उल्लेखनीय बदलाव के लिए इस रफ्तार का उपयोग किया जा सकता है। हमारा मानना है कि यह रणनीति देश के औद्योगिकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।’
हालांकि सेंट्रिकस संग साझेदारी अग्रवाल की है और फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि यह वेदांत समूह की कंपनियों के माध्यम से होगा या नहीं। वेदांत के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर टिप्पणी नहीं की।
वेदांत ने हाल में भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में सरकार की हिस्सेदारी खरीदने के लिए शुरुआती अभिरुचि पत्र (ईओआई) जारी किया है। यह कोई पहला अवसर नहीं है जब अग्रवाल सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं में हिस्सेदारी लेने के बारे में मुखर हुए हैं।
इससे पहले वेदांत समूह ने हिंदुस्तान जिंक और भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) जैसी सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों में बहुलांश हिस्सेदारी हासिल की है।
इस साल के आरंभ में अग्रवाल ने सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी हिंदुस्तान कॉपर के निजीकरण के लिए भी कहा था कि तांबा उत्पादन करने वाली देश की एकमात्र कंपनी के विकास के लिए एक अलग तरह की रणनीति की आवश्यकता है क्योंकि इसके पास अच्छी परिसंपत्ति है। अक्टूबर में अग्रवाल ने हिंदुस्तान कॉपर में रणनीतिक विनिवेश की संभावना पर चर्चा करने के लिए नीति आयोग की पहल की सराहना की।