प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ई-कॉमर्स दिग्गज एमेजॉन के खिलाफ विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन का मामला दर्ज किया है। कंपनी पर आरोप है कि उसने अधिनियम में मल्टी-ब्रांड रिटेल से संबंधित कुछ प्रावधानों का उल्लंघन किया।
यह कार्रवाई फ्यूचर रिटेल अधिग्रहण के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिसंबर में एमेजॉन के खिलाफ की गई टिप्पणियों के बाद हुई है। मामला रिलायंस और फ्यचूर रिटेल के सौदे से जुड़ा था, जिसमें फ्यूचर अपनी रिटेल, थोक, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग इकाई रिलायंस रिटेल को बेच रही है। लेकिन अमेरिकी कंपनी एमेजॉन सौदे का विरोध कर रही है। वाणिज्य मंत्रालय के औद्योगिक संवद्र्घन एवं आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा हाल में लिखे गए पत्र में भी आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया था। उसमें भी ये आरोप ही लगाए गए थे, जिनके बाद ईडी ने तेजी से कार्रवाई की है। इस बारे में जानकारी के लिए एमेजॉन को ईमेल किया गया मगर उसका जवाब नहीं आया।
मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘प्रारंभिक जांच के बाद यह पता लगाने के लिए मामला दर्ज किया गया है कि इसमें फेमा के किसी प्रावधान या नियम, अधिसूचना, निर्देश या आदेश का उल्लंघन तो नहीं किया गया है। हमने फ्यूचर रिटेल मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय का हालिया आदेश पढ़ा है। उसमें अदालत ने फ्यूचर और एमेजॉन इंडिया के बीच हुए समझौते का जिक्र किया है, जो फेमा और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कानून के विपरीत है।’
अधिकारी ने यह भी बताया कि वाणिज्य मंत्रालय से मिली शिकायतों की भी जांच की जा रही है। शिकायतों में कहा गया है कि फ्लिपकार्ट और आदित्य बिड़ला समूह के बीच हुए सौदे में रिटेल क्षेत्र में एफडीआई नीति का उल्लंघन किया गया है, विभिन्न ई-कॉमर्स कंपनियां मल्टी-ब्रांड रिटेल के लिए विनिर्माण में एफडीआई नीति का उल्लंघन कर रही हैं और एमेजॉन तथा फ्लिपकार्ट फेमा एवं एफडीआई नीति की खामियों का फायदा उठाकर उनका खुला दुरुपयोग और उल्लंघन कर रही हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2019 में एमेजॉन द्वारा फ्यूचर रिटेल की इकाई फ्यूचर कूपन्स में किए गए निवेश पर भी अपने आदेश में कई टिप्पणियां की हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय ने फ्यूचर कूपन्स के साथ फ्यूचर रिटेल के शेयरधारक करार, एमेजॉन के साथ फ्यूचर कूपन्स के शेयरधारक करार और एमेजॉन के साथ फ्यूचर कूपन्स के शेयर खरीद करार के प्रावधानों की पड़ताल की। फ्यूचर कूपन्स में एमेजॉन का निवेश फ्यूचर रिटेल में उसकी शेयरधारिता के 10 फीसदी से भी कम है। अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया इन तीनों समझौतों में फेमा और एफडीआई नियमों के उल्लंघन का मामला प्रतीत होता है।
एमेजॉन ने फ्यूचर-रिलायंस सौदा रोकने के लिए मध्यस्थता कार्रवाई शुरू की थी और सौदे पर अस्थायी रोक का आपात आदेश हासिल किया था।
